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गोरखपुर में सीएम योगी आद‍ित्‍यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्‍ट पर मुआवजे का पेंच, रेलवे ने रोका निर्माण कार्य

गोरखपुर का मोहद्दीपुर-जंगल कौड़िया फोरलेन का निर्माण रेलवे के मुआवजे के चक्कर में फंस गया है। रेलवे जिला प्रशासन से सड़क में पड़ने वाली भूमि का मुआवजा मांग रहा है जिला प्रशासन बिना नोटिस लिए सड़क तैयार कर रहा है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 07:30 AM (IST)Updated: Sat, 18 Sep 2021 09:02 PM (IST)
गोरखपुर में सीएम योगी आद‍ित्‍यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्‍ट पर मुआवजे का पेंच, रेलवे ने रोका निर्माण कार्य
गोरखपुर में मोहद्दीपुर-जंगल कौड़िया फोरलेन का न‍िर्माण कार्य रेलवे ने रोक द‍िया है।। - जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। Mohaddipur-Jungle Kauria Fourlane Gorakhpur: मोहद्दीपुर-जंगल कौड़िया फोरलेन का निर्माण रेलवे के मुआवजे के चक्कर में फंस गया है। रेलवे जिला प्रशासन से सड़क में पड़ने वाली भूमि का मुआवजा मांग रहा है, जिला प्रशासन बिना नोटिस लिए सड़क तैयार कर रहा है। ऐसे में रेलवे के इंजीनियरों ने गोरखनाथ पुल के पूर्वी छोर पर जूनियर इंस्टीट्यूट के पास सड़क चौड़ीकरण का कार्य रोक दिया है। जिला प्रशासन को रेलवे बोर्ड के दिशा-निर्देशों का अनुपालन कराने के लिए पत्र लिखने के साथ ही इंजीनियरों का कहना है कि भूमि का मुआवजा मिलने के बाद ही निर्माण कार्य की अनुमति प्रदान की जाएगी।

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यह है मामला

जानकारों के अनुसार सड़क को फोरलेन के लिए सड़क इंस्टीट्यूट की दीवार व नाला तोड़ी जानी है। दरअसल, मोहद्दीपुर से गोरखनाथ पुल तक बन रहे फोरलेन में बड़े क्षेत्रफल में रेलवे की भूमि पड़ रही है। सिर्फ धर्मशाला बाजार में ही सड़क के किनारे एक हजार मीटर भूमि का सीमांकन कराया गया है। सड़क निर्माण में आने वाली रेलवे की भूमि का सीमांकन भी कराया जा रहा है। रेलवे बोर्ड के मुताबिक लीज पर लेने व निर्धारित कीमत चुकाने के बाद ही रेलवे की भूमि का उपयोग किया का सकता है।

रेलवे ने कोई भी निर्माण करने से पूर्व बोर्ड के दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए लिखा पत्र

बोर्ड के निर्देशों के क्रम में रेलवे के उप मुख्य इंजीनियर (गोरखपुर क्षेत्र) रविन्दर मेहरा ने 19 दिसंबर 2020 को जिला प्रशासन को पत्र भी लिखा था। तत्कालीन जिलाधिकारी के विजयेंद्र पांडियन ने जिला प्रशासन व रेलवे के अधिकारियों की टीम गठित कर रिपोर्ट तैयार करने पर सहमति भी जताई थी। इसके बाद भी फोरलेन के निर्माण में रेलवे की भूमि राह का रोड़ा बनी हुई है। अभी तक कोई समाधान नहीं निकल सका है। यहां जान लें कि धर्मशाला बाजार चौराहा से गोरखनाथ पुल तक दर्जन भर लोगों ने अराजी संख्या 428 में स्थित रेलवे की 295 डिस्मिल भूमि पर दुकान और मकान खड़ा कर लिया है। साथ ही खतौनी से रेलवे का नाम हटवाकर अपना नाम दर्ज करा लिया है। रेलवे प्रशासन ने इस प्रकरण को लेकर भी जिला प्रशासन को चिट्ठी लिखी है।

रेलवे 35 साल के लिए लीज पर देता है भूमि

रेलवे प्रशासन राज्य सरकारों या अन्य संस्थाओं को उपयोग के लिए अपनी भूमि 35 साल के लिए लीज पर देता है। साथ ही भूमि की वर्तमान कीमत का 99 फीसद मूल्य भी लेता है। आपसी सहमति के बाद लीज की अवधि बढ़ जाती है।

संबंधित भूमि को रेलवे गोरखपुर क्षेत्र एवं जिला प्रशासन की संयुक्त टीम द्वारा चिन्हित किया गया है। आगे की कार्यवाही जिला प्रशासन से समन्वय स्थापित करते हुए रेलवे बोर्ड के प्रभावी दिशा- निर्देशों के अनुरूप की जाएगी। - पंकज कुमार सिंह, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी- पूर्वोत्तर रेलवे।

मोहद्दीपुर-जंगल कौड़िया मार्ग पर काम बंद नहीं हुआ है। यदि रेलवे की कोई आपत्ति है तो उनके वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर सुलझा लिया जाएगा। - विजय किरन आनंद, जिलाधिकारी।


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