पूर्वांचल में तैयार होगी फलों की नई पट्टी
केवीके बेलीपार ने आम अमरूद के 400 पौधे सेंटर आफ एक्सीलेंस बस्ती (इजराइल के सहयोग से स्थापित) व लीची के 300 पौधे अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर (बिहार)से मंगाए गए हैं। इससे बड़े पैमाने पर आम अमरूद व लीची के पौधे तैयार किए जाएंगे।
गोरखपुर, जेएनएन। आने वाले वर्षों में गोरखपुर जिला आम, अमरूद, लीची की नई बेल्ट के रूप में जाना जाएगा। नरेन्द्र देव कृषि विश्वविद्यालय फैजाबाद से संबद्ध कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) बेलीपार को कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा सेंटर आफ एक्सीलेंस की मंजूरी मिली है। अब यहां आम, अमरूद व लीची की वह प्रजातियां तैयार की जाएंगी जो यहां आमतौर पर नहीं होती हैं। केवीके बेलीपार ने आम, अमरूद के 400 पौधे सेंटर आफ एक्सीलेंस बस्ती (इजराइल के सहयोग से स्थापित) व लीची के 300 पौधे अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर (बिहार)से मंगाए गए हैं। इससे केवीके में बड़े पैमाने पर आम, अमरूद व लीची के पौधे तैयार किए जाएंगे। बाद में उसका वितरण पूर्वांचल के 24 जिलों में होगा।
दूसरे प्रदेशों के आम भी पैदा हो सकेंगे यहां
आम की कई प्रजातियां ऐसी हैं, जिनके लिए पूर्वांचल के लोगों को दिल्ली, मुंबई, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश जैसी जगहों पर निर्भर रहना पड़ता है। इन फलों की मांग भी यहां पर बहुत है। ऐसे में पूर्वांचल को आम के ऐसे क्षेत्र के रूप में विकसित करने की तैयारी चल रही है कि यहां के दशहरी, गौरजीत, चौसा, कपुरी, मालदह, सफेदा आदि बाहर की प्रजातियों के भी आम मिल सकें। इसलिए केवीके बेलीपार में आम की नई प्रजाति टामी एटकिंस, पूषा अरुणिमा, पूषा पीतांबरी, पूषा अंबिका आदि के पौधे सेंटर आफ एक्सीलेंस बस्ती से मंगाए गए हैं। यह क्षेत्र नई फल पट्टी के रूप में विकसित हो, इसलिए केवीके बेलीपार में आम के अलावा नई प्रजाति के अमरूद व लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर (बिहार)से 300 मूल प्रजाति के पौधे मंगाए गए हैं। इन पौधों से केवीके बेलीपार में लाखों की संख्या में आम, अमरूद व लीची के पौधे तैयार होंगे। उसके बाद इन पौधों का वितरण पूर्वांचल के 24 जिलों में किसानों में किया जाएगा।
आम की अधिकांश प्रजातियां मिलेंगी
केवीके बेलीपार के अध्यक्ष डॉ एसके तोमर का कहना है कि आम, अमरूद व लीची के मूल प्रजाति के 700 पौधे मंगा लिए गए हैं। इन पौधों के एक वर्ष के होने के बाद इनसे अन्य पौधे तैयार किए जाएंगे। उसके बाद इनका वितरण शुरू होगा। इससे यह क्षेत्र फल की नई पट्टी के रूप में विकसित होगा। इस क्षेत्र में आम की अधिकांश प्रजातियां मिल सकेंगी।