एमएमएमयूटी के छात्र पता लगाएंगे कि पिपराइच चीनी मिल में क्यों नहीं बढ़ रहा परता
पिपराइच चीनी मिल का परता प्रदेश की अन्य चीनी मिलों की अपेक्षा कम उतरता है। सामान्य तौर पर यहां चीनी का परता 10.4 किलो प्रति क्विंटल उतरना चाहिए लेकिन सिर्फ 8.84 किलो परता उतरता है। यहां सामान्य से 15 फीसद कम चीनी का उत्पादन हो रहा है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। पिपराइच चीनी मिल का परता प्रदेश की अन्य चीनी मिलों की अपेक्षा कम उतरता है। सामान्य तौर पर यहां चीनी का परता 10.4 किलो प्रति क्विंटल उतरना चाहिए, लेकिन सिर्फ 8.84 किलो परता उतरता है। यहां सामान्य से 15 फीसद कम चीनी का उत्पादन हो रहा है। बीते छह जनवरी को जिलाधिकारी के निरीक्षण में भी यह बातें सामनें आई हैं। ऐसे में चीनी मिल मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं की मदद लेगी। छात्र यह पता लगाएंगे कि चीनी मिल का परता क्यों कम आ रहा है और उसे दूर करने का प्रयास किया जाएगा।
औसत से कम आ रहा है चीनी का परता
सप्ताह भर पूर्व जिलाधिकारी विजय किरन आनंद ने पिपराइच चीनी मिल का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान पता चला था कि चीनी मिल औसत रूप से गन्ने से चीनी का परता सिर्फ 8.84 प्रतिशत आ रहा है, जबकि बगल के कुशीनगर जिले की हाटा चीनी मिल का परता 10 प्रतिशत से अधिक है। तकनीकी दिक्कतों के चलते चीनी मिल का परता नौ प्रतिशत से कम है।
आय से अधिक आ रहा मिल का खर्चा
इसके चलते चीनी मिल का खर्च भी आय से अधिक आ रहा है। चीनी मिल अब तकनीकि दिक्कतों को दूर करने के लिए मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के छात्रों से संपर्क साधेगी। विश्वविद्यालय का प्रतिनिधि मंडल चीनी मिल में शोध करेगा कि आखिर वहां परता कम क्यों है। चीनी मिल की तरफ से जिला गन्ना अधिकारी इसके लिए मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से संपर्क कर चुके हैं।
मिल द्वारा इतनी चीनी हुई तैयार
-चीनी मिल द्वारा पेराई सत्र 2019-20 में 45 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई की गई। चार लाख 42 हजार 565 क्विंटल चीनी का उत्पादन हुआ।
-पेराई सत्र 2020-21 में 24.99 क्विंटल गन्ने की पेराई हुई। दो लाख 32 हजार 347 क्विंटल चीनी का उत्पादन हुआ।
-पेराई सत्र 2021-22 में अब तक 12 लाख 64 क्विंटल गन्ने की पेराई हो चुकी है। एक लाख 20 हजार क्विंटल चीनी का उत्पादन हुआ है।
छात्रों का प्रतिनिधि मंडल करेगा तकनीकी दिक्कतों की जांच
जिला गन्ना अधिकारी शैलेंद्र अस्थाना ने बताया कि कुछ तकनीकी दिक्कतों के चलते चीनी का अच्छा उत्पादन नहीं मिल पा रहा है। इसके लिए मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से संपर्क किया गया है। जल्द ही वहां से छात्रों का एक प्रतिनिधि मंडल चीनी मिल में तकनीकि दिक्कत की जांच करेगा और फिर उस दिक्कत को दूर करने की कोशिश की जाएगी।