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सांसद ने लोकसभा में उठाया बुद्ध से संबंधित रामग्राम व देवदह के विकास का मुद्दा

सांंसद ने कहा कि रामग्राम का स्तूप भगवान गौतम बुद्ध के अस्थि अवशेष के आठवें भाग पर बनाया गया था। यह उनकी समाधि है। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी राम ग्राम की यात्रा की थी। यहां ईटों से बने विशाल स्तूप के होने की बात लिखी है।

By Edited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 05:26 PM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 06:03 PM (IST)
सांसद ने लोकसभा में उठाया बुद्ध से संबंधित रामग्राम व देवदह के विकास  का मुद्दा
महराजगंज लोकसभा क्षेत्र के सांसद पंकज चौधरी की फोटो।

महराजगंज, जेएनएन। बौद्ध धर्मस्थल रामग्राम व देवदह के विकास का मुद्दा एक बार फिर लोकसभा में उठा। जिले के सांसद पंकज चौधरी ने लोकसभा में रामग्राम व देवदह को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग की। उन्‍होंने इसके समर्थन में कई तथ्‍य बताया और कहा कि इससे विदेशी पर्यटक आकर्षित होंगे और राजस्‍व बढ़ेगा।

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बुद्ध से जुड़े ये तीनों स्‍थान महराजगंज में

सांसद ने भगवान गौतम बुद्ध से संबंधित तीन महत्वपूर्ण बौद्ध स्थलों की चर्चा करते हुए कहा कि बुद्ध की ननिहाल देवदह, रामग्राम का धातु चैत्य तथा गृह त्याग के दौरान राजश्री वस्त्रा त्यागने का स्थान कुंवरवर्ती स्तूप महराजगंज जिले में है। यहां स्थल क्रमश: बनरसिया, कन्हैया बाबा का स्थान तथा चिउटहा गांव में स्थित है।

भगवना बुद्ध का ननिहाल था देवदह गांव

उन्होंने कहा कि देवदह गांव भगवान बुद्ध का ननिहाल था। यहां एक मंगल पोखरी थी, जिसमें केवल राज परिवार के लोग ही स्नान कर सकते थे। बनरसिया में यह आज भी स्थित है। उन्होंने कहा कि यहां भगवान बुद्ध के नाना महाराज अंजन के महल के अवशेष तथा ईंट से बने दो विशाल स्तूप भी हैं, जो संभवत: भगवान बुद्ध की मां महामाया तथा उनका लालन पालन करने वाली उनकी मौसी महाप्रजापति गौतमी के अस्थि अवशेषों पर बनाए गए हैं।

बुद्ध के अस्थि अवशेष के आठवें भाग पर बना था स्‍तूप

सांंसद ने कहा कि रामग्राम का स्तूप भगवान गौतम बुद्ध के अस्थि अवशेष के आठवें भाग पर बनाया गया था। यह उनकी समाधि है। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी राम ग्राम की यात्रा की थी। यहां ईटों से बने विशाल स्तूप के होने की बात लिखी है। सांसद पंकज चौधरी ने कहा कि 1992 में यहां पुरातत्व विभाग की पटना इकाई ने सीमित उत्खनन कराया था।

उत्‍खनन में पुरातात्विक महत्व के मिले थे अनेक कुषाण कालीन अवशेष

सीमित उत्‍खनन में पुरातात्विक महत्व के अनेक कुषाण कालीन अवशेष मिले है। राष्ट्रीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने सभी स्थानों को चिन्हित कराते हुए उत्खनन कराकर इसका विकास कराया जाना चाहिए।


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