गोरखपुर : शहर में मीट-मछली बेचने की एक हजार से अधिक दुकानें हैं। गली-गली और धार्मिक स्थलों के आसपास खुली मीट बेचने की दुकानें आसानी से देखी जा सकती हैं। आश्चर्य की बात यह है कि निगम प्रशासन और खाद्य एवं सुरक्षा विभाग को यह दुकानें दिखाई नहीं देती। निगम के मुताबिक पिछले दो वर्षो से न तो मीट बेचने के लिए एनओसी जारी किया और न ही लाइसेंस जारी हुआ है इसलिए निगम और खाद्य सुरक्षा विभाग की कार्रवाई का आंकड़ा भी शून्य है। यहां हैं अवैध दुकानें
शहर के सभी इलाकों में अवैध रूप से मांस-मछलियों का कारोबार खूब फल-फूल रहा है। तमाम जगहों पर खुलेआम मास-मछलियां बिक रही हैं। मीट की अधिकांश दुकानें सड़कों पर अतिक्रमण कर बनाई गई है। कूड़ाघाट से लेकर इंजीनिय¨रग कालेज, दुर्गाबाड़ी, सूरजकुंड, राजेंद्रनगर, अलहदादपुर, जाफरा बाजार, रुस्तमपुर, आजाद चौक, दाउदपुर काली मंदिर, तारामंडल रोड, बिछिया, पादरी बाजार, जैसे तमाम इलाकों में अनुमान के मुताबिक एक हजार से ज्यादा मीट-मुर्गा की दुकानें अवैध रूप से संचालित हो रही हैं। इलाहीबाग प्राइमरी स्कूल की बाउंड्री के बाहरी हिस्से पर आधा दर्जन लोग कब्जा कर मीट बेच रहे हैं। लाइसेंस जारी नहीं हुए
खाद्य एवं सुरक्षा विभाग के एसीएम पीएन सिंह का कहना है कि मीट विक्रेता लाइसेंस लेने की शर्तो को पूरा नहीं करते हैं इसलिए लाइसेंस जारी नहीं हुए हैं। शहर में मीट-मुर्गा बेचने की सभी दुकानें अवैध हैं। समय-समय पर अभियान चलाकर मीट विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। चूंकि विक्रेता शहर के सभी हिस्सों में फैले हुए हैं इसलिए सभी पर कार्रवाई संभव नहीं है। एनओसी जारी नहीं हुआ
मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मुकेश रस्तोगी का कहना है कि नगर निगम ने मीट विक्रेताओं को एनओसी जारी नहीं किया है। पिछले एक वर्ष में एनओसी के लिए किसी ने आवेदन भी नहीं किया है। अवैध रूप से मीट-मुर्गा बेचने वालों पर अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी। मीट बेचने की यह हैं शर्ते
- धार्मिक स्थलों की परिधि से 50 मीटर की दूर रहेंगी दुकानें
- मीट की दुकानें सब्जी की दुकानों के पास नहीं होनी चाहिए।
- दुकानदार जानवरों या पक्षियों को दुकान के अंदर नहीं काट सकते।
- मीट की दुकानों पर काम करने वाले सभी लोगों को सरकारी डॉक्टर से हेल्थ सर्टिफिकेट लेना होगा।
- मीट की क्वालिटी को किसी पशु डॉक्टर से प्रमाणित कराना होगा।
- शहरी इलाकों में लाइसेंस पाने के लिए आवेदकों को पहले सर्किल ऑफिसर और नगर निगम की इजाजत लेनी होगी। फिर खाद्य एवं सुरक्षा विभाग से लाइसेंस जारी होगा।
- मीट के दुकानदारों को हर छह महीने पर अपनी दुकान की सफेदी करानी होगी।
- चाकू और दूसरे धारदार हथियार स्टील के बने होने चाहिए।
- मीट की दुकानों में कूड़े के निपटारे के लिए समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
- बूचड़खानों से खरीदे जाने वाले मीट का पूरा हिसाब-किताब भी रखना होगा।
- मीट को फ्रीजर वाली गाड़ियों में ही बूचड़खानों से ढोया जाए।
- मीट को जिस फ्रिज में रखा जाए, उसके दरवाजे पारदर्शी होने चाहिए।
- सभी मीट की दुकानों पर गीजर भी होना आवश्यक है।
- दुकानों के बाहर पर्दे या गहरे रंग के ग्लास की भी व्यवस्था हो ताकि जनता को नजर न आए।
- किसी मानक का उल्लंघन होते ही लाइसेंस तुरंत रद्द कर दिया जाएगा।
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