Move to Jagran APP

ऊंच-नीच की खाई पाटने के लिए होली खेलते हैं नाथ योगी Gorakhpur News

सामाजिक समरसता नाथ पंथ के आदर्शों का मूल है। गुरु गोरक्षनाथ से लेकर योगी आदित्यनाथ तक सभी नाथ योगियों ने इसके लिए खुद समर्पित किया है। नाथ योगियों द्वारा होली पर्व को धूमधाम से मनाने के पीछे भी पंथ का यही उद्देश्य छिपा हुआ है।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Mon, 29 Mar 2021 09:10 AM (IST)Updated: Mon, 29 Mar 2021 09:10 AM (IST)
ऊंच-नीच की खाई पाटने के लिए होली खेलते हैं नाथ योगी Gorakhpur News
फूलों से होली खेलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। फाइल फोटो

गोरखपुर, जेएनएन : सामाजिक समरसता नाथ पंथ के आदर्शों का मूल है। गुरु गोरक्षनाथ से लेकर योगी आदित्यनाथ तक सभी नाथ योगियों ने इसके लिए खुद समर्पित किया है। नाथ योगियों द्वारा होली पर्व को धूमधाम से मनाने के पीछे भी पंथ का यही उद्देश्य छिपा हुआ है। छुआछूत और ऊंच-नीच की खाई पाटने के लिए पहले दिग्विजयनाथ, उनके बाद महंत अवेद्यनाथ और 1996 से योगी आदित्यनाथ होली के दिन गोरखपुर में धूमधाम से निकलने वाली भगवान नरसिंह की शोभायात्रा में नियमित शामिल होते रहे हैं।फूहड़ता दूर कर समरसता के साथ होली मनाना उद्देश्‍य

loksabha election banner

भगवान नरसिंह शोभायात्रा की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक के प्रचारक नानाजी देशमुख ने 1944 में की थी, जबकि गोरखनाथ मंदिर में होलिका दहन की राख से होली मनाने की परंपरा उससे भी पुरानी है। नरसिंह शोभायात्रा से जुड़ने के पीछे नाना साहब का उदेश्य होली से फूहड़ता को दूर करके समरसता के साथ होली मनाना था, सो ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ भी इसमें कभी-कभी शामिल होने लगे। बाद में महंत अवेद्यनाथ के समय में नरसिंह यात्रा गोरखनाथ मंदिर और नाथ पंथ की होली का अभिन्न हिस्सा हो गया। 1996 से योगी आदित्यनाथ ने इसे अपनी अगुवाई में न केवल गोरखपुर बल्कि समूचे पूर्वी उत्तर प्रदेश में सामाजिक समरसता का विशिष्ट पर्व बना दिया। अब तो योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाले भगवान नरसिंह यात्रा का इंतजार लोगों को वर्ष भर रहता है। शोभायात्रा का आयोजक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ होता है और उस यात्रा में भगवान नरसिंह के रथ पर सवार होकर गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ लोगों के साथ बिना किसी भेदभाव के होली खेलते हैं और समरसता और सद्भावना का संदेश देते हैं।

राख का तिलक लगाकर होती है मंदिर की होली की शुृरुआत

गोरक्षपीठाधीश्वर की अगुवाई में गोरखनाथ मंदिर में होलिकोत्सव की शुरुआत होली के दिन सुबह सम्मत की राख से तिलक लगाने के साथ होती है। इस परंपरा में एक विशेष संदेश निहित होता है। होलिकादहन की परंपरा हमें भक्त प्रह्लाद और भगवान विष्णु के अवतार भगवान नरसिंह के पौराणिक आख्यान से भक्ति की शक्ति का अहसास कराती है। होलिकादहन की राख से तिलक लगाने के पीछे का मकसद भक्ति की शक्ति को समरसता से जोड़ना। योगी आदित्यनाथ हमेशा कहते हैं कि भक्ति जब भी अपने विकास की उच्‍च अवस्था में होगी तो भेदभाव, छुआछूत और अस्पृश्यता उसको छू भी नहीं सकेगी।

होली मिलन समारोह में भी दिखती है समरसता

होली के दिन शाम को गोरखनाथ मंदिर में होली मिलन समारोह का आयोजन किया जाता है। इसमें शहर के सभी गणमान्य और मंदिर के भक्त बिना किसी भेदभाव के आमंत्रित किए जाते हैं। गोरक्षपीठाधीश्वर खुद सभी को अबीर-गुलाल लगाकर होली की बधाई देते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.