जेल में बंदियों की भीड़ कम करेगी सरकार, जानें क्या हो रही व्यवस्था
प्रदेश की जेलों में बंदियों की क्षमता पर सरकार चिंतित हो गई है। अब वह नई व्यवस्था करने जा रही है। ताकि जेलों में शांति का माहौल हो सके।
गोरखपुर, जेएनएन। प्रदेश की जेलों में क्षमता से अधिक बंदी होने से व्यवस्था बिगड़ गई है। संसाधन की कमी से बंदी भी परेशान हैं। इससे निपटने के लिए सरकार ने बंदियों की संख्या कम करने का निर्णय लिया है। जिला स्तर पर गठित अंडर ट्रायल रिव्यू कमेटी पत्रावली की पेचीदगी को दूर कर बंदियों को जमानत दिलाएगी।
उत्तर प्रदेश की जेलों में 75467 विचाराधीन बंदी हैं। सभी जेलों में क्षमता से अधिक बंदी होने से खान-पान ठीक ढंग से नहीं हो पाता है। बैरक में सोने और बैठने के स्थान की कमी है, जिसका स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। यही नहीं, गंभीर अपराध में निरुद्ध बंदियों को सामान्य अपराधियों से अलग रखने में जेल प्रशासन को परेशानी होती है। इससे पूरे सिस्टम में दिक्कत आ रही है।
इससे निपटने के लिए प्रमुख सचिव अरविंद कुमार ने सभी जिलों के डीएम, एसएसपी, वरिष्ठ जेल अधीक्षक, विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को पत्र लिखा है। गोरखपुर जेल की क्षमता 1000 बंदियों की है, लेकिन वर्तमान में यहां 1799 बंदी निरुद्ध हैं। इसमें 1500 विचाराधीन हैं। सवाल यह है कि क्षमता से अधिक बंदियों को रखने में परेशानी तो होगी ही। ऐसे में खतरनाक बंदियों के साथ सामान्य बंदियों को यदि रखा जाए तो कोई बड़ी बात नहीं है। क्षमता से अधिक संख्या के कारण ही जेलों में आसानी से मोबाइल पहुंच जाया करता है। इतना ही नहीं अक्सर विवाद की संभावना बनी रहती है।
यह हो रही परेशानी
- भोजन व वस्त्र की कमी
- विचारण (ट्रायल) में बिलंब
- स्वास्थ्य एवं स्वच्छता की अनदेखी
- अधिकारियों व बंदियों में तालमेल की कमी