कोविड के साथ डेंगू-मलेरिया पर नजर रखेंगी निगरानी समितियां
कोविड संक्रमण की रोकथाम के लिए गठित की गईं निगरानी समितियां डेंगू-मलेरिया की रोकथाम के लिए भी सक्रिय रहेंगी । साथ ही कोविड टीकाकरण के लिए लोगों को प्रेरित करेंगी। इस संबंध में जिला स्तरीय मास्टर ट्रेनर्स को बुधवार को वर्चुअल प्रशिक्षण दिया गया।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। कोविड संक्रमण की रोकथाम के लिए गठित की गईं निगरानी समितियां डेंगू-मलेरिया की रोकथाम के लिए भी सक्रिय रहेंगी । साथ ही कोविड टीकाकरण के लिए लोगों को प्रेरित करेंगी। इस संबंध में जिला स्तरीय मास्टर ट्रेनर्स को बुधवार को वर्चुअल प्रशिक्षण दिया गया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. सुधाकर पांडेय ने अपील की है कि समितियों को सक्रिय कर बीमारियों की रोकथाम के साथ-साथ सौ फीसद कोविड टीकाकरण कराया जा सकता है।
किसी में काेविड का लक्षण दिखने पर विभाग को दें सूचना
विश्व स्वास्थ्य संगठन के सर्विलांस मेडिकल आफिसर डा. संदीप पाटिल ने निगरानी समितियों के दायित्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी। मास्टर ट्रेनर्स को बताया गया कि त्योहारों पर बाहर से आ रहे लोगों में अगर कोविड के लक्षण नजर आ रहे हैं तो समितियां इनकी सूचना तत्काल स्वास्थ्य विभाग को देंगी। इंसेफ्लाइटिस, डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया जैसे लक्षण वाले मरीजों की भी सूचना देनी है। समितियों के जरिये कोविड टीकाकरण से वंचित लोगों को प्रेरित भी किया जाए ।
सभी समितियों को दिए जाएंगे मेडिकल किट
जनपद में 1502 निगरानी समितियां हैं और इनके पास 37500 मेडिकल किट है । विभाग के पास भी 75100 मेडिकल किट है। सभी समितियों को 25-25 मेडिकल किट दी गई है, ताकि अगर कोई बीमार व्यक्ति है तो उसे किट उपलब्ध हो सके। किट देने के साथ-साथ समिति बीमार व्यक्ति के बारे में सूचना भी देगी। गांव की निगरानी समिति में ग्राम प्रधान अध्यक्ष होते हैं और उसमें आशा, आंगनबाड़ी, कोटेदार, रोजगार सेवक, ग्राम सदस्य शामिल होते हैं । इसी प्रकार वार्ड स्तरीय निगरानी समिति में पार्षद अध्यक्ष होते हैं ।
इन लक्षणों पर करायें कोविड
-बुखार
- खांसी
-शरीर अथवा सिर दर्द
-सांस लेने में कठिनाई या सांस फूलना
-स्वाद अथवा खुशबू का चले जाना
-बुखार के साथ दस्त
-बुखार के साथ त्वचा पर चकत्ते
इन लक्षणों पर लें अस्पताल की मदद
- लगातार कई दिनों तक 101 डिग्री से ज्यादा बुखार
- सांस फूलना और सांस लेने में परेशानी
- आक्सीजन का स्तर 94 फीसद से कम होना
- रोगी में मानसिक भ्रम की स्थिति