दीक्षा समारोह : मेधा को मिला तमगा तो खिल उठे टापर्स के चेहरे
गोरखपुर (जेएनएन)। मेधा को सलामी मिलने का दिन था तो सफलता को संजोए रखने की नसीहत मिलने
गोरखपुर (जेएनएन)। मेधा को सलामी मिलने का दिन था तो सफलता को संजोए रखने की नसीहत मिलने का दिन भी। इनके सबके बीच जश्न की जगह तो खुद-ब-खुद बन जानी थी। हुआ भी कुछ ऐसा भी। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर में सम्पन्न 37वें दीक्षा समारोह में उन सभी मेधावियों को हौसलों के पंख मिले, जिन्होंने अपनी मेहनत से विश्वविद्यालय की परीक्षा में शानदार प्रदर्शन करते हुए अधिकतम अंक हासिल कर अपनी श्रेष्ठता साबित कर दी थी। बतौर मुख्य अतिथि इसरो के चेयरमैन डॉ. के शिवन की मौजूदगी में कुलाधिपति राम नाईक ने जब टापर्स के गले में गोल्ड मेडल पहनाया तो उनके चेहरे खिले उठे। मेडल हासिल कर मेधावियों ने मुख्य अतिथि और कुलाधिपति का नसीहत भरा संबोधन सुन मेहनत और लगन से सफलता की नई मंजिल की ओर बढ़ने का संकल्प लिया।
समारोह की बदली रही फिजा
दीक्षा समारोह को लेकर शुक्रवार को विश्वविद्यालय परिसर की बदली-बदली फिजा विश्वविद्यालय के वार्षिक महोत्सव की तस्दीक मुख्य द्वार से ही कर रही थी। उत्सव में हिस्सा लेने के लिए हर कदम सुबह से ही आयोजन स्थल दीक्षा भवन की ओर बढ़े जा रहे थे। सभी आयोजन स्थल पर अपना स्थान लेने के लिए उत्सुक थे। 10 बजते-बजते पूरा हाल भर गया। अब इंतजार तो मुख्य अतिथि और कुलाधिपति के पहुंचने का। तभी आयोजन का संचालन कर रही प्रो. नंदिता सिंह ने घोषणा की कि जल्द ही दोनों अतिथि हाल में प्रवेश करने वाले हैं। अब तो सभी की निगाहें हाल के गेट पर टिक गई। कुछ ही देर में विद्वत परियात्रा हाल में पहुंची। सबसे आगे रजिस्ट्रार सुरेश चंद्र शर्मा और उनके पीछे विद्या परिषद व कार्य परिषद के सदस्य तथा सभी संकायों के डीन। इनके बीच कुलपति प्रो. वीके सिंह के साथ राज्यपाल राम नाईक व मुख्य अतिथि डॉ. के शिवन। डीन व कार्य परिषद सदस्यों समेत मुख्य अतिथि व राज्यपाल मंचासीन हुए। कुलगीत के बाद कुलपति ने राज्यपाल से समारोह को शुरू करने की अनुमति मांगी। उसके बाद कुलपति ने माइक संभाल लिया। यूनिवर्सिटी के इतिहास की चर्चा के साथ ही उन्होंने भविष्य की योजनाओं पर भी बात की। इसी क्रम में कुलसचिव के अनुरोध पर संकायाध्यक्षों ने अपने-अपने संकाय के उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों को उपाधि प्रधान की और फिर शुरू हुआ पदक वितरण का सिलसिला। रजिस्ट्रार एक-एक कर नाम लेते गए और कुलाधिपति के हाथों मेधावियों के गले में तालियों की गूंज के बीच तमगा पड़ता गया। पदक वितरण के बाद मुख्य अतिथि का प्रेरणादायी संबोधन हुआ और फिर स्मारिका विमोचन के बाद कुलाधिपति की नसीहत भरी बातों से विद्यार्थी लाभान्वित हुए। राज्यपाल की अनुमति से जब कुलपति ने समारोह के समापन की घोषणा की तो फिर शुरू हुआ फोटो सेशन का दौर। हर कोई इस अद्भुत पल को तस्वीरों में कैद करते दिखा। कोई दोस्तों के साथ फोटो सेशन करा रहा तो कोई अपने अभिभावकों के साथ। एक-दूसरे के साथ खुशी बांटने और बधाई व धन्यवाद का सिलसिला काफी देर तक जारी रहा।
पदक विजेता बोले
