यूपी चुनाव 2022 : डिजिटल प्रचार में खर्च पर निगरानी आसान नहीं
कोविड-19 संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए चुनाव आयोग ने रैली रोड शो नुक्कड़ सभा आदि रैलियों पर 31 जनवरी तक प्रतिबंध लगा रखा है। पहले यह तिथि 22 तक थी। अब इसे बढ़ाकर माह के अंत तक कर दिया गया है।
गोरखपुर, तेज प्रकाश त्रिपाठी। कोरोना काल ने विधानसभा चुनाव को बड़े स्तर पर बदला है। चुनाव में रैलियों और सभाओं का शोर नहीं है। संक्रमण के चलते भीड़ जुटाना प्रत्याशियों के लिए संभव भी नहीं दिखाई देता है। ऐसे में मतदाताओं तक पहुंचने के लिए इंटरनेट मीडिया सहारा लिया जा रहा है। सिद्धार्थनगर जिले में सभी प्रत्याशी इसी विधि से प्रचार के जरिये अपने हर मतदाता तक पहुंचने की जुगत लगा रहे हैं। इस प्रक्रिया में पैसा भी खर्च हो रहा है। पर इसकी निगरानी आसान नहीं है। क्योंकि इसके लिए अभी तक निर्वाचन आयोग की कोई स्पष्ट गाइड लाइन नहीं आई है।
जिला प्रशासन ने गठित की है टीम
प्रशासन ने इस तरह के प्रचार के जांच के लिए जनपद स्तरीय टीम का गठन कर दिया है। इंटरनेट प्रचार- प्रसार की खास बात यह है कि इसे कहां से बनवाया गया और इस पर क्या खर्च आया,इसका ब्योरा नहीं दर्ज किया जा रहा है। अब सवाल यह कि किसी ने कुछ दिनों के पश्चात पोस्ट को हटा दिया तो उसमें आए खर्च का गणना कैसे की जाएगी।
चुनावी रैलियों व सभाओं पर है प्रतिबंद्ध
कोविड-19 संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए चुनाव आयोग ने रैली, रोड शो, नुक्कड़ सभा आदि रैलियों पर 31 जनवरी तक प्रतिबंध लगा रखा है। पहले यह तिथि 22 तक थी। अब इसे बढ़ाकर माह के अंत तक कर दिया गया है। सब संभावित उम्मीदवार अपने प्रचार के लिए समर्थकों एवं परिचितों के इंटरनेट मीडिया का प्रचार का माध्यम बना चुके हैं। प्रशासन ने पहले से लगवाए गए पोस्टर- बैनर को चुनाव होते ही हटवा दिया है। अब चर्चा में बने रहने के लिए विभिन्न दलों के नेता के पास केवल इंटरनेट मीडिया का मात्र सहारा बचा है। चुनाव में इंटरनेट मीडिया की निगरानी के लिए जिला सूचना विज्ञान अधिकारी नसीम अहमद, युवा कल्याण अधिकारी राम प्रताप सिंह और ई-डिस्ट्रिक मैनेजर अमरेंद्र दुबे को शामिल किया गया है।
बताना होगा डिजिटल प्रचार के खर्च का ब्योरा
चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव के खर्च में एक नया कालम जोड़ दिया है। इंटरनेट माध्यम से हुए प्रचार-प्रसार का ब्योरा देना है। इस पर आने वाले खर्च को भी दर्शाना अनिवार्य किया गया है। पहले भी प्रत्याशी डिजिटल कैंपेन पर खर्च होने वाली राशि के बारे में जानकारी दिया करते थे। लेकिन यह पहला मौका है जब इस तरह के खर्चों की जानकारी देने के लिए अलग से कालम बनाया गया है।
इंटरनेट एकाउंट की नियमित की जा रही जांच
जिला सूचना विज्ञान अधिकारी एवं सदस्य इंटरनेट मीडिया सेल नसीम अहमद ने बताय कि सभी पार्टियों के नेता एवं कार्यकर्ताओं के इंटरनेट मीडिया पर निगाह रखी जा रही है। उन्हें इंटरनेट एकाउंट को नियमित सर्च किया जा रहा है। स्पष्ट गाइडलाइन न होने से थोड़ी समस्या आ रही है। जनपद में आचार संहिता लगने तक गाइडलाइन आ जाएगी। उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।