Social Media बेटा परेशान मत होना, 'मदर्स' है ना.. Gorakhpur News
गोरखपुर में महिलाओं का एक ग्रुप मदर्स नामक वाट्सएप ग्रुप पर न केवल सुख-दुख बांट रहा है बल्कि मुश्किल वक्त में एक-दूसरे का सहारा भी बन रहा है।
गोरखपुर, रेनू सिंह। 'मदर्स' मदद कर रहा है उस हर मां की, जो बच्चों की खुशी के लिए अपनी सामान्य परेशानियां बेटों से साझा नहीं करना चाहतीं। यह महिलाएं मदर्स नामक वाट्सएप ग्रुप पर न केवल सुख-दुख बांटती हैं, बल्कि मुश्किल वक्त में एक-दूसरे का सहारा भी बनती हैं। विष्णुपुरम कालोनी में सात साल पहले हुआ यह प्रयोग अब विस्तार लेकर आस-पास के मोहल्लों में भी उपयोगिता साबित कर रहा है।
मदर्स की एडमिन वीना वर्मा को इस ग्रुप की जरूरत तब महसूस हुई जब मोहल्ले में ही एक व्यक्ति के निधन की खबर उनको काफी देर से मिली। वीना ने तय किया वह ऐसी महिलाओं को आपस में जोड़ेंगी, जिनके बच्चे नौकरी या पेशेगत मजबूरियों के चलते घर से दूर रहते हैं। वीना ने इस दिशा में अपने कदम बढ़ाए तो पुष्पा, रेनू, अंजली, शकुंतला, वीना श्रीवास्तव, इंदिरा, दीपिका, कल्पना, ऊषा, शारदा और मनोरमा जैसी महिलाएं भी उनके साथ चल पड़ीं। यह सभी आज मदर्स की मेंबर हैं, जहां वह अपनी छोटी से छोटी बात को भी बेझिझक साझा करती हैं। इन्होंने अपने बच्चों को भी बेफिक्र कर दिया है कि उनकी मां सुरक्षित हैं।
मुश्किल हालात में काम आया ग्रुप
कैंसर की मरीज और ग्रुप मेंबर वीना श्रीवास्तव ने बताया कि मेरी तबीयत एक दिन अचानक खराब हो गई। बेटी को कुछ नहीं सूझा तो उसने पड़ोसियों को बताने के साथ ग्रुप पर सूचना डाल दी। परिवार और रिश्तेदारों के आने से पहले ग्रुप मेंबर मेरे साथ खड़े थे। मनोरमा के साथ भी एक बार ऐसा ही हुआ था, तब सभी लोग उनके घर पहुंचे और उन्हें अस्पताल भिजवाया। शकुंतला के घर के बाहर एक रात को अचानक आहट होने लगी। उनके सूचना देने पर मेंबर के घर वाले पुरुष सदस्य शकुंतला के घर पहुंचे। एक सदस्य की आर्थिक स्थिति कमजोर होने का पता चला तो उनकी बेटी की शादी में भी सभी ने बढ़चढ़ कर मदद की।