Mahatma Gandhi: पश्चिमी चंपारण जाते समय नौरंगिया में ठहरे थे महात्मा गांधी, बाग में की थी सभा
बाग में सभा कर युवाओं में खिलाफत का जोश भरा था। बिहार के राजकुमार शुक्ल के अनुरोध पर अंग्रेजों के तीन कठिया व्यवस्था (तीन कट्ठा भूमि में नील की अनिवार्य खेती) के विरोध में वह चंपारण जा रहे थे।
गोरखपुर, जेएनएन। कुशीनगर जिले के नौरंगिया गांव( तब गोरखपुर जिला) स्थित चबूतरा महात्मा गांधी के चंपारण यात्रा की गवाही देता है। बिहार जाने के पहले यहां गांधीजी ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बिगुल फूंका था। बाग में सभा कर युवाओं में खिलाफत का जोश भरा था। बिहार के राजकुमार शुक्ल के अनुरोध पर अंग्रेजों के तीन कठिया व्यवस्था (तीन कट्ठा भूमि में नील की अनिवार्य खेती) के विरोध में चंपारण के किसानों के आंदोलन के समर्थन में जा रहे गांधी 17 अप्रैल 1917 को नौरंगिया गांव के बाग में रुके थे।
बिरझन मियां के घर से पानी मंगाकर पीया था बापू ने
जलपान के समय गांव के बिरझन मियां के घर से उनके बर्तन में पानी मंगाकर पीये थे। बाग का वजूद मिटने पर लोगों ने उस भूमि को संरक्षित करते हुए चबूतरा बना दिया था। उस जगह पर स्मारक बनाकर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम का शिलापट लगाया गया है।
बुजुर्गों के जेहन में है संस्मरण
बिरझन मियां के पौत्र खुशबुद्दीन बताते हैं कि गांधीजी के गांव में आने का संस्मरण मेरे दादा सुनाते थे। जब हम छोटे थे तो आजादी की लड़ाई की बातों को वह कहानी के रूप में सुनाते थे। बताते थे कि महात्मा गांधