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नेपाल ने छोड़ा 3.88 लाख क्यूसेक पानी, कुशीनगर के कई गांवों में घुसा बाढ़ का पानी Gorakhpur News

नेपाल के वाल्मीकि नगर बैराज से तीन लाख 88 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने से कारण कुशीनगर जिले में नारायणी नदी फिर उफना गई है। इस कारण कई गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। कई गांवों के अस्तित्‍व पर खतरा पैदा हो गया है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 09:00 AM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 09:43 PM (IST)
कुशीनगर में नारायणी नदी के उफान पर आने से कई गावों में पानी घुस गया है। - फाइल फोटो

गोरखपुर, जेएनएन। नेपाल के वाल्मीकि नगर बैराज से तीन लाख 88 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने से पूर्वांचल में बाढ़ का खतरा गहना गया है। अधिक पानी छोड़े जाने के कारण कुशीनगर जिले में नारायणी नदी फिर उफना गई है। खतरे के निशान से पांच सेमी नीचे बह रही नदी का पानी खड्डा तहसील के शाहपुर, विंध्याचलपुर, बसंतपुर, मरिचहवा, महदेवा सहित आधा दर्जन से ज्यादा गांवों में घुस गया है। वहीं बसंतपुर से सोहगीबरवा जाने वाला मार्ग बाढ़ के पानी से डूब गया है। जलस्तर में भारी वृद्धि से 400 से अधिक मवेशी घिर गए हैं।

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कुशीनगर के इन गांवों पर मडराया खतरा

कुशीनगर के जिले के नारायणपुर व बालगोविंद छपरा गांव के पास बड़ी गंडक नदी भारी दबाव बनाए हुए है। मूसलधार बारिश के चलते लोग घरों से कहीं सुरक्षित स्थान पर शरण लेने के लिए निकल नहीं पा रहे हैं। नदी के बढ़ते जलस्तर की गंभीरता देखते हुए एसडीएम खड्डा अरविन्द कुमार, तहसीलदार डाॅ. एसके राय व नायब तहसीलदार डाॅ. रवि कुमार यादव के साथ महदेवा, सालिकपुर, छितौनी आदि गांवों का दौरा किया। बुधवार की शाम चार बजे पानी का डिस्चार्ज एक लाख 72 हजार क्यूसेक रहा, जो 24 घंटे में ढाई गुना बढ़ा है। छितौनी बांध के भैंसहा गेज पर नदी 95.95 मीटर से पांच सेमी नीचे है।डीएम ने दिया विशेष नजर रखने के निर्देश- डीएम भूपेंद्र एस चौधरी ने तमकुहीराज और खड्डा एसडीएम को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में विशेष नजर रखने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि लगातार बारिश व वाल्मीकि नगर बैराज से छोड़े जाने वाले पानी के डिस्चार्ज को लेकर विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है। तैयारियों का दोबारा आकलन कर लिया जाए।

खतरे के निशान से 85 सेंटीमीटर नीचे जलस्तर

कुशीनगर के पिपराघाट में जलस्तर खतरे के निशान 76.20 मीटर से 85 सेंटीमीटर नीचे है। शुक्रवार की सुबह तक यह पानी एपी बांध के किमी जीरो तक पहुंचने की संभावना है। पिपराघाट-नरवाजोत मार्ग‌ के किमी 0.650 से 1.500 के मध्य नदी कटान तेज हो रही है। लगभग 1.00 किमी लंबाई में नारायणी नदी उक्त मार्ग को अपने आगोश में लेने को आतुर है। नरवाजोत एक्सटेंशन बांध व एपी बांध के जंगली पट्टी के सामने बाघाचौर व अहिरौलीदान में दबाव के चलते स्थिति संवेदनशील है। ग्राम अहिरौलीदान के नोनिया पट्टी व डीह टोला के निवासी लल्लन बैठा, रामदेव बैठा, कन्हैया लाल, सुरेन्द्र, नथुनी, राजपति, श्रीकिशुन, हरिलाल, जनक यादव, सुबास यादव, विश्वनाथ यादव आदि लोगों का घर नदी में विलीन हो चुका है। ये लोग बांध पर शरण लिए है। 

स्पर पर नदी का दबाव

अमवाखास बांध के बरवापट्टी रिंग बांध को बचाने के लिये बनाए गए स्पर किमी 1.00 व लक्ष्मीपुर के सामने मेन बांध को बचाने के लिये बने स्पर पर दो स्थानों पर नदी का दबाव बना हुआ है। डिस्चार्ज बढ़ने से यदि स्पर कटता है तो फिर मेन बांध को बचा पाना मुश्किल होगा। इससे रामपुरबरहन, दरोगाडीह,परोरही ,धनुखटोली, गोबरही, बरवापट्टी, खैरटिया, गोबरही, बिचपटवा, दशहवा आदि दर्जनों गांव तबाह हो जाएगा।

डिस्चार्ज बढ़ने से बांध के जर्जर स्थानों पर मरम्मत कार्य कराया जा रहा है। विभागीय अधिकारी कैंप कर रहे हैं। कहीं कोई खतरे की बात नहीं है। - भरत राम, अधिशासी अभियंता, बाढ़ खंड, कुशीनगर।


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