अब बौद्ध स्थलों पर भ्रम फैला रहा है नेपाल Gorakhpur News
नेपाल द्वारा तथ्यों को दरकिनार कर अपने यहां देवदह व रामग्राम को चिन्हित कर बौद्ध धर्मावलंबियों को गुमराह किया जा रहा है।
गोरखपुर, जेएनएन। भगवान राम की जन्म स्थली अयोध्या को लेकर विवादित बयान देने के बाद अब बौद्ध स्थलों पर भी ओली सरकार की नजर है। भारत के विदेश मंत्री डा. एस जयशंकर के बयान के बाद नेपाल सरकार की प्रतिक्रिया को इसी रणनीति का हिस्सा माना जा है। गौतम बुद्ध की ननिहाल देवदह व कोलिय वंश की राजधानी रामग्राम को लेकर नेपाल द्वारा भ्रम फैलाया जा रहा है। हालांकि इन दोनों स्थानों को लेकर पुरातत्वविद् अभी एकमत नहीं हैं, लेकिन महराजगंज जिले में इन स्थलों के होने की संभावना जताते हुए राज्य पुरातत्व विभाग ने दो स्थानों को संरक्षित किया है। अब नेपाल द्वारा तथ्यों को दरकिनार कर अपने यहां देवदह व रामग्राम को चिन्हित कर बौद्ध धर्मावलंबियों को गुमराह किया जा रहा है। विदेशी पर्यटकों को सुनियोजित तरीके से नेपाली गाइड कथित देवदह व रामग्राम का दर्शन भी कराते हैं।
उज्जैनी का नाम बदल कर दिया रामग्राम
नेपाल के नवलपरासी जिले के सीमावर्ती कस्बे महेशपुर से महज पांच किमी दूरी पर बसा उज्जैनी नामक स्थान अब रामग्राम के नाम से जाना जाता है। नेपाल द्वारा इस पूरे क्षेत्र को रामग्राम घोषित कर दिया गया है। महराजगंज के पुरातात्विक स्थल पुस्तक के लेखक व महंत अवेद्यनाथ पीजी कालेज के पूर्व प्राचार्य डा. परशुराम गुप्त बताते हैं कि नेपाल द्वारा जिस स्थान को कोलिय वंश की राजधानी रामग्राम बताया जा रहा है, वह वास्तव में मोरिय वंश की राजधानी पिप्पलिवन है। फाह्यान ने स्तूप की स्थिति कुशीनगर से 12 योजन पश्चिम बताई है। वहां मौजूद अंगार स्तूप को नेपाल रामग्राम का महास्तूप नाम देकर प्रचारित कर रहा है।
महराजगंज में संरक्षित है 88 एकड़ भूमि
नौतनवा तहसील क्षेत्र के बनरसिहा कला गांव को पुरातत्वविदों ने बुद्धकालीन देवदह के रूप में पहचाना है। यहां की 88 एकड़ भूमि को राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है। इस भूमि पर किसी भी प्रकार का उत्खनन व निर्माण कार्य करने पर रोक है। 1992 में पुरातत्व विभाग की पटना यूनिट द्वारा डा. लाल ङ्क्षसह के नेतृत्व में इस स्थल का उत्खनन कराया गया था। उत्खनन से प्राप्त सामग्री को गोरखपुर व कुशीनगर के संग्रहालय में रखा गया है। जिले के धरमौली गांव के समीप जंगल में रामग्राम का महास्तूप (धातु चैत्य) भी मौजूद हैै। इस पूरे क्षेत्र की पहचान कोलिय वंश की राजधानी रामग्राम के रूप में हुई है।
नरसिहा कला गांव ही बुद्धकालीन देवदह नगर
राज्य पुरातत्व विभाग लखनऊ के क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी नरसिंह त्यागी का कहना है कि नेपाल द्वारा बुद्ध की ननिहाल देवदह व रामग्राम के बारे में स्थल निर्धारण को लेकर गलत प्रचार किया जा रहा है। महराजगंज जिले का बनरसिहा कला गांव ही बुद्धकालीन देवदह नगर है। धरमौली गांव के समीप जंगल में रामग्राम का महास्तूप स्थित हैै। पुरातत्व विभाग द्वारा इन दोनों स्थलों को विकसित किया जाएगा।