नई शिक्षा नीति से तैयार होगी माटी से जुड़े छात्रों की प्रतिभा Gorakhpur News
उत्तर प्रदेश में 26 फीसद ही नामांकन अभी तक है नई शिक्षा नीति इसे 50 फीसद तक ले जाने की क्षमता रखती है। 2020-30 के दौरान इसे उच्च शिक्षा के क्षेत्र में किस प्रकार क्रियान्वित किया जाएगा इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
गोरखपुर, जेएनएन। नई शिक्षा नीति को हर स्तर पर व्यापक फीडबैक लेकर तैयार किया गया है। यह भारतीयता को बढ़ावा देते हुए माटी से जुडे हुए छात्रों को तैयार करने की बात करती है। उत्तर प्रदेश में 26 फीसद ही नामांकन अभी तक है, नई शिक्षा नीति इसे 50 फीसद तक ले जाने की क्षमता रखती है। 2020-30 के दौरान इसे उच्च शिक्षा के क्षेत्र में किस प्रकार क्रियान्वित किया जाएगा, इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
उच्च शिक्षा के स्तर को और बढ़ाने की जरूरत
यह बातें दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (दीदउ गोविवि) के कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने कही। वह विश्वविद्यालय के संवाद भवन में दीक्षा सप्ताह समारोह के अंतर्गत शिक्षा संकाय के तत्वावधान में आयोजित नई शिक्षा नीति विषयक व्याख्यान को बतौर अध्यक्ष संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में लाखों की संख्या में छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश का रुख कर रहे हैं। कई हजार करोड़ रुपये दूसरे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में खर्च हो रहे हैं। इन्हें रोकने के लिए उच्च शिक्षा के स्तर को और बढ़ाने की जरूरत है।
आजादी से 100 वर्ष पूर्व भारत में साक्षरता दर 97 फीसद रही
मुख्य वक्ता इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में शिक्षा संकाय के आचार्य सीबी शर्मा ने कहा कि अंग्रेजों ने हमारी शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया। आजादी के समय 70 फीसद साक्षरता दर थी। जबकि आजादी से 100 वर्षों पूर्व यह 97 फीसद थी। आजादी के बाद भी हमने शिक्षा के माध्यम में अंग्रेजी को स्वीकार कर लिया जबकि हमें भारतीय भाषा में शिक्षा मिलनी चाहिए थी। हमें आज के समय में अपनी मातृभाषा में शिक्षा मिलनी चाहिए। प्राथमिक शिक्षा में अगले एक वर्ष में आंगनबाड़ी या प्री स्कूल में सुबह का नाश्ता और दोपहर का भोजन भी दिया जाएगा। आभार ज्ञापन कला संकाय की अधिष्ठाता प्रो. नंदिता ङ्क्षसह तथा संचालन प्रो. सुषमा पांडेय ने किया।