गोरखपुर दीवानी कचहरी के संचालन के लिए जारी किए गए नए दिशा-निर्देश
जनपद न्यायाधीश दुर्ग नरायन सिंह ने दीवानी कचहरी के संचालन के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किया है। यह दिशा-निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू कर भी कर दिया गया है। उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने आदेश जारी किया है जिसके अनुपालन में गोरखपुर में निर्णय लिया गया।
गोरखपुर, जेएनएन। उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने अधीनस्थ न्यायालयों के संचालन के लिए पहले से जारी गाइड लाइन में संशोधन किया है। इसके अनुपालन में जनपद न्यायाधीश दुर्ग नरायन सिंह ने दीवानी कचहरी के संचालन के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किया है। यह दिशा-निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू कर भी कर दिया गया है।
इन कार्यों के लिए दस न्यायिक अधिकारियों को जिम्मेदारी
नए आदेश के मुताबिक अब पहले से लंबित एवं नवीन जमानत प्रार्थना पत्र, अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र, रिलीज प्रार्थना पत्र, धारा 164 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत बयान, रिमांड कार्य, अन्य आवश्यक प्रकीर्ण फौजदारी प्रार्थना पत्र, नामित पीठासीन अधिकारियों के न्यायालयों से संबंधित लघु प्रकृति के आपराधिक वादों का निस्तारण एवं हाई पावर कमेटी की ओर से समय-समय पर निर्गत दिशा-निर्देशों के अनुपालन व सिविल प्रकृति के आवश्यक एवं त्वरित प्रकृति के व्यादेश व अन्य आवश्यक मामलों में सुनवाई की जाएगी। यह सभी कार्य दस न्यायिक अधिकारी रोटेशन से टाइम स्लाट के आधार पर करेंगे।
जनपद न्यायाधीश की अनुमति से कचहरी परिसर में प्रवेश
किसी मामले का निस्तारण अतिआवश्यक होने की स्थिति में संबंधित पीठासीन अधिकारी जनपद न्यायाधीश की अनुमति से साक्ष्य ले सकते हैं। ऐसी स्थिति में उस मामले से संबंधित वादकारी एवं अधिवक्ता जनपद न्यायाधीश की अनुमति से कचहरी परिसर में प्रवेश कर सकेंगे। आरोप पत्र, पुलिस रिपोर्ट एवं कंपनी एक्ट के परिवाद संबंधित अदालतों में भौतिक रूप से स्वीकार किए जाएंगे। न्यायिक अधिकारी भौतिक रूप से भी जमानतनामा स्वीकृत कर सकते हैं। इन मामलों की सुनवाई संबंधित न्यायिक अधिकारी अपने आवासीय कार्यालय या न्यायालय के विश्राम कक्ष से वीडियो कांफ्रेंसिंग या वर्चुअल मोड से करेंगे।
विचाराधीन बंदियों से रिमांड के लिए होगी वीडियो कांफ्रेंसिंग
विचाराधीन बंदियों से संबंधित न्यायिक कार्य, उनकी ओर से प्रस्तुत अन्य प्रकीर्ण प्रार्थना पत्र एवं अवकाश के दिन रिमांड कार्य भी वीडियो कांफ्रेंसिंग अथवा वर्चुअल मोड में किया जाएगा। इन मामलों में जिला न्यायालय की ई-मेल आइडी पर प्रार्थना प्रेषित किया जा सकता है। ई-मेल से भेजे गए प्रार्थना पत्र पर अधिवक्ता व वादकारी का पूर्ण विवरण, मोबाइल नंबर एवं ईमेल आईडी का उल्लेख करना अनिवार्य है। न्यायालय के संचालन के दौरान कचहरी परिसर में कम से कम कर्मचारियों को प्रवेश की अनुमति रहेगी। उनकी ड्यूटी रोटेशन से टाइम स्लाट के आधार पर लगाई जाएगी।