एमएसी गणित में टॉपर शालू मद्धेशिया ने कहा कि टॉप करने पर भी बेहद खुशी हुई थी लेकिन मेडल पाकर लग रहा है कि तपस्या एक हद तक पूरी हो गई। गवर्नर से मेडल लेने का वक्त बेहद रोमांचित करने वाला था। एमएससी (गणित) के आदर्श प्रिय श्रीवास्तव का कहना था कि जिंदगी भर के लिए यादगार बन गया मेडल लेने का वह पल। जीवन की एक तपस्या पूरी हुई और अब दूसरे के लिए संकल्पित होना है। शोध कर शिक्षक बनने की तमन्ना है। एमएससी (वनस्पति विज्ञान) अनामिका त्रिपाठी ने कहा कि मेडल पाकर कितनी खुशी मिली है, इसे शब्दों में नहीं बयां कर सकती। सपनों की तरह बीता वह समय जब राज्यपाल से मेडल ले रही थी। एमएससी (प्राणी विज्ञान) की तान्या त्रिपाठी का कहना था कि अब तो यादों में सिमट कर रहा गया है वह पल, इसरो चेयरमैन के सामने कुलपाधिपति के हाथों मेडल मिलने का। कभी नहीं भूल नहीं पाऊंगी। एमएससी (भौतिक विज्ञान) के तुषार त्रिपाठी ने कहा कि दीक्षा समारोह का समय कितनी जल्दी बीत गया पता ही नहीं चला। काश! मैं उस समय को फिर से जी पाता। फिलहाल बेहद खुश हूं। एमएससी (बायो टेक्नालॉजी) की सौम्या श्रीवास्तव का कहना था कि एकेडमिक सफलता से खुशी थी और आगे की योजना को लेकर चिंता भी। लेकिन गवर्नर की ओर से मिला हौसले भरा संदेश एक ताकत दे गया। एमएससी (इलेक्ट्रानिक्स) की मोनिका आजाद ने कहा कि अगर यह कहूं कि राज्यपाल के संदेश से ऊर्जा मिली तो गलत नहीं होगा। इसरो चेयरमैन शिवन ने तो जैसे भविष्य की राह ही गढ़ दी है। एमएससी (सांख्यिकी) की स्मिता बरनवाल का कहना था कि टॉपर होने का अपना अलग ही सुख है। और यह सुख मुझे मिला। इससे भविष्य की योजनाओं पर काम करने की ताकत मिली है। शिक्षक बनना है। एमएससी (पर्यावरण विज्ञान) की प्रीति सिंह का कहना था कि टॉपर होना और कुलाधिपति के हाथों गोल्ड मेडल लेने दोनों की अलग-अलग खुशी है। यह खुशी मुझे मिली है। वह भी इसरो चेयरमेन के सामने। एमएससी (माइक्रो बायोलॉजी) की आकांक्षा सिंह ने कहा कि एसएससी टॉप कर पहला पड़ाव तो पार हुआ लेकिन मंजिल अभी भी दूर है। शोध करके उच्च शिक्षण में अपना स्थान बनाने का लक्ष्य है। एमएससी (होम साइंस) की शिवांगी गुप्ता का कहना था कि विभाग टाप करने करने के बाद जो खुशी मिली थी, दीक्षा समारोह से उसमें और बढ़ोत्तरी हो गई। खुद को बहुत भाग्यशाली महसूस कर रही हूं। एमएससी (कृषि प्रसार) के विशाल साहू का कहना है कि इसरो चेयरमैन डॉ. के. शिवन की मौजूदगी में कुलाधिपति के हाथों मेडल लेने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ। खुद को भाग्यशाली महसूस कर रहा हूं। एमए (अर्थशास्त्र) की अनुरागिनी श्रीवास्तव ने कहा कि टॉप करने के बाद मेडल लेने का अपना अलग आनंद है। वह आनंद मैंने आज महसूस किया है। अब सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुटना है। जबकि एमकॉम की पूजा यादव का कहना है कि बेहतरीन पड़ाव मिला है अब मंजिल की तैयारी में जुटाना है। मंजिल सिविल सर्विसेज है। तैयारी शुरू कर दी है। सफलता की उम्मीद है। बीए की अंजलि जायसवाल ने कहा कि पहले इसरो चेयरमैन और फिर कुलाधिपति का संबोधन बेहद प्रेरणादायी रहा। भाग्यशाली हूं कि टॉप करने के बाद इस समारोह में हिस्सा लेने का मौका मिला। एमबीबीएस की आकृति बक्शी का कहना था कि विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में हिस्सा लेना एक बेहद खूबसूरत पल रहा। मेरी तमन्ना कार्डियोलॉजी या न्यूरोलॉजी में हायर एजुकेशन की है। एमबीए की शिप्रा श्रीवास्तव का कहना था कि आमतौर पर एमबीए करने वालों की तमन्ना निजी संस्थाओं में उच्च पद हासिल करने की होती है लेकिन मैं एक बेहतर शिक्षक बनना चाहती हूं। बीएससी के रोहित कुशवाहा का कहना था कि विज्ञान का विद्यार्थी हूं इसलिए इसरो चेयरमैन के मौजूदगी के महत्व को बखूबी समझ सकता हूं। यह सौभाग्य है कि उनके मौजूदगी में गोल्ड मेडल हासिल करने का अवसर मिला।