गोरखपुर शहर की अवैध कालोनियों को वैध कराने की किसी को परवाह नहीं Gorakhpur News
हालांकि जीडीए की ओर से शमन नीति को लागू करने के बाद तेजी से कार्य के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ बनाया गया है। लेकिन एक भी मानचित्र नहीं आया।
गोरखपुर , जेएनएन। शासन की ओर से लागू शमन नीति 2020 को गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने भले ही स्वीकार कर लिया है, लेकिन अवैध से वैध होने के लिए इसकी शर्तों को पूरा कर पाना आसान नहीं है। यही कारण है कि 21 जुलाई से छह महीने के लिए लागू इस नीति के तहत अभी तक किसी ने आवेदन नहीं किया है। जीडीए की ओर से कुछ बड़े वाणिज्यिक निर्माण वाले लोगों से फोन पर संपर्क भी किया गया, लेकिन कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
कठिन शर्तों को लेकर कुछ प्रमुख आर्किटेक्टों ने आपत्ति भी जताई है। शर्तों में कुछ छूट नहीं मिली तो 90 फीसद अवैध निर्माण को वैध कराने का इंतजार समाप्त नहीं होगा। हालांकि जीडीए की ओर से शमन नीति को लागू करने के बाद तेजी से कार्य के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ बनाया गया है। लेकिन, एक भी मानचित्र न आने के कारण अभी तक इस पर काम शुरू भी नहीं हो सका है।
क्या हैं प्रमुख शर्तें
नई शमन नीति में जिन शर्तों का प्रावधान है, उसके मुताबिक अवैध कॉलोनियों में बने मकान को वैध नहीं किया जा सकेगा। जीडीए ने सर्वे में 50 से अधिक अवैध कॉलोनियों को चिन्हित किया है। शमन नीति की शर्तों के अनुसार यहां बने आवासीय एवं वाणिज्यिक निर्माण वैध नहीं हो सकेंगे। करीब 25 ऐसी कॉलोनियां हैं, जिनके ले आउट स्वीकृत हैं। इन कॉलोनियों में बिना मानचित्र स्वीकृत कराए जो निर्माण हुए हैं, उसका मानचित्र स्वीकृत किया जा सकता है। प्राधिकरण बिना ले आउट वाले क्षेत्रों के सब डिवीजन चार्ज (उप विभाजन शुल्क) लेकर मानचित्र स्वीकृत करता है, लेकिन शमन नीति के मुताबिक सब डिवीजन वाले भूखंड पर बने निर्माण को वैधता नहीं मिलेगी। जीडीए क्षेत्र के 90 फीसद निर्माण या तो अवैध कॉलोनियों में बने हैं या सब डिवीजन क्षेत्र में। शर्त के मुताबिक, निर्माण को वैध कराने के लिए पंजीकृत आर्किटेक्ट से नक्शा और शुल्क पहले ही भवन स्वामी को जीडीए में जमा कराना होगा। कामर्शियल और हाई रिस्क एरिया के नक्शों के लिए फायर, प्रदूषण, एयरफोर्स, नगर निगम, पीडब्लूडी, एनएचएआइ से लेकर अन्य विभागों की अनापत्ति लेनी पड़ेगी। अवैध निर्माण को सरकारी विभागों से अनापत्ति प्राप्त करना भी आसान नहीं होगा। नई शमन नीति की शर्तों के कारण कई बिल्डरों के वाणिज्यिक निर्माण को वैध कराने की योजना भी धरी रह गई। ऐसे करीब 30 भवन मालिक हैं।
अभी तक नहीं मिला आवेदन
इस संबंध में जीडीए के टाउन प्लानर हितेश का कहना है कि नई शमन नीति के तहत लोगों को सुविधा देने के लिए विशेष प्रकोष्ठ बनाया गया है। यहां लोगों की दिक्कतों को सुनकर दूर करने की कोशिश होगी। समस्याएं आएंगी तो उनके समाधान के लिए उच्च अधिकारियों से भी संपर्क किया जाएगा। अभी तक कोई आवेदन नहीं आया है।