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नेपाल के विपक्षी नेताओं ने पीएम ओली को कोसा, संसद भंग करने की प्रक्रिया को लोकतंत्र की हत्या बताया

नेपाली कांग्रेस के सांसद व पूर्व गृह राज्यमंत्री देवेंद्र राज कंडेल ने कहा कि प्रधानमंत्री ओली का निर्णय संविधान के खिलाफ है। उन्होंने जनता के साथ विश्वासघात किया है। नेपाली कांग्रेस के विधायक अष्टभुजा पाठक ने कहा कि ओली सरकार ने देश के ऊपर चुनाव का भार लाद दिया है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 21 Dec 2020 07:30 AM (IST)Updated: Mon, 21 Dec 2020 08:44 PM (IST)
नेपाल के विपक्षी नेताओं ने पीएम ओली को कोसा, संसद भंग करने की प्रक्रिया को लोकतंत्र की हत्या बताया
संसद भंग करने पर नेपाल के विपक्षी नेताओं ने पीएम ओली की आलोचना की है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

महराजगंज, जेएनएन। नेपाली कांग्रेस सहित मधेश के विभिन्न दलों ने प्रधानमंत्री की सिफारिश के बाद राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी द्वारा प्रतिनिधि सभा को भंग करने के निर्णय पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की सिफारिश संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। सत्ताधारी पार्टी में शुरू हुई वर्चस्व की लड़ाई में नेपाली जनता पर चुनाव का बोझ डाल दिया गया है। यहां तक कि सीपीएन माओवादी के कार्यकारी अध्यक्ष  पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने भी इस फैसले पर नाराजगी जाहिर की है। 

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चुनाव थोपकर नेपाली जनता पर आर्थिक बोझ डाल रही सरकार

नेपाली कांग्रेस के नवलपरासी से सांसद व पूर्व गृह राज्यमंत्री देवेंद्र राज कंडेल ने कहा कि प्रधानमंत्री ओली का निर्णय संविधान के खिलाफ है। उन्होंने जनता के साथ विश्वासघात किया है। नेपाली कांग्रेस के विधायक अष्टभुजा पाठक ने कहा कि ओली सरकार ने देश के ऊपर चुनाव का भार लाद दिया है। नेपाली कम्युनिष्ट पार्टी के नेता व पूर्व मंत्री गुलजारी यादव ने कहा कि सरकार ने प्रतिनिधि सभा को भंग करने की सिफारिश कर लोकतंत्र की हत्या की है। कोरोना संक्रमण के चलते नेपाल पहले ही आर्थिक संकट से जूझ रहा है। 

राष्ट्रीय जनता समाजवादी पार्टी ने ओली को कोसा

राष्ट्रीय जनता समाजवादी पार्टी के नेता व भैरहवा के विधायक संतोष पांडेय ने कहा कि ओली सरकार का जाना नेपाली जनता के लिए शुभ समाचार है। ओली सरकार सिर्फ अपने स्वार्थों के लिए काम कर रही थी। जनता से इस सरकार का कुछ भी लेना-देना नहीं था। वर्चस्व की लड़ाई के चलते यह सरकार समय से पूर्व ही विदा हो गई। ओली सरकार की विदेश नीति भी पूरी तरह से फेल रही। हमेशा सुख-दुख में साथ खड़ा रहने वाले पड़ोसी देश भारत का विश्वास भी नेपाल ने खो दिया।

भारत विरोध के चलते नाराज थे मधेशी

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली भारत विरोधी मानसिकता के चलते मधेशियों के निशाने पर आ गए थे। चीन के हाथों कठपुतली बने पीएम ओली शुरू से ही भारत को उकसाने वाली प्रवृत्ति के तहत कार्य करते रहे। बात चाहे भारत के साथ सीमा विवाद की हो या फिर अयोध्या मुद्दे पर दिए गए विवादित बयान की। हर मुद्दे पर उन्हें अपने ही देश में आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। भारत-नेपाल सीमा सील होने के पीछे भी वहां के लोग ओली सरकार को जिम्मेदार मान रहे हैं। नेपाली मूल के लोगों का कहना है कि जब वीजा पासपोर्टधारी विदेशी नागरिकों को नेपाल आने की अनुमति दी जा रही है तो वह कौन सी मजबूरी है कि भारतीय नागरिकों को नेपाल नहीं आने दिया जा रहा है।

हिंदू राष्ट्र और राजशाही की वापसी के लिए भी चल रहा आंदोलन

संसद भंग होने के साथ ही नेपाल एक तरफ देश में राजनीतिक संकट की स्थिति है तो दूसरी तरफ हिंदू राष्ट्र घोषित करने व राजशाही की वापसी के लिए भी वहां की जनता सड़क पर उतर गई है।  हिंदूवादी संगठन जगह-जगह मोटरसाइकिल रैली निकाल देश को पुनः हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग कर रहे हैं । आंदोलनकारियों  का समर्थन कमल थापा की अगुवाई वाली राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी भी कर रही है।


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