गोरखपुर विश्वविद्यालय से निकले कचरे अब नहीं फेंके जाएंगे, बनेगी खाद Gorakhpur News
विश्वविद्यालय प्रशासन अब इसके सुचारू संचालन में जुटा है। इसके तहत सभी विभागों में कचरा संग्रहण के लिए डिब्बा रखने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। दो दर्जन से अधिक विभागों में यह प्रक्रिया पूरी भी कर ली गई है।
गोरखपुर, जेएनए। परिसर का कूड़ा बाहर न जाए, परिसर में ही उसका इस्तेमाल कर लिया जाए, इसके लिए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने अपने कदम आगे बढ़ा दिए हैं। बीते शनिवार को इसे लेकर परिसर में नान प्राफिट कंपनी जीरो वेस्ट कैंपस की शुरुआत हो गई। इसके तहत बायोडिग्रेडेबल वेस्ट से जैविक खाद बनाने की मशीन का उद्घाटन भी हो गया।
कूड़ा प्रबंधन के लिए प्रबंधक की नियुक्ति जल्द
विश्वविद्यालय प्रशासन अब इसके सुचारू संचालन में जुटा है। इसके तहत सभी विभागों में कचरा संग्रहण के लिए डिब्बा रखने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। दो दर्जन से अधिक विभागों में यह प्रक्रिया पूरी भी कर ली गई है। कूड़ा प्रबंधन में कोई दिक्कत न आने पाए, इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन जल्द एक प्रबंधक की नियुक्ति करने जा रहा है। प्रबंधक अपने निर्देशन में विभागों से कूड़े-कचरे को संग्रहीत कराएगा और उसमें से बायोडिग्रेडेबल वेस्ट को खाद बनाने वाली मशीन तक पहुंचाने का कार्य करेगा। इसके लिए उसे आउटसोर्सिंग के जरिए करीब 40 कर्मचारी दिए जाएंगे। प्रबंधक को अर्न-बाय-लर्न योजना के तहत करीब 10 विद्यार्थियों का सहयोग भी मिलेगा। विद्यार्थी कचरे से बनी जैविक खाद के स्टोरेज, पैकेङ्क्षजग और मार्केङ्क्षटग की जिम्मेदारी संभालेंगे। यह कार्य सुचारू रूप से संचालित हो, इसके लिए बहुत जल्द आइआइएम अहमदाबाद के एलुमिनाई डा. नरेश त्रिखा विश्वविद्यालय में आएंगे और इसे लेकर जरूरी सुझाव देंगे। उन्हें इस योजना के लिए विश्वविद्यालय ने सलाहकार नामित किया है। आनलाइन सलाह के लिए वह हमेशा उपलब्ध रहेंगे। विश्वविद्यालय की योजना है कि तीन महीने में योजना पूरी तरह से धरातल पर दिखने लगे। विश्वविद्यालय प्रशासन ने बायोडिग्रेडेबल वेस्ट के प्रबंधन के पूरे सेटअप का औपचारिक उद्घाटन 15 अगस्त को कराने की योजना बनाई है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय प्रशासन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित करेगा।
तीन महीने बाद होगा बाहर से कूड़ा जुटाने का काम
तीन महीने तक योजना का कार्यान्वयन विश्वविद्यालय से मिलने वाले बायोडिग्रेडेबल वेस्ट से किया जाएगा। उसके बाद कूड़ा जुटाने के लिए परिसर के बाहर की संस्थाओं, होटलों, रेस्टोरेंट आदि से संपर्क किया जाएगा। चिन्हित स्थानों पर इसके लिए कचरे का डिब्बा विश्वविद्यालय की ओर से लगाया जाएगा। डिग्रेडेबल वेस्ट का इस्तेमाल तो विश्वविद्यालय परिसर में ही कर देगा लेकिन डिग्रेडेबल वेस्ट के लिए वह नगर निगम के संपर्क साधेगा।
दीदउ गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश सिंह का कहना है कि ग्रीन कैंपस इनेशिएटिव प्रोग्राम के तहत परिसर को पूरी तरह कूड़ा-कचरा मुक्त बनाने की योजना धरातल पर आने लगी है। पूरी कोशिश है कि तीन महीने में इस योजना का प्रभाव विश्वविद्यालय में दिखने लगे। विश्वविद्यालय का स्वच्छ और सुंदर स्वरूप अन्य शैक्षणिक संस्थानों के लिए नजीर बने।