कोरोना से सिकुड़ी फेफड़ों की नसों को ठीक करने की नई दवा गोरखपुर पहुंची Gorakhpur News
यह दवा भारत में नई है। इसके पहले विदेश में इसका इस्तेमाल हो रहा था। कोरोना के चलते लोगों के फेफड़ों में आई सिकुडऩ को देखते हुए कंपनियों नेे इस दवा को भारत में भी उतार दिया है। इस दवा के इस्तेमाल से मरीजों को ज्यादा राहत मिली है।
गजाधर द्विवेदी, गोरखपुर। कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद भी अनेक लोग अभी सांस की समस्या से उबर नहीं पाए हैं। पहले सामान्य दवाओं से उन्हेंं ठीक करने की कोशिश की गई लेकिन ज्यादा लाभ नहीं हुआ। कंपनियों ने एक नई दवा- निनटेडानिब, बाजार में उतारी हैं। अभी तक यह दवा भारत में उपलब्ध नहीं थी।
कोरोना से पीडि़त होने के बाद संक्रमण से तो मुक्ति मिल गई लेकिन फेफड़ों में रक्त के थक्के जमने से आई सिकुडऩ (फाइब्रोसिस) के चलते मरीजों को बाद में दिक्कतें बढऩी शुरू हो गईं। फाइब्रोसिस के चलते सांस लेने की तकलीफ बढ़ गई । केवल बीआरडी मेडिकल कालेज में अब तक ऐसे 16 मरीजों ने संपर्क किया। निजी चिकित्सकों के यहां आने वाले मरीजों की संख्या 45 से अधिक है। डाक्टरों के मुताबिक फाइब्रोसिस की कोई अच्छी दवा न होने से ऐसे मरीजों का इलाज कठिन हो रहा था। सामान्य दवाओं से उन्हें बहुत लाभ नहीं मिल रहा था। यह दवा भारत में नई है। इसके पहले विदेश में इसका इस्तेमाल हो रहा था। कोरोना के चलते लोगों के फेफड़ों में आई सिकुडऩ को देखते हुए कंपनियों नेे इस दवा को भारत में भी उतार दिया है। इस दवा के इस्तेमाल से मरीजों को ज्यादा राहत मिली है।
कैसे होता है फाइब्रोसिस
कोरोना के जिन मरीजों के फेफड़ों की नसों में रक्त के थक्के जम गए। वहां खून का दौरा बंद हो गया। इसलिए बाद में वह हिस्सा सिकुड़ गया। इससे सांस लेने में समस्या आ रही है। यही फाइब्रोसिस है। सीना रोग विशेषज्ञ डा. वीएन अग्रवाल का कहना है कि अभी तक फाइब्रोसिस की कोई अच्छी दवा उपलब्ध नहीं थी। इस दवा के आ जाने से मरीजों को काफी राहत मिल रही है। पहले जो दवाएं थीं, वह बहुत ज्यादा कारगर नहीं थीं। फिजीशियन डा. गौरव पांडेय का कहना है कि यह दवा मूलत: फाइब्रोसिस की है। कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में भी फाइब्रोसिस की समस्या आ रही है। ऐसे लोगों का इलाज इस दवा से आसान हो जाएगा।