रेल पटरियों पर दबाव भी बढ़ा, साल भर में नहीं हुई कोई दुर्घटना Gorakhpur News
एक वर्ष में 79 मानव सहित क्रासिंग बंद किए गए हैं जिसमें 65 अंडरपास बनाए गए हैं। 50 हजार से अधिक टीयूवी वाले क्रासिंग को पूरी तरह सिग्नल सिस्टम से इंटरलॉक किया गया है।
गोरखपुर, जेएनएन। पूर्वोत्तर रेलवे में संरक्षा बढ़ी तो सुरक्षा भी पुख्ता हो गई। इसका प्रमाण है, बीते वित्तीय वर्ष में (अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक) पूर्वोत्तर रेलवे में कोई भी रेल दुर्घटना का न होना। जबकि, 2018-19 में अलग-अलग स्थानों पर चार रेल दुर्घटनाएं हुईं थीं। यह तब है जब पटरियों पर ट्रेनों का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। सिर्फ गोरखपुर रूट पर ही रोजाना औसत 150 ट्रेनें चलती हैं।
26 अप्रैल 2018 की दुर्घटना में 13 छात्रों की हुई थी मौत
26 अप्रैल 2018 को तमकुही रोड और दुदही स्टेशन के बीच मानव रहित क्रासिंग (अनमैंड क्रासिंग) पर हुई भीषण दुर्घटना ने रेलवे प्रशासन को हिला दिया था। 13 छात्रों के असमय काल के गाल में समा जाने के बाद रेलवे प्रशासन ने दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाई और महज छह माह में अनमैंड क्रासिंग को व्यवस्थित कर दिया। इसके बाद शुरू हुआ पटरियों को मरम्मत करने, बदलने व सिग्नल सिस्टम को मजबूत करने का कार्य। रेलवे बोर्ड ने भी साथ दिया और 2019 के आम बजट में संरक्षा कार्य के लिए 176.63 करोड़ तथा रेलपथ नवीनीकरण के लिए 457 करोड़ रुपये आवंटित कर दिया। परिणाम सामने है। जहां एक वर्ष पूर्व अनमैंड क्रासिंग हर पल दुर्घटना को दावत दे रहे थे, वहां सिग्नल सिस्टम कार्य करने लगा है। पूर्व सैनिक सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। रेल मंत्रालय ने 2020 के आम बजट में भी पूर्वोत्तर रेलवे के संरक्षा कार्य (रोड ओवर ब्रिज व अंडर ब्रिज) के लिए 235.72 करोड़ तथा रेलपथ नवीनीकरण के लिए 250 करोड़ रुपये आवंटित किया है।
एक साल में बनाए 65 अंडरपास
एक वर्ष में 79 मानव सहित क्रासिंग बंद किए गए हैं, जिसमें 65 अंडरपास बनाए गए हैं। 50 हजार से अधिक टोटल वेहिकल यूनिट (टीयूवी) वाले क्रासिंग को पूरी तरह सिग्नल सिस्टम से इंटरलॉक किया गया। ऐसे में क्रासिंग पर मानवीय भूल से भी दुर्घटना नहीं होगी।
दुर्घटना पर पूरी तरह से अंकुश लगाने का हो रहा प्रयास
इस संबंध में पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह का कहना है कि 2019 में संरक्षा को सुदृढ़ बनाने के लिए लगातार कार्य हुए। अंडरपास बन रहे हैं, पटरियां बदली जा रही हैं, सिग्नल सिस्टम में सुधार हो रहा है तथा ट्रेनों में एलएचबी (लिंक हाफमैनबुश) कोच लगाकर दुर्घटना पर पूरी तरह अंकुश लगाने का प्रयास किया जा रहा है।