Move to Jagran APP

अब बौद्ध स्थलों पर भ्रम फैला रहा है नेपाल Gorakhpur News

नेपाल द्वारा तथ्यों को दरकिनार कर अपने यहां देवदह व रामग्राम को चिन्हित कर बौद्ध धर्मावलंबियों को गुमराह किया जा रहा है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 06:55 PM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 06:55 PM (IST)
अब बौद्ध स्थलों पर भ्रम फैला रहा है नेपाल Gorakhpur News
अब बौद्ध स्थलों पर भ्रम फैला रहा है नेपाल Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। भगवान राम की जन्म स्थली अयोध्या को लेकर विवादित बयान देने के बाद अब बौद्ध स्थलों पर भी ओली सरकार की नजर है। भारत के विदेश मंत्री डा. एस जयशंकर के बयान के बाद नेपाल सरकार की प्रतिक्रिया को इसी रणनीति का हिस्सा माना जा है। गौतम बुद्ध की ननिहाल देवदह व कोलिय वंश की राजधानी रामग्राम को लेकर नेपाल द्वारा भ्रम फैलाया जा रहा है। हालांकि इन दोनों स्थानों को लेकर पुरातत्वविद् अभी एकमत नहीं हैं, लेकिन महराजगंज जिले में इन स्थलों के होने की संभावना जताते हुए राज्य पुरातत्व विभाग ने दो स्थानों को संरक्षित किया है। अब  नेपाल द्वारा तथ्यों को दरकिनार कर अपने यहां देवदह व रामग्राम को चिन्हित कर बौद्ध धर्मावलंबियों को गुमराह किया जा रहा है। विदेशी पर्यटकों को सुनियोजित तरीके से नेपाली गाइड कथित देवदह व रामग्राम का दर्शन भी कराते हैं।

loksabha election banner

उज्जैनी का नाम बदल कर दिया रामग्राम

नेपाल के नवलपरासी जिले के सीमावर्ती कस्बे महेशपुर से महज पांच किमी दूरी पर बसा उज्जैनी नामक स्थान अब रामग्राम के नाम से जाना जाता है। नेपाल द्वारा इस पूरे क्षेत्र को रामग्राम घोषित कर दिया गया है। महराजगंज के पुरातात्विक स्थल पुस्तक के लेखक व महंत अवेद्यनाथ पीजी कालेज के पूर्व प्राचार्य डा. परशुराम गुप्त बताते हैं कि नेपाल द्वारा जिस स्थान को कोलिय वंश की राजधानी रामग्राम बताया जा रहा है, वह वास्तव में मोरिय वंश की राजधानी पिप्पलिवन है। फाह्यान ने स्तूप की स्थिति कुशीनगर से 12 योजन पश्चिम बताई है। वहां मौजूद अंगार स्तूप को नेपाल रामग्राम का महास्तूप नाम देकर प्रचारित कर रहा है।

महराजगंज में संरक्षित है 88 एकड़ भूमि

नौतनवा तहसील क्षेत्र के बनरसिहा कला गांव को पुरातत्वविदों ने बुद्धकालीन देवदह के रूप में पहचाना है। यहां की 88 एकड़ भूमि को  राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है। इस भूमि पर किसी भी प्रकार का उत्खनन व निर्माण कार्य करने पर रोक है। 1992 में पुरातत्व विभाग की पटना यूनिट द्वारा डा. लाल ङ्क्षसह के नेतृत्व में इस स्थल का उत्खनन कराया गया था। उत्खनन से प्राप्त सामग्री को गोरखपुर व कुशीनगर के संग्रहालय में रखा गया है। जिले के धरमौली गांव के समीप जंगल में रामग्राम का महास्तूप (धातु चैत्य) भी मौजूद हैै। इस पूरे क्षेत्र की पहचान कोलिय वंश की राजधानी रामग्राम के रूप में हुई है।

नरसिहा कला गांव ही बुद्धकालीन देवदह नगर

राज्य पुरातत्व विभाग लखनऊ  के क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी नरसिंह त्‍यागी का कहना है क‍ि नेपाल द्वारा बुद्ध की ननिहाल देवदह व रामग्राम के बारे में स्थल निर्धारण को लेकर गलत प्रचार किया जा रहा है। महराजगंज जिले का बनरसिहा कला गांव ही बुद्धकालीन देवदह नगर है। धरमौली गांव के समीप जंगल में रामग्राम का महास्तूप  स्थित हैै। पुरातत्व विभाग द्वारा इन दोनों स्थलों को विकसित किया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.