अंतिम नहीं, नई यात्रा का प्रारंभ है मृत्यु : मोरारी बापू
नौ दिवसीय मानस निर्वाण रामकथा के आठवें दिन प्रख्यात कथा वाचक मोरारी बापू ने भिक्षुक उपनिषद में वर्णित संन्यास की चर्चा की। कुटी चक संन्यास बहुदक संन्यास हंस संन्यास और परमहंस संन्यास की व्याख्या करते हुए कहा कि जगत में रहकर भी व्यक्ति परमहंस संन्यासी हो सकता है।
गोरखपुर, जेएनएन : भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में चल रहे नौ दिवसीय मानस निर्वाण रामकथा के आठवें दिन प्रख्यात कथा वाचक मोरारी बापू ने भिक्षुक उपनिषद में वर्णित संन्यास की चर्चा की। कुटी चक संन्यास, बहुदक संन्यास, हंस संन्यास और परमहंस संन्यास की व्याख्या करते हुए कहा कि जगत में रहकर भी व्यक्ति परमहंस संन्यासी हो सकता है। जीवन में मृत्यु अंतिम यात्रा नहीं है, बल्कि नई यात्रा का प्रारंभ है। बापू ने कहा कि सत्य कड़वा नहीं होता, उसे कड़वा किया जाता है। ठाकुर रामकृष्ण परमहंस इसके उदाहरण हैं। परमहंस संन्यास में संसार को छोड़ना नहीं पड़ता, केवल चित्त या मानसिकता बदलनी होती है, यही निर्वाण है। निर्माण के लिए चीजें बदलनी पड़ती हैं, लेकिन निर्वाण के लिए चित्त।
प्रतिज्ञा में होता है अहंकार
मोरारी बापू ने कहा कि कोई प्रतिज्ञा शुद्ध नहीं होती, उसमें अहंकार होता है। अंदर से भगवान जो कहे वैसा संकल्प करना चाहिए। उसमें अहंकार नहीं होता है। सेवा भाव करके गृहस्थ भी निर्वाण प्राप्त कर सकते हैं। एक व्यक्ति के प्रश्न पर कि यहां आप बुद्ध के निर्वाण पर प्रतिदिन बोलते हैं, लेकिन स्थानीय बौद्ध लोग कथा में नहीं आते पर बापू ने कहा कि कोई सुने न सुने कोयल बोलती रहती है। अहंकार चित्त को उड़ा ले जाता है।
संदेह नहीं करना चाहिए बुद्ध पुरुषों पर
बापू ने कहा कि बुद्ध पुरुषों पर संदेह नहीं करना चाहिए। वहम जीवन का बहुत समय नष्ट कर देता है। राम, राम हैं, उसमें कोई फर्क नहीं, चाहे तुलसी के राम हों या कबीर के। विश्वास के बिना प्रेम प्राकट्य नहीं होता है। बालकांड की कथा कहते हुए बापू ने कहा कि काल सापेक्ष होता है। गुरु के पास जाकर शिक्षा ग्रहण करने की सीख राम ने दी। ताड़का वध कथा के माध्यम से कहा कि राक्षसी को भी निर्वाण मिलता है। जिसका सबकुछ चला गया हो उसका पुनर्वास कराना भगवान राम का स्वभाव है। धनुष यज्ञ की कथा कहते हुए कहा कि अहंकार को जवानी में तोड़ना चाहिए न कि बचपन या बुढ़ापे में।
बापू ने गांधी को दी श्रद्धांजलि
कथा वाचक मोरारी बापू ने शहीद दिवस पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि प्रकट करते हुए दो मिनट के मौन के बाद गांधी का भजन प्रस्तुत किया।