इस वर्ष भी 175 रुपये पर काम करेंगे मनरेगा मजदूर
गोरखपुर : भारत की सबसे महत्वपूर्ण योजनाओं मे एक मनरेगा का इन दिनों बुरा हाल है। मनरेगा अब ध
गोरखपुर : भारत की सबसे महत्वपूर्ण योजनाओं मे एक मनरेगा का इन दिनों बुरा हाल है। मनरेगा अब धीरे धीरे अवसान की तरफ अग्रसर है जबकि दावे कुछ और ही है। दस वर्ष पहले जब मनरेगा आई थी तो लोगों ने इस योजना को हाथो हाथ लिया। तब लगा था कि यह योजना वाकई मे ग्रामीण भारत के लोगों के लिए काफी उपयोगी साबित होगी। तब लोगों को घर मे रहते हुए रोजगार मिलने लगा तो गाव में विकास के कार्य भी होने लगे। हलाकि इस योजना को जिम्मेदारों ने बुरी तरह से लूटा जिसका नतीजा रहा कि इस योजना को सीबीआइ जाच तक के हवाले करना पड़ा। लेकिन योजना ने लोगों की क्रय शक्ति बढ़ा दी। जिससे मजदूरी का बाजार दर भी तेजी के साथ बढ़ा। इससे मजदूरों के जीवन मे पहले की अपेक्षा काफी बदलाव हुए। लेकिन दस साल बाद मनरेगा अब अवसान की तरफ है। अब न तो पहले की अपेक्षा काम होते दिख रहे है और न ही मजदूर इस योजना मे रुचि दिखा रहे हैं। वह इसलिए कि मनरेगा का मजदूरी दर वर्तमान मे बाजार दर से काफी कम है।
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बाजार दर 300 तो मनरेगा मजदूरी 175
जब मनरेगा योजना आई थी तो बाजार दर 60 से 80 रुपये के बीच हुआ करता था और मजदूरों के सामने विकल्प न होने के कारण उनको इतने ही रुपये मे काम करना पडता था। मनरेगा लाच होते ही मजदूरी दर 100 रुपये हो गई तो मजदूरों ने बाजार से किनारा कस लिया और मनरेगा योजना मे मजदूरी करने लगे। उन्हें बाजार दर से ज्यादा पैसा मिलने लगा। मजबूरी मे बाजार दर बढ़ा, फिर भी मजदूरों का मनरेगा से मोहभंग नही हुआ। यहा काम के घटे बाजार से कम थे।
पिछले 10 वषरें मे जिस स्पीड से मजदूरों का बाजार दर बढ़ा उस स्पीड से मनरेगा मजदूरी नही बढ़ी जिसका नतीजा है कि अब मनरेगा मजदूरों का इस योजना से मोहभंग हो रहा है। वह बाजार को ही ज्यादा तवज्जो दे रहे है। वर्तमान में मजदूरों का बाजार दर 250 रुपये से लेकर 300 रुपये तक है जबकि मनरेगा मजदूरी आज भी महज 175 रुपये है।
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भुगतान कि किचकिच भी बन रही बडी वजह
मनरेगा योजना आने के बाद मजदूरों के खाते मे पैसा भेजे जाने की नियम बना ताकि कार्यदायी संस्था मनरेगा के मजदूरों का शोषण न कर पाए। लेकिन उसमे भी जिम्मेदारों ने छेद कर दिया। बैंक और डाकघर पर सेंटिग के जरिए पैसा पूरा हाथ मे निकाल लेते थे और मजदूरों को कम बाटते थे। इससे उनको शोषण एवं घोटाले करने का मौका मिलने लगा। लगातार आ रही शिकायत के बाद मनरेगा मजदूरों को आधार कार्ड से लिंक करने एवं सीधे खाते से भुगतान करने का नियम बना। इस नियम के बाद काफी हद तक मजदूरों का शोषण रुका और घोटालों के लिए जगह काफी कम हो गई। नतीजा यह रहा कि कार्यदायी संस्था खुद ही इस योजना से कतराने लगी। उधर सरकार ने भी मनरेगा मजदूरों की तरफ आख उठा कर नही देखा और पिछले साल महज एक रुपये की वृद्वि हुई तो चालू वित्तीय वर्ष मे एक रुपये का इजाफा भी नही किया गया जबकि अन्य प्रदेशों मे मनरेगा मजदूर इससे ज्यादा दर पर काम करते है।
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यह है दूसरे प्रदेशों में मनरेगा मजदूरी
कर्नाटक मे 249 रुपये, पंजाब मे 240 रुपये, महाराष्ट्र में 203 रुपये, तमिलनाडु मे 224 रुपये, तेलंगाना में 205 रुपये, केरल में 271 रुपये, बिहार में 168 रुपये पर मनरेगा मजदूर काम कर रहे है जबकि यूपी मे 175 रुपये ही मनरेगा मजूदरी है।
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मनरेगा मजदूरी दर तय करती है सरकार : मनरेगा उपायुक्त
इस बारे मे बात करने पर मनरेगा उपायुक्त रमेश कुमार का कहना है कि मनरेगा मजदूरी का दर सरकार तय करती है। इसमे हम लोगों का कोई रोल नही है। सरकार जो दर तय करती है। उसका भुगतान समय से हो जाय इसके लिए हमेशा तत्तपर रहा जाता है।
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