मनीष गुप्ता हत्याकांड : सीजेएम ने खारिज की जेएन सिंह व अक्षय मिश्रा की जमानत अर्जी
मनीष गुप्ता हत्याकांड के मुख्य आरोपित जेएन सिंह व अक्षय मिश्रा ने शुक्रवार को सीजेएन (मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट) गोरखपुर की कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दी थी।उनकी दलील थी कि नौ जनवरी (रविवार) को गिरफ्तारी के 90 दिन पूरे हो जाएंगे।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। मनीष गुप्ता हत्याकांड के मुख्य आरोपित जेएन सिंह व अक्षय मिश्रा ने शुक्रवार को सीजेएन (मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट) गोरखपुर की कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दी थी।उनकी दलील थी कि नौ जनवरी (रविवार) को गिरफ्तारी के 90 दिन पूरे हो जाएंगे। लेकिन सीबीआइ ने आरोप पत्र दाखिल नहीं किया। इस आधार पर उनकी जमानत मंजूर की जाए।लेकिन कोर्ट ने उनकी दलील को खारिज कर दिया। आरोपितों के कानूनी पैरतेबाजी की जानकारी होते ही जांच पूरी कर चुकी सीबीआइ ने लखनऊ की विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दिया।
10 जनवरी को कोर्ट में होगी आरोपितों की पेशी
10 जनवरी को सीजेएम कोर्ट में हत्यारोपित पुलिसकर्मियों की पेशी होनी है। आरोप पत्र दाखिल होने की वजह से संभावना है कि अब कोर्ट के समन पर सभी आरोपितों को यहां से कस्टडी रिमांड पर लेकर दिल्ली के तिहाड़ जेल में दाखिल करेगी। वहीं चर्चा है कि आरोपित पुलिसकर्मी किस जेल में रहेंगे इसका निर्णय कोर्ट लेगा।
सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में मुकदमे का ट्रायल करने का दिया है निर्देश
हालांकि मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का ट्रायल दिल्ली में ट्रांसफर करने का आदेश दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि आरोपी पुलिस वालों को दिल्ली ही ले जाया जाएगा। इससे पहले इस मामले की जांच कर रही कानपुर पुलिस की एसआइटी हत्या और गैर इरादतन हत्या में उलझी हुई थी।शुक्रवार को आरोप दाखिल करने की वजह हत्यारोपित पुलिसकर्मियों की कानूनी पैतरेबाजी बताई जा रही है।
सीबीआइ ने इन धाराओं में बनाया आरोपित
302: जो भी कोई किसी व्यक्ति की हत्या करता है,तो उसे मृत्यु दंड या आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा।
325: स्वेच्छापूर्वक किसी को गंभीर चोट पहुंचाना।सजा, सात वर्ष कारावास,आर्थिक दंड।
323: जानबूझ कर किसी को चोट पहुंचाना।सजा, एक वर्ष कारावास या एक हजार रुपए जुर्माना या दोनों।
506: किसी को धमकी देना।अपराध कारित होने पर दो साल की सजा और अर्थदंड से दंडित किया जाता है।
218: लोक सेवक द्वारा गलत रिकार्ड तैयार किया जाना। सजा, तीन साल या जुर्माना या दोनों।
201: अपराध का साक्ष्य मिटाना। सजा, सात वर्ष कारावास और आर्थिक दंड।
34: एक समान आशय से सभी व्यक्तियों द्वारा किया गया अपराध।
120 बी: आपराधिक षड्यंत्र करना।सजा- अपराध की गंभीरता के अनुसार।
149: यदि किसी गैरकानूनी सभा के द्वारा अपराध किया जाता है, तो सभी सदस्य अपराध का दोषी होगा।