इस बार दो माह में बस दस दिन ही बजेगी शहनाई Gorakhpur News
कार्तिक शुक्ल एकादशी के साथ लग्न का मौसम शुरू हो जाता है। इसे देवोत्थान या प्रबोधनी एकादशी भी कहते हैं। आषाढ़ शुक्ल एकादशी (हरिशयनी) को भगवान क्षीर सागर में शयन करने चले जाते हैं और चार माह बाद देवोत्थान एकादशी के दिन जागते हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। लंबी प्रतीक्षा के बाद बुधवार से बैंड-बाजा, बरात शुरू हो गया। 16 दिसंबर को सूर्य धनु राशि में जाएंगे, इसके बाद खरमास लग जाएगा। पुन: एक माह के लिए विवाहादि कार्य बंद हो जाएंगे। पुन: मकर संक्रांति के बाद शुरू जाते हैं, लेकिन आगामी वर्ष में जनवरी, फरवरी व मार्च में बृहस्पति व शुक्र ग्रह के अस्त होने से विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होंगे। पुन: मेष संक्रांति (14 अप्रैल) से शुरू होंगे। इस लग्न (नवंबर-दिसंबर) में केवल दस दिन ही विवाह का मुहुर्त होने के कारण मैरेज हॉल और वैंक्वेट हॉल के लिए मारामारी हो रही है।
कार्तिक शुक्ल एकादशी के साथ लग्न का मौसम शुरू हो जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रहने से समस्त पापों का नाश हो जाता है। इसे देवोत्थान या प्रबोधनी एकादशी भी कहते हैं। आषाढ़ शुक्ल एकादशी (हरिशयनी) को भगवान क्षीर सागर में शयन करने चले जाते हैं और चार माह बाद देवोत्थान एकादशी के दिन जागते हैं। इन चार महीनों में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होते। देवोत्थान एकादशी के बाद विवाहा आदि मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है। गोरखपुर में लग्न शुरू होने के पहले दिन ही केवल शहर में ही पांच सौ से अधिक वैवाहिक आयोजन हुए। गोरखपुर के लगभग सभी मैरेज हाउस बुक हो चुके हैं।
नवंबर-दिसंबर में विवाह के मुहूर्त
नवंबर-26 (दिवा लग्न), 30।
दिसंबर- 1, 2 (दिवा लग्न), 6, 7 (दिवा लग्न), 8, 9, 11, 15 (दिवा लग्न)।
देवोत्थान एकादशी का महत्व
देवोत्थान एकादशी के दिन निर्जल व्रत रह भगवान विष्णु की विधिवत पूजा-अर्चना करनी चाहिए। रात्रि जागरण कर भजन-कीर्तन करना चाहिए। समस्त तीर्थों के सेवन से जो पुण्य मिलता है, उससे कोटि गुना फल इस एकादशी के दिन अघ्र्य दान से प्राप्त होता है। जो इस दिन अगस्त्य के पुष्प से हरि का पूजन करता है उसे देव गण नमन करते हैं। जो बेल पत्रों से श्रीकृष्ण का पूजन करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। तुलसी दलों व मंजरियों से विष्णु का पूजन करने पर करोड़ जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। जो कदंब के फूलों से जनार्दन का पूजन करते हैं उन्हें नरक की यातना से मुक्ति मिलती है।
शुरू हुई भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना
देवोत्थान एकादशी को श्रद्धालु व्रत व्रत हैं। भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना शुरू हो गई है। शाम को घर-घर में महिलाएं भगवान विष्णु व माता तुलसी का विवाह रचाएंगी और मंगल कामना करेंगी। दोपहर बाद महिलाएं आंगन में अल्पना बनाएंगी और वहां से घर के हर कमरे तक दो समानांतर रेखाएं खींचकर दोनों के बीच में भगवान के चरण बनाएंगी। यह माना जाता है कि इसी रास्ते से भगवान घर के हर कमरे में जाकर उसे पवित्र करेंगे। गंजी, सिंघाड़ा, सुथनी व गन्ना नैवेद्य के रूप में भगवान को अर्पित किया जाएगा।
कोरोना प्रतिबंध के बीच खोज लिया कार्यक्रम करने का जुगाड़
कोरोना प्रोटोकाल ने रस्म-रिवाजों पर पहरा बैठाया तो घरातियों-बरातियों ने जुगाड़ से उसका रास्ता ढूंढ लिया। कार्यक्रम स्थल पर संख्या 100 ही रहे इसके लिए आयोजकों ने मेहमानों के लिए समय निर्धारित कर दिया है। अनलाक में प्रतिबंधों में मिली छूट के कारण लोगों ने खास ही नही आम परिचितों को भी न्योता दे दिया था। उसी हिसाब से खान-पान और बैठने का इंतजाम भी किया गया था। अब लोगों के सामने मुश्किल यह है कि वे मेहमानों की संख्या कैसे सीमित करें। फिर कैटङ्क्षरग के बारे में दिए गए आर्डर को लेकर भी पेचीदा स्थितियां पैदा हो रही हैं।
बिन मेहमान मैरिज हाउस में होते हैं सौ लोग
बिना मेहमानों के भी मैरिज हाउस में कुक, टेंट हाउस, फ्लावर डिकोरेटर, इलेक्ट्रीशियन, वेटर, काफी स्टाल, चाट, चाउङ्क्षमग, कुल्फी स्टाल एवं सफाई में लगे कर्मचारियों की संख्या सौ से ज्यादा हो जाती है। ये वो लोग हैं जिन्हें आयोजन के दौरान बाहर नहीं किया जा सकता। जाड़े में खाना पहले से बनवाकर नहीं रखा जा सकता है ऐसे में कुक की टीम को भी वर-वधू पक्ष के मेहमानों के आने से पहले विदा नहीं कर सकते।
भीड़ छांटने के लिए कम किए स्टार्टर
25 नवंबर से शादियों का सिलसिला शुरू होगा जो 15 दिसंबर तक निरंतर चलेगा। इस दौरान शहर में ही पांच हजार से ज्यादा शादियां होनी है। अगर ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाली शादियों को जोड़ दिया जाए तो यह संख्या 15 हजार के पार हो जाएगी। लग्न कितनी तेज है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शहर में मौजूद करीब 300 मैरिज हाउस, होटल एवं बैंक्वेट हाल महीनों पहले बुक हो चुके हैं। शासन की नई गाइडलाइन के बाद बहुत से लोगों ने भीड़ कम करने के लिए स्टाटर में शामिल चाट, गोलगप्पे, काफी, आइसक्रीम, चाउङ्क्षमग, पापकान आदि के स्टाल की बुङ्क्षकग निरस्त कर दी है। कहीं-कहीं तो पान के स्टाल भी नजर नहीं आएंगे।
पैसे को लेकर होने लगा विवाद
शासन ने मेहमानों की संख्या सीमित क्या की लोगों ने मैरिज हाउस एवं कुक पर पैसे कम करने का दबाव बनाने लगे हैं। हालांकि कई मैरिज हाउस संचालकों ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि मेहमानों की संख्या सरकार ने घटवाई हैं हमने नहीं, इसलिए पहले से तय राशि कम नहीं की जाएगी। दूसरी तरफ कई कुक का कहना है कि खाना सौ लोगों का बने या पांच सौ लोगों का उसमें एक जैसी मेहनत लगती है और पूरी टीम काम करती है।