कोरोना संक्रमण के साथ ही वायु प्रदूषण के खतरों से भी बचा रहा मास्क Gorakhpur News
जो लोग नियमित मास्क लगा रहे हैं वे कोरोना संक्रमण से तो दूर हैं ही सांस से जुड़ी दिक्कतें भी नहीं हो रही हैं। वातावरण में मौजूद पर्टिकुलेट मैटर (पीएम) 10 एवं पीएम 2.5 से बचाने में मास्क 95 फीसद तक कामयाब हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। बढ़ता हुआ वायु प्रदूषण चिंताजनक जरूर है लेकिन कोरोना संक्रमण काल के चलते जीवन शैली में आए बदलाव ने लोगों को इसके खतरों से काफी हद तक बचाया है। जो लोग नियमित मास्क लगा रहे हैं, वे कोरोना संक्रमण से तो दूर हैं ही, सांस से जुड़ी दिक्कतें भी नहीं हो रही हैं। वातावरण में मौजूद पर्टिकुलेट मैटर (पीएम) 10 एवं पीएम 2.5 से बचाने में मास्क 95 फीसद तक कामयाब हैं।
कोरोना काल से पहले भी वायु प्रदूषण के खतरों को देखते हुए कुछ लोग मास्क पहने दिखते थे लेकिन इसे सामाजिक मान्यता न होने के कारण अधिकतर लोग इससे बचते ही रहते थे। मास्क पहनकर कहीं सार्वजनिक स्थान पर जाने में झिझक लगती थी। पर, कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए मास्क जरूरी हो गया और गांव हो या शहर, हर जगह लोग मास्क पहनने लगे। मास्क पहनने पर अब किसी प्रकार का झिझक भी नहीं है। जिस तरह से शहर में निर्माण कार्य हो रहे हैं, उसे देखते हुए कोरोना से बचाव का टीका आने के बाद भी लोगों ने मास्क पहना तो बहुत हद तक प्रदूषण के खतरों से बच सकेंगे।
एक तिहाई बेड पर भी नहीं हैं मरीज
छाती रोग विशेषज्ञ डा. वीएन अग्रवाल का कहना है कि कोरोना के साथ ही मास्क सांस के रोगियों के लिए भी कारगर हो रहा है। हर साल जहां दीपावली से ही सांस के रोगियों की संख्या बढ़ने लगती थी, वहीं इस साल स्थिति उलट है। क्षमता की तुलना में एक तिहाई से भी कम बेड पर मरीज हैं। मास्क पहनने से लोग वायु प्रदूषण के खतरों से काफी हद तक बच रहे हैं। कोरोना के कारण अब झिझक भी समाप्त हो चुकी है।
मास्क को आदत बनाकर बीमारियों से बच सकेंगे
पर्यावरणविद एवं मदन मोहन मालवीय प्रोद्यागिकी विश्वविद्यालय में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के आचार्य प्रो. गोविंद पांडेय कहते हैं कि एन 95 मास्क हो या रोज पहना जाने वाला डिस्पोजल मास्क, पीएम 10 एवं पीएम 2.5 से काफी हद तक बचाते हैं। कोरोना का टीका आने के बाद भी यदि कोई नियमित मास्क पहनेगा तो वह कई बीमारियों से दूर रहेगा। प्रदूषण के खतरों से बचाव मास्क पहनने का अप्रत्यक्ष लाभ है।