इंडो-नेपाल बार्डर खुलते ही सीमावर्ती बाजारों में खरीददारी करने उमडे नेपाली, कोरोना काल से बंद था बार्डर
कोविड के कारण करीब डेढ़ वर्ष से बेजार पड़े सीमावर्ती अब गुलजार होने लगे हैं। आने वाले दशहरा पर्व ने बाजारों की रौनक और बढ़ा दी है। सोनौली नौतनवा व भगवानपुर के बाजारों में भारी संख्या में नेपाली नागरिक खरीददारी के लिए आ रहे हैं।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। कोविड के कारण करीब डेढ़ वर्ष से बेजार पड़े सीमावर्ती अब गुलजार होने लगे हैं। आने वाले दशहरा पर्व ने बाजारों की रौनक और बढ़ा दी है। सोनौली, नौतनवा व भगवानपुर के बाजारों में भारी संख्या में नेपाली नागरिक खरीददारी के लिए आ रहे हैं। कपड़ा, मोबाइल, किराना सामग्री, मिठाई व सौंदर्य प्रसाधन के दुकानों पर ग्राहकों की भारी भीड़ जुट रही है।
सीमावर्ती इलाकों में दुकानदारों के चेहरे खिले
भारत और नेपाल में सीमाई इलाके में बसे गांवों के लोग रोजमर्रा की जरूरतों के लिए पडोसी देश के बाजारों पर निर्भर रहते हैं। कोरोना का प्रकोप शुरू होने के साथ ही दोनों देश के बीच की सीमा को सील कर दिया गया था। इससे आवाजाही पूरी तरह से बंद थी। कुछ दिन पहले सीमा खुलने के बाद बडी संख्या में नेपाली नागरिक भारतीय बाजारों में खरीदारी करने आने लगे हैं। व्यापार फिर से पटरी पर आने से दुकानदारों के चेहरे खिल गए हैं। निजी वाहनों के सरहद आरपार होने की छूट मिलने नेपाली नागरिक निजी वाहनों से नौतनवा बाजार के हनुमान चौक व जायसवाल मोहल्ला जैसे दशकों पुराने बाजारों में भी खरीददारी के लिए आने लगे हैं।
सीमाई इलाके के दुकानदार दूसरे देश की मुद्रा लेकर भी देते हैं सामान
सीमाई इलाके की भारतीय बाजारों के दुकानदार नेपाली मुद्रा और नेपाली बाजारों के दुकानदार भारतीय मुद्रा के बदले लेनदेन करते हैं। इतना ही नहीं एक दूसरे से स्थानीय भाषा में बात भी करते हैं। सोनौली में दुकान चलाने वाले मोहन सिंधी कहते हैं कि दुकान पर नेपाली ग्राहकों के आने का सिलसिला डेढ साल बाद शुरू हुआ है।
दुकान बंद करने की आ गई थी नौबत
सोनौली के ही दुकानदार श्याम मद्धेशिया बताते हैं कि सीमा बंद होने की वजह से नेपाली खरीदार नहीं आ रहे थे। इस वजह से उनके सामने दुकान बंद करने की नौबत आ गई थी। सीमा खुलने से स्थिति तेजी से सुधर रही है।