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कबाड़ बेचकर करोड़पति हो गया यह विभाग, कमाए इतने रुपये Gorakhpur News

कबाड़ से कमाई में पूर्वोत्‍तर रेलवे अव्‍वल रहा है। स्क्रैप की बिक्री से पूर्वोत्‍तर रेलवे ने 44.37 करोड़ रुपये की कमाई की है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Sun, 30 Aug 2020 07:01 PM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2020 01:50 AM (IST)
कबाड़ बेचकर करोड़पति हो गया यह विभाग, कमाए इतने रुपये Gorakhpur News
कबाड़ बेचकर करोड़पति हो गया यह विभाग, कमाए इतने रुपये Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना काल में आय प्रभावित होने के बाद खर्चों में कटौती के साथ ही पूर्वोत्‍तर रेलवे ने कबाड़ को भी आय का जरिया बना लिया। कारखानों में निकलने वाले स्‍क्रैप (कबाड़) जो नीलामी न होने की वजह से दो-तीन साल पड़े रहते थे, रेलवे ने उसे प्राथमिकता के आधार पर निस्‍तारित किया। नतीजा रहा कि पूर्वोत्‍तर रेलवे पूरे भारतीय रेलवे में स्‍क्रैप निस्‍तारण में नंबर एक पर रहा।

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रेलवे बोर्ड के रेल दृष्टि पोर्टल के अनुसार वर्ष 2020 में पूर्वोत्तर रेलवे को 28 अगस्त तक स्क्रैप की बिक्री से 44.37 करोड़ की आय हुई है। यह आय पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 86.74 फीसद अधिक है। वर्ष 2019 में इसी अवधि में 23.76 करोड़ रुपये की बिक्री हुई थी। पूर्वोत्तर रेलवे में 16 जून 2020 से स्क्रैप की बिक्री के लिए नीलामी की प्रक्रिया शुरू हुई है। नीलामी प्रक्रिया में रेल की पटरियां, धातुओं के सामान, रद घोषित वैगन, कोच एवं इंजन तथा अन्य अनुपयोगी सामग्रियां शामिल की गईं थीं। स्क्रैप की बिक्री की प्रक्रिया ई नीलामी के तहत पूरी की गई। ई नीलामी की प्रक्रिया से कम समय में ही स्क्रैप की बिक्री पूरी कर ली गई। इससे कोरोना संक्रमण से बचाव तो हुआ ही बिक्री में पूरी तरह पारदर्शिता भी बनी रही।

अब चक्का घरों से ही निस्तारित हो जाएंगे टर्निंग-बोरिंग

अब कारखाने व कौवाबाग स्थित चक्का घर से निकलने वाले टर्निंग- बोरिंग (रेलवे के चक्कों से निकलने वाले लोहे के पतले स्क्रैप) का निस्तारण भंडार डिपो से नहीं, बल्कि चक्का घर से ही होगा। एनई रेलवे मजदूर यूनियन (नरमू) की पहल पर महाप्रबंधक ने अब मौके से ही निर्धारित समय में टर्निंग- बोरिंग के निस्तारण के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिया है। नरमू ने इस मामले को महामंत्री केएल गुप्त के नेतृत्व में महाप्रबंधक के साथ स्थाई वार्ता तंत्र की बैठक में उठाया था। टर्निंग- बोरिंग को निस्तारित करने के लिए चक्का घरों से भंडार डिपो भेजा जाता था। टर्निंग- बोरिंग की ढुलाई में रेलवे को अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता था। रास्ते में गिरे स्क्रैप से रेलकर्मी घायल भी होते थे।

भंडार विभाग के प्रयासों, बेहतर समन्वय व निगरानी से ही यह उपलब्धि हासिल की जा सकी है। स्क्रैप बिक्री से रेलवे को न सिर्फ राजस्व मिलता है, बल्कि रेलवे परिसर भी साफ-सुथरा होता है। - पंकज कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनई रेलवे- गोरखपुर। 


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