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गोरखपुर से राजधानी व शताब्दी एक्सप्रेस चलाने के लिए एक कदम और बढ़ा पूर्वोत्तर रेलवे

पूर्वोत्तर रेलवे ने बाराबंकी-गोरखपुर-छपरा 425 किमी मुख्य रेलमार्ग पर राजधानी शताब्दी वंदे भारत और दूरंतो एक्सप्रेस चलाने के लिए एक और कदम बढ़ा दिया है। इलेक्ट्रिक लाइन 130 किमी रफ्तार वाले एलएचबी कोच की रेक और हाई स्पीड ट्रैक के बाद अब डबल डिस्टेंट सिग्नल लगाना शुरू कर दिया है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Thu, 22 Jul 2021 09:06 AM (IST)Updated: Thu, 22 Jul 2021 09:06 AM (IST)
गोरखपुर से राजधानी व दुरंतो एक्सप्रेस चलाने की तैयारी हो रही है। - प्रतीकात्मक तस्वीर

गोरखपुर, प्रेम नारायण द्विवेदी। पूर्वोत्तर रेलवे ने बाराबंकी-गोरखपुर-छपरा लगभग 425 किमी मुख्य रेलमार्ग पर राजधानी, शताब्दी, वंदे भारत और दूरंतो एक्सप्रेस चलाने के लिए एक और कदम बढ़ा दिया है। इलेक्ट्रिक लाइन, 130 किमी रफ्तार वाले एलएचबी कोच की रेक और हाई स्पीड ट्रैक के बाद अब डबल डिस्टेंट सिग्नल लगाना शुरू कर दिया है। इन ट्रेनों को संचालित करने के लिए यह जरूरी व्यवस्थाएं पूरी होने के बाद वर्ष 2023 से इस रूट पर भी अधिकतम अनुमन्य रफ्तार 100 से बढ़कर 130 किमी प्रति घंटा हो जाएगी।

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गोरखपुर से छपरा के बीच 23 करोड़ से लगेंगे डबल डिस्टेंट सिग्नल

गोरखपुर के रास्ते बाराबंकी से छपरा तक डबल डिस्टेंट सिग्नल लगाने की स्वीकृति मिल चुकी है। गोरखपुर से छपरा ग्रामीण स्टेशन तक 23 करोड़ 52 लाख रुपये बजट स्वीकृत है। वाराणसी मंडल के कुसम्ही, सरदारनगर और चौरीचौरा स्टेशन पर सिग्नल लगाने के कार्य भी शुरू हो चुके हैं। जानकारों के अनुसार जल्द ही लखनऊ मंडल के गोरखपुर से गोंडा के रास्ते बाराबंकी रूट पर भी डबल डिस्टेंट सिग्नल लगाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

यहां जान लें कि स्टेशन यार्ड के बाहर डिस्टेंट सिग्नल से आगे लगाए जाते हैं। जिसमें सिर्फ पीले और हरे रंग के सिग्नल होते हैं। जो लोको पायलटों को पीछे वाले यार्ड स्थित सिग्नलों की स्थिति के बारे में सावधान करते रहते हैं। हरे रंग के सिग्नल पर ट्रेन बिना ब्रेक के निर्धारित रफ्तार से यार्ड में प्रवेश कर जाती है। सिग्नल पीला होने पर ट्रेनें नियंत्रित हो जाती हैं।

राजधानी की तर्ज पर चलती है अरुणाचल एक्सप्रेस

गोरखपुर के रास्ते आनंदविहार से नाहरलागून के बीच अरुणाचल एक्सप्रेस के नाम से एक वातानुकूलित ट्रेन सप्ताह में दो दिन चलती है। भविष्य में इस ट्रेन को ही राजधानी के रूप में दिल्ली से नाहरलागून होते हुए इटानगर के बीच चलाने की योजना है। जानकारों के अनुसार दिल्ली-नाहरलागून रेलमार्ग पर सिर्फ बाराबंकी से छपरा तक का ट्रैक ही राजधानी चलने लायक नहीं है। ऐसे में इस रूट पर डबल डिस्टेंट सिग्नल लगते ही राजधानी को हरी झंडी मिल जाएगी।

पटना से दिल्ली के बीच भी चलने लगेगी राजधानी

बाराबंकी-गोरखपुर-छपरा रूट पर डबल डिस्टेंट सिग्नल लग जाने के बाद लखनऊ के रास्ते पटना से दिल्ली के बीच राजधानी चलने लगेगी। छपरा और पाटलीपुत्र के रास्ते पटना से लखनऊ होते हुए दिल्ली तक राजधानी का रास्ता साफ हो जाएगा। गोरखपुर और लखनऊ होकर गुवाहाटी से दिल्ली के बीच भी राजधानी ट्रेन का रास्ता तैयार हो जाएगा।

गोरखपुर से छपरा ग्रामीण के मध्य डबल डिस्टेंट सिग्नल लगाने के लिए स्वीकृति मिल चुकी है। द्वितीय डिस्टेंट सिग्नल लगने के बाद यह रेल खंड सिग्नल के दृष्टिकोण से 130 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाने योग्य हो जाएगा। - पंकज कुमार सिंह, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी- पूर्वोत्तर रेलवे।


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