नई सोच से संकट को अवसर में बदला, डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से ग्राहकों से संपर्क
मुरलीधर अग्रहरी बताते हैं कि व्यापार को खड़ा करने में बहुत मेहनत की। दो दशक के पहले जब यहां की बाजार नहीं विकसित थी तब बर्तन का कारोबार शुरू किया। समय के साथ जिला बना और मुख्यालय की बाजार बढऩे लगी तो स्वर्ण व्यवसाय में कदम रखा।
सिद्धार्थनगर, जेएनएन। सीखने की प्रवृत्ति निरंतर बनी रहनी चाहिए। सीखने की प्रवृत्ति का ही परिणाम है कि कोरोना संक्रमण काल के संकट को डिजिटल लेनदेन से अवसर में बदला। दो दशक पूर्व बर्तन की दुकान से ज्वेलर्स का व्यवसाय शुरू करने वाले मुरलीधर अग्रहरी ने कोरोना संकट को अवसर में बदल कर व्यापार को संभाला। छोटे से शहर में तीन से चार करोड़ का सालाना व्यापार कर रहे हैं। बीस कामगारों को रोजगार भी दे रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान जब सब व्यापार ठप था तो इनकी जीविका को भी सहारा दिया। कोरोना संक्रमण में आई चुनौतियों का सामना करने के लिए ई-कॉमर्स का सहारा लिया। खुद की वेबसाइट बनाई। फेसबुक, वाट्सएप व गूगल पर प्रचार प्रसार कर व्यापार को संभाले रखा।
पहले करते थे बर्तन का कारोबार
अभिषेक ज्वैलर्स के प्रोपराइटर मुरलीधर अग्रहरी बताते हैं कि व्यापार को खड़ा करने में बहुत मेहनत की। दो दशक के पहले जब यहां की बाजार नहीं विकसित थी, तब बर्तन का कारोबार शुरू किया। समय के साथ जिला बना और मुख्यालय की बाजार बढऩे लगी तो स्वर्ण व्यवसाय में कदम रखा। समय के साथ कारोबार बढ़ता गया। शहर में तीन और शाखाएं भी खोल दी। कोरोना संक्रमण के दौरान बाजार पर खासा असर पड़ा। ईद व लग्न का सीजन लाकडाउन में बीत गया। इस दौरान शोरूम बंद था। ग्राहक नहीं आ रहे थे। सोने-चांदी के जेवर का व्यापार सीजन व फैशन पर आधारित होता है। फैशन हमेशा बदलता रहता है। मूल्य में भी परिवर्तन होता रहता है। इस कारण से इस धंधे में चुनौतियां हैं। इन सभी चुनौतियों का सामना किया।
लाकडाउन में बनाई कार्य योजना
लाकडाउन के दौरान व्यापार को संभालने की कार्ययोजना तैयार की। ग्राहकों से लगातार संवाद बनाये रखने का प्रयास किया। उनके सुझाव को मूर्त रूप देने का प्रयास किया। आनलाइन शाङ्क्षपग की ओर कदम बढ़ाए। गूगल के माध्यम से प्रचार प्रसार में तेजी लाने का प्रयास किया। कोरोना संक्रमण से पहले प्रतिमाह 30 से 35 लाख रुपये का टर्नओवर था। तीन माह तक व्यापार प्रभावित रहा, लेकिन ई-कॉमर्स के माध्यम से इसे संभाला। अनलाक के दूसरे चरण के बाद व्यापार उठने लगा है। अब प्रतिमाह 20 से 25 लाख तक का टर्नओवर हो रहा है। इसे और भी बेहतर होने की संभावना है। कोरोना संकट के दौरान खुद को और परिवार को संक्रमण से बचाने की भी जिम्मेदारी थी। परिवार के सभी सदस्य सतर्क रहे। प्रतिष्ठान के कर्मचारियों को भी सतर्क रहने की हिदायत दी गई। कोरोना संक्रमण से सभी लोग सुरक्षित रहे। शारीरिक दूरी का नियम का पालन करने से बचाव संभव हुआ। लाकडाउन के दौरान जनसहयोग में भी हाथ बढ़ाया। 50 से ज्यादा परिवारों को रोजमर्रा का सामान व अनाज उपलब्ध कराया। दुकान में ग्राहकों को मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है। अगर किसी ग्राहक के पास मास्क नहीं मौजूद है तो प्रतिष्ठान उसे उपलब्ध कराता है।
लाकडाउन में बंद था रास्ता, ई-कॉमर्स ने संभाला
अनलॉक के प्रथम चरण में बाजार के पास कई संक्रमित मिले। प्रशासन ने पूरे क्षेत्र को कंटेंमेंट जोन घोषित कर दिया। रास्ता बंद होने के कारण ग्राहकों का आना-जाना बंद था। ई-कॉमर्स को माध्यम बनाया। आनलाइन आर्डर होने पर आभूषणों की होम डिलीवरी की। भुगतान भी आनलाइन किया गया।
ग्राहकों में अभी भी व्याप्त है कोरोना का भय
बाजार खुलने के बाद भी ग्राहकों में कोरोना का भय व्याप्त है। खुद और अपने कर्मचारियों के साथ संक्रमण से बचाव के लिए ग्राहकों को जागरूक करते रहते हैं। सभी आने वाले ग्राहकों की थर्मल स्क्रीङ्क्षनग की जा रही है। शारीरिक दूरी के नियम का पालन करने के लिए प्रेरित किया जाता है। बिना मास्क आने वालों का प्रवेश निषेध है।
डिजिटल लेनदेन का लिया सहारा
ग्राहकों के संपर्क में रहने के लिए नई तकनीकी के साथ कारोबार करने का निर्णय लिया। सभी ग्राहकों के नंबरों की सूची तैयार की गई। मैसेज भेजकर उन्हें प्रोडक्ट और आफर की जानकारी साझा की गई। मुरलीधर अग्रहरी बताते हैं कि कोरोना संकट ने भविष्य के लिए बहुत कुछ सिखाया। तकनीकी का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। कैशलेस पेमेंट जैसे गूगल पे, फोन पे, भीम यूपीआई, कार्ड स्वैप आदि के माध्यम से ग्राहकों को सुविधा देने की कोशिश जारी है। डिजिटल मार्केटिंग के लिए कर्मचारियों को अपडेट किया गया है।