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नहीं आई जांच रिपोर्ट,पहुंच गए अस्पताल

48 घंटे की जगह चार दिन में नहीं आ पा रही आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 11:21 PM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 11:21 PM (IST)
नहीं आई जांच रिपोर्ट,पहुंच गए अस्पताल
नहीं आई जांच रिपोर्ट,पहुंच गए अस्पताल

जागरण संवाददाता, बस्ती : कोविड-19 के शिकार मरीजों को आक्सीजन और बेड के ही नहीं जांच के लिए भी जूझना पड़ रहा है। जयपुरवा की अंकिता मिश्रा दस दिन से कोविड जांच रिपोर्ट के लिए भटक रही हैं। बताया दो मई को सैंपल दिए। तीन को रिपीट सैंपल के लिए कहा गया। काफी प्रयास के बाद छह मई को टीम घर पर सैंपल लेने आई। चार दिन बाद पोर्टल पर रिपोर्ट अवेटेड बताने लगा। कैथवलिया की शीला सिंह को सांस लेने में तकलीफ थी। रुधौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाई गईं। यहां से जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। एंबुलेंस नहीं मिला तो स्वयं के वाहन से स्वजन मरीज को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। आवास विकास कालोनी के ऐश्वर्य कुमार ने कोविड की आरटीपीसीआर जांच के लिए सैंपल दिए लेकिन सात दिन तक रिपोर्ट नहीं आई। कैली में जाने के लिए एंबुलेंस की सहायता मांगते रहे गए लेकिन इसके लिए कोविड की जांच रिपोर्ट मांगी जाती रही। मामला सीएमओ तक पहुंचा तब जाकर एंबुलेंस मिली। यह मामले तो महज बानगी है। सैकड़ों ऐसे मामले हैं जिसमें जांच रिपोर्ट समय से नहीं मिलने के चलते जांच से लेकर भर्ती और इलाज कराने में मरीजों के स्वजन को पसीने छूट रहे हैं। जागरण ने बुधवार को कोविड जांच व्यवस्था और मरीजों को हो रही दिक्कतों की पड़ताल की। पेश है रिपोर्ट।

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बस्ती में कोविड जांच का बुरा हाल है। कहने को कैली हास्पिटल और जिला अस्पताल के साथ ही जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में कोविड जांच की सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा आरआरटी भी आरटीपीसीआर के लिए सैंपल संकलित कर रही है। प्रतिदिन आरटीपीसीआर जांच के लिए एक हजार सैंपल लिए जा रहे हैं। इतनी ही संख्या में कोरोना संदिग्धों की एंटीजन किट से कोविड की जांच की जा रही है। सांस की समस्या और चेस्ट में इंफेक्शन वाले मरीज तेजी से सामने आ रहे हैं। इनकी जांच रिपोर्ट 24 से 48 घंटे में आ जानी चाहिए लेकिन सात दिन में भी रिपोर्ट नहीं आ पा रही है। यह समस्या एक दो की नहीं बल्कि अधिकतर की है। ऐसे में कोरोना संदिग्धों को एंबुलेंस सेवा से लेकर अस्पताल में भर्ती होने तक के लिए जूझना पड़ रहा है। अस्पताल में चिकित्सकों के लिए भी ऐसे मरीजों की इलाज शुरू करने में दिक्कत आ रही है। जांच में अब आएगी तेजी

महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कालेज में आरटीपीसीआर जांच के लिए स्थापित बायोसेफ्टी लेबल 2 (बीएसएल 2) लैब में प्रतिदिन 800 सैंपल की जांच हो रही थी लेकिन एक महीने तक यहां की जांच घटकर आधी रह गई थी। दो चिकित्सकों समेत दस लैब सहायक कोरोना पाजिटिव हो गए थे। सह आचार्य डा.वंदना उपाध्याय ही अकेले लैब में सुबह से लेकर रात तक जूझती रहीं। निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद सहायक आचार्य डा.विनोद कुमार मौर्य और लैब सहायक काम पर आ गए हैं। दो दिन से जांच में तेजी देखने को मिल रही है। अब तक हुई एक लाख जांच महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कालेज की सह आचार्य डा.वंदना उपाध्याय ने बताया बीएसएल टू लैब सितंबर 20 में शुरू किया गया तब से लेकर अब तक एक लाख पांच हजार सैंपल जांच के लिए बस्ती जिले से भेजे गए। 90 हजार सैंपल की जांच की जा चुकी है। 24 घंटे का ही बैकलाग रह गया है। लैब के अधिकतर लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए थे जिससे 800 की जगह चार सौ की ही जांच हो पा रही थी। अब यह समस्या दूर हो गई है। मंगलवार को 881 आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट जारी की गई। प्रतिदिन कोविड की आरटीपीसीआर जांच के लिए एक हजार से अधिक सैंपल संकलित किए जा रहे हैं जिसमें से 850-900 तक की जांच रिपोर्ट जारी कर दी जा रही है। जांच में और तेजी लाने की दिशा में तेजी से प्रयास किए जा रहे हैं। रही बात कोरोना के लक्षण वाले मरीजों को भर्ती और इलाज करने की तो जिला अस्पताल और कैली हास्पिटल में ऐसे मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। इमरजेंसी में चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों को मरीजों के साथ सम्मानजनक व्यववहार और त्वरित गति से इलाज शुरू किए जाने के निर्देश दिए जा चुके हैं। श्रीमती सौम्या अग्रवाल,जिलाधिकारी बस्ती


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