नहीं चेते तो खंडहर हो जाएंगी ऐतिहासिक धरोहरें
डा. राकेश राय, गोरखपुर धरोहरों को संजोए रखने की शासन-प्रशासन की फिक्र महज गाल बजाने तक सिमटी कर रह
डा. राकेश राय, गोरखपुर
धरोहरों को संजोए रखने की शासन-प्रशासन की फिक्र महज गाल बजाने तक सिमटी कर रह गई है। धरातल पर इसे लेकर न कोई सोच दिख रही और न संजीदगी। लापरवाही का आलम यह है कि इसे लेकर दो वर्ष पूर्व जारी अध्यादेश को स्थानीय प्रशासन ने तमाम प्रयासों के बाद भी गंभीरता से नहीं लिया है। अध्यादेश के मुताबिक धरोहरों की मानक पर देखरेख करने के लिए एक धरोहर संरक्षण समिति का गठन होना है, मगर समिति का गठन तो दूर ऐसे किसी अध्यादेश की जानकारी से भी स्थानीय प्रशासन इन्कार कर रहा है। उधर कहीं बसंत सराय जैसी ऐतिहासिक इमारतें संरक्षण के अभाव में ढह ही हैं तो कहीं चौरीचौरा और मगहर जैसे ऐतिहासिक स्थल सुंदरीकरण अभियान का हिस्सा बनकर अपना मूल स्वरूप खोते जा रहे हैं।
धरोहरों को संरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध संस्था इंडियन नेशनल ट्रस्ट ऑफ आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इंटेक) की सलाह पर आवासीय व शहरी नियोजन विभाग की ओर से यह अध्यादेश दो वर्ष पूर्व यानी 20 जनवरी 2016 को जारी किया गया। 14 पन्ने के इस अध्यादेश में न केवल धरोहरों के संरक्षण के मानक बताए गए हैं बल्कि उन मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए एक धरोहर संरक्षण समिति के गठन की बात भी कही गई है। संरक्षण के मानक के अनुपालन में किसी तरह की कोई प्रशासनिक या तकनीकी चूक न हो, इसके लिए प्रशासनिक अफसरों से लेकर धरोहर विशेषज्ञों तक को समिति का हिस्सा बनाने का प्रावधान किया गया है। समिति की कमान जिलाधिकारी या विकास प्राधिकरण अध्यक्ष/उपाध्यक्ष संभालेंगे, ऐसा अध्यादेश में निर्देशित है। इस अध्यादेश के जारी होने के बाद इंटेक के गोरखपुर चैप्टर के संयोजक ने समिति के गठन को लेकर कई बार लिखित और मौखिक पहल शासन से प्रशासन स्तर तक की, बावजूद इसके समिति का गठन अब तक नहीं हो सका है।
बहुत किया प्रयास पर नहीं मिली सफलता : ई. कंडोई
इंटेक के गोरखपुर चैप्टर के संयोजक ई. महावीर कंडोई ने बताया कि अध्यादेश जारी होने के बाद उन्होंने समिति के गठन को लेकर तत्कालीन जीडीए उपाध्यक्ष से मुलाकात की। उपाध्यक्ष ने जब मौखिक मुलाकात का संज्ञान नहीं लिया तो इंटेक की ओर से फरवरी 2016 को एक पत्र भी जीडीए को भेजा गया। बावजूद इसके जब कोई सक्रियता नहीं दिखी तो जून 2016 में सूचना के अधिकार के तहत समिति के गठन की जानकारी मागी गई लेकिन वह जानकारी आज तक नहीं मिल सकी है। ई. कंडोई ने बताया कि समिति के गठन को लेकर उन्होंने चैप्टर के सह संयोजक स्व. पीके लाहिड़ी के साथ 16 नवंबर 2017 में नगर नियोजन विभाग के प्रमुख सचिव से लखनऊ में मुलाकात भी की लेकिन वह मुलाकात आश्वासन तक सिमट कर रह गई। उन्होंने बताया कि समिति गठन के लिए वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी 27 मार्च 2017 को पत्र दे चुके हैं।
धरोहर संरक्षण समिति का यह है प्रारूप
जिलाधिकारी या विकास प्राधिकरण अध्यक्ष/उपाध्यक्ष (अध्यक्ष), संस्कृति विभाग का प्रतिनिधि (सचिव), दो धरोहर संरक्षण आर्किटेक्ट (सदस्य), स्ट्रक्चरल इंजीनियर (सदस्य), पर्यावरण विशेषज्ञ या प्रकृति इतिहासविद्, इंटेक का प्रतिनिधि (सदस्य), प्राधिकरण का मुख्य नगर नियोजक (सदस्य), नगर आयुक्त (सदस्य), आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया का प्रतिनिधि (सदस्य), मुख्य नगर नियोजक विभाग का प्रतिनिधि (सदस्य)। इसके अलावा यह कमेटी को पाच और ऐसे सदस्यों को जोडऩे का अधिकार होगा, जो धरोहर संरक्षण की समझ रखते हैं।
संरक्षण समिति का निर्धारित है यह कार्य
धरोहर स्थलों का चिन्हीकरण करना
धरोहरों का श्रेणी वार विभाजन करना
धरोहर संरक्षण का लोगों को तरीका बताना
धरोहरों का मूल स्वरूप कायम रखते हुए सुंदरीकरण का तरीका बताना
धरोहर स्थलों को विकसित करने का मानक निर्धारित करना
धरोहरों का स्वरूप बिगाडऩे वाले के लिए कार्रवाई की संस्तुति करना
धरोहर संरक्षण समिति का गठन कराएंगे : कमिश्नर
गोरखपुर मंडल के कमिश्नर व गोरखपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष अनिल कुमार ने कहा कि ऐसे किसी अध्यादेश की मुझे कोई जानकारी नहीं है। अगर ऐसा है तो अध्यादेश की कॉपी निकलवाकर निर्देश के मुताबिक धरोहर संरक्षण समिति का गठन कराया जाएगा, जिससे धरोहरों के संरक्षण को लेकर प्रशासन को मार्ग-दर्शन मिल सके।