एमएमएमयूटी को मिली शहर के वायु प्रदूषण पर अध्ययन की जिम्मेदारी Gorakhpur News
ई-मेल में यह बताया गया है कि हाल ही में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दिल्ली ने प्रदेश के तीन बड़े शहरों नोएडा गोरखपुर और मेरठ में वायु प्रदूषण पर अध्ययन और नियंत्रण पर कार्ययोजना तैयार करने का निर्णय लिया है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को गोरखपुर शहर में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए स्वच्छ वायु कार्ययोजना तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी है। साथ ही सोर्स और कैरिंग कैपेसिटी पर अध्ययन का जिम्मा भी दिया है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ई-मेल के माध्यम से यह जानकारी विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के आचार्य प्रो. गोविंद पांडेय को दी है।
प्रदेश के तीन बड़े शहरों में गोरखपुर शामिल
ई-मेल में यह बताया गया है कि हाल ही में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दिल्ली ने प्रदेश के तीन बड़े शहरों नोएडा, गोरखपुर और मेरठ में वायु प्रदूषण पर अध्ययन और नियंत्रण पर कार्ययोजना तैयार करने का निर्णय लिया है। नोएडा के लिए यह जिम्मेदारी आइआइटी दिल्ली को सौंपी गई है। आइआइटी रुड़की मेरठ में वायु प्रदूषण का अध्ययन करेगा। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को गोरखपुर के वायु प्रदूषण पर कार्य कराने का निर्णय हुआ है। ई-मेल में यह भी बताया गया है कि 2011 की जनगणना के आधार पर गोरखपुर शहर में वायु प्रदूषण पर अध्ययन और निर्यत्रण पर कार्ययोजना बनाने के 74 लाख रुपये की धनराशि विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराई जाएगी।
पिछले दिनों भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु मिशन के तहत कार्य करने के लिए देश के कई ख्यातिप्राप्त संस्थानों का चयन किया गया था। इसी क्रम में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के आचार्य प्रो. गोविन्द पाण्डेय को परियोजना के प्रधान अन्वेषक के रूप में नामित किया गया था। सह प्रधान अन्वेषक के रूप में उसी विभाग के डा. अरुण कुमार मिश्र नामित हुए थे। प्रदूषण नियंत्रण के क्षेत्र में नई उपलब्धि भी उसी क्रम में है। उपलब्धि को लेकर कुलपति प्रो. जेपी पांडेय ने हर्ष जताया है कि और कहा है इससे साबित हुआ है कि विश्वविद्यालय राष्ट्रीय स्तर पर अपनी क्षमता स्थापित करने में सफल रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में विश्वविद्यालय इस बाबत प्रदेश स्तर की जिम्मेदारी भी मिलेगी।