गोरखपुर की थोक दवा मंडी में कई दवाओं और उपकरणों की बड़े पैमाने पर कालाबाजारी Gorakhpur News
कोरोना संक्रमितों में खून का थक्का बनाना आम बात हो गई है। थक्का बनने से रोकने के लिए इनोक्सापेरिन इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है। यह इंजेक्शन कुछ ही दवा व्यापारियों के पास आता है। इसे एमआरपी पर थोक मंडी में बेचा जा रहा है।
गोरखपुर, जेएनएन। थोक दवा मंडी भालोटिया मार्केट में मंगलवार को कालाबाजारी का भले ही पहला मामला प्रशासन ने पकड़ा है लेकिन यहां आए दिन ज्यादा दाम लेने और दवाएं डंप कर दाम बढ़ाने की शिकायतें होती रही हैं। मामला दुकानदारों के बीच का रहता है इसलिए मैनेज कर लिया जाता है।
ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने लिपोसोमाल एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन की खरीद के लिए प्रशासन ने अपना आदमी भेजा इसलिए यह पकड़ में आया गया। वरना दुकानदारों के बीच का मामला होता तो इतनी बड़ी कालाबाजारी कभी सामने नहीं आती।
कोरोना की पहली लहर में संक्रमण के जब मामले बढ़े तब भी थोक दवा मंडी में मास्क, सैनिटाइजर, फेविपिरावीर और रेमडेसिविर की कालाबाजारी की शिकायतें हुई थीं। हालांकि बाद में कंपनियों से ज्यादा माल आने के बाद दाम ठीक हो गए। दूसरी लहर में अप्रैल महीने से जैसे-जैसे संक्रमितों की संख्या बढ़ती गई मास्क से लगायत दवाओं की कीमतों में भी इजाफा होने लगा। आलम यह रहा कि थोक दवा मंडी में भी एमआरपी पर दवाएं बेची गईं। और तो और पल्स आक्सीमीटर जैसे उपकरणों को भी तीन से चार गुना ज्यादा मुनाफा लेकर बेचा गया।
रेग्युलेटर, आक्सीजन मास्क, इंजेक्शन अब भी महंगे
थोक मंडी में आक्सीजन सिलेंडर के साथ इस्तेमाल होने वाला रेग्युलेटर पर्याप्त मात्रा में पहुंच चुका है लेकिन अब भी कुछ व्यापारी इसे पांच से सात हजार रुपये में बेच रहे हैं। सामान्य दिनों में यह रेग्युलेटर 15 सौ से दो हजार रुपये में आसानी से मिल जाता था। इसी तरह आक्सीजन मास्क चार से पांच सौ रुपये में बेचा जा रहा है। जबकि इसकी वास्तविक कीमत तकरीबन सौ रुपये है। कोरोना संक्रमितों में खून का थक्का बनाना आम बात हो गई है। थक्का बनने से रोकने के लिए इनोक्सापेरिन इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है। यह इंजेक्शन कुछ ही दवा व्यापारियों के पास आता है। इसे एमआरपी पर थोक मंडी में बेचा जा रहा है।
18 हजार में बेच रहे थे रेमडेसिविर
ड्रग इंस्पेक्टर जय ङ्क्षसह ने कुछ दिनों पहले धर्मशाला बाजार में छापा मारकर दो युवकों को रेमडेसिविर इंजेक्शन के साथ हिरासत में लिया था। युवक 1299 रुपये का इंजेक्शन 18-18 हजार रुपये में बेच रहे थे। बाबा राघवदास मेडिकल कालेज के सामने स्थित एक दुकान से मेरोपेनम इंजेक्शन पर ज्यादा रेट का स्टिकर लगाकर तारामंडल स्थित एक नर्सिंग होम में बेचने का आरोप लगा था। इस मामले में नर्सिंग होम के कर्मचारियों पर कार्रवाई भी हुई थी लेकिन जिस दुकान से इंजेक्शन बेचा गया था उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
दैनिक जागरण उठाता रहा है कालाबाजारी का मुद्दा
दैनिक जागरण थोक दवा मंडी में कालाबाजारी का मुद्दा लगातार उठाता रहा है। पिछले दिनों दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर का संज्ञान लेकर डीएम के. विजयेंद्र पाण्डियन ने व्यापारियों को सही रेट पर दवाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। साथ ही पूरे प्रकरण की जांच के लिए कहा था। डीएम के निर्देश के बाद से प्रशासन की टीम गोपनीय रूप से बाजार पर नजर रख रही है। इसी का नतीजा है कि कालाबाजारी करने वाले रंगेहाथ पकड़ लिए गए।