मीटर में स्टोर मिली 2.62 लाख रुपये की रीडिंग, लाखों का हो रहा वारा-न्यारा Gorakhpur News
मीटर में रीडिंग स्टोर कर कम बिल जमा करने का खेल लगातार चल रहा है। कहीं मीटर रीडर जानबूझकर रीडिंग स्टोर कर निगम के राजस्व को नुकसान पहुंचा रहे हैं तो कहीं घरों तक न पहुंचने के कारण सही रीडिंग नहीं ली जा पा रही है।
गोरखपुर, जेएनएन : मीटर में रीडिंग स्टोर कर कम बिल जमा करने का खेल लगातार चल रहा है। कहीं मीटर रीडर जानबूझकर रीडिंग स्टोर कर निगम के राजस्व को नुकसान पहुंचा रहे हैं तो कहीं घरों तक न पहुंचने के कारण सही रीडिंग नहीं ली जा पा रही है। इस वजह से भी बिजली बिल का भुगतान नहीं हो पा रहा है। नार्मल उपकेंद्र से जुड़े महेवा में बिजली निगम ने उपभोक्ता शिवप्रकाश सिंह के मीटर की जांच कराई तो सभी हैरान रह गए। उपभोक्ता का बिजली का बिल बना था 35 हजार 870 यूनिट का जबकि मीटर में रीडिंग 79634 थी, यानी 43764 यूनिट का बिल ही नहीं बना था। यदि छह रुपये यूनिट पर बिजली का बिल जोड़ें तो यह दो लाख 62 हजार 584 रुपये होगा। समय से बिजली निगम को रुपये मिलें तो राजस्व में वृद्धि होगी।
18180 यूनिट रीडिंग मिली थी स्टोर
28 नवंबर, 2020 को नार्मल उपकेंद्र से जुड़े महेवा राय कालोनी में विनय कुमार द्विवेदी के मीटर में 18180 यूनिट रीडिंग स्टोर मिली थी। इसी तरह महेवा न्यू कालोनी निवासी धीरेंद्र पांडेय के मीटर में 6925 यूनिट रीडिंग स्टोर मिली थी। दो महीने पहले बक्शीपुर खंड क्षेत्र में एक प्राइवेट मोबाइल टावर के मीटर में 50 हजार से ज्यादा यूनिट स्टोर का मामला सामने आया था। इस मामले में अधिशासी अभियंता ने बिलिंग कंपनी के मीटर रीडर को काम से हटा दिया था। इससे पहले भी रीडिंग स्टोर के कई मामले मिल चुके हैं।
बदल देते हैं मीटर
रीडिंग स्टोर के ज्यादातर मामलों की अफसरों की जांच में पता चला कि यदि अचानक छापा मारकर कार्रवाई न की गई होती तो कुछ ही दिन में मीटर बदलने की तैयारी थी। यानी मीटर बदलकर अपने मन से रीडिंग फीडकर बिल को घटा दिया जाता। सब कुछ सेटिंग से होता है, इसलिए आगे भी कोई जांच नहीं होती है।
मीटर रीडर की लापरवाही होती है परिलक्षित
अधीक्षण अभियंता शहर यूसी वर्मा ने कहा कि मीटर में रीडिंग स्टोर के मामलों में मीटर रीडर की जानबूझकर लापरवाही परिलक्षित होती है। बिलिंग कंपनी को स्पष्ट निर्देश हैं कि वह सभी मीटरों की प्रोब आधारित बिलिंग कराएं। इससे मीटर में मौजूद रीडिंग और लोड के अनुसार बिल बनता है। इस व्यवस्था में बिल के गड़बड़ होने की आशंका नहीं रहती है।