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Nepal News: नेपाली छात्रों का चीनी दूतावास पर प्रदर्शन- अतिक्रमण बंद करो, नेपाली भूमि वापस करो का लगा नारा

चीन द्वारा नेपाल की जमीन पर अवैध कब्‍जाा कर उस पर इमारतें बनाने के विरोध में नेपाली छात्रों ने नेपाल में चीनी दूतावास के सामने प्रदर्शन किया। छात्रों ने अतिक्रमण बंद करो नेपाली भूमि वापस करो का नारा भी लगाया।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 07:05 AM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 10:28 AM (IST)
Nepal News: नेपाली छात्रों का चीनी दूतावास पर प्रदर्शन- अतिक्रमण बंद करो, नेपाली भूमि वापस करो का लगा नारा
नेपाली दूतावास पर प्रदर्शन करते नेपाली छात्र। फोटो- सोशल मीडिया

महराजगंज, जेएनएन। पड़ोसी देश नेपाल के नागरिकों में चीन के प्रति आक्रोश बढ़ रहा है। चीन की बढ़ती गतिविधियों से आक्रोशित नेपाली छात्रों ने सचेत समूह के अध्यक्ष शंकर हमाल के नेतृत्व में चीनी दूतावास के समक्ष प्रदर्शन किया। गो बैक चाइना के बैनर पोस्टर के साथ प्रदर्शनकारियों ने जमकर नारेबाजी की। 

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अतिक्रमण बंद करो, नेपाली भूमि वापस करो का लगा नारा

आक्रोशित छात्रों ने चीन अतिक्रमण बंद करो, नेपाली भूमि वापस करो आदि नारे लगाए गए। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग करते हुए शांत कराया। सचेत समूह के अध्यक्ष शंकर हमाल ने कहा कि इस मुद्दे पर पीएम केपी ओली चुप क्यों हैं शंकर हमाल ने चीन पर नेपाल की भूमि पर कब्जा करने का आरोप लगाया ।

चीनी दूतावास ने दिया स्पष्टीकरण

काठमांडू में चीनी दूतावास ने एक प्रेस नोट जारी कर कहा है चीन और नेपाल के बीच कोई क्षेत्रीय विवाद नहीं है। दोनों पक्षों ने हमेशा सीमा पर घनिष्ठ संबंध बनाए रखें हैं। चीन और नेपाल मित्रवत पड़ोसी हैं। चीन ने हमेशा नेपाल की संप्रभुता और भौगोलिक अखंडता का सम्मान किया है।

यह है मामला

नेपाल के हिम्ला जिले में सीमा स्तम्भ से करीब दो किलो मीटर की दूरी पर नेपाली भूमि पर कब्जा करके चीन के सैनिकों ने 9 भवनों का निर्माण किया है। इसके अलावा हुला जिले के मुख्यालय से दो दिन की दूरी पर रहे लाप्चा क्षेत्र में चीन के तरफ से अनाधिकृत तरीके से इमारतें बनाई गई है। इस जगह पर नेपाली नागरिकों के जाने पर भी रोक लगा दी गई है। मामला सामने आने के बाद नेपाल सरकार ने सुरक्षा एजेंसियों और प्रशासनिक अधिकारियों को ग्राउंड पर भेजा था। हलांकि चीन ने दावा करते हुए कहा है कि वो इमारतें जहां बनाई गई हैं वह चीन की ही जमीन में आता है। हालांकि, नेपाल का कहना है कि 11 नवंबर की सीमा स्तंभ ही गायब कर दी गई है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक जब नेपाली अधिकारी वहां पहुंचे तर चीन ने इमारत को लेकर बात करने से ही मना कर दिया। 


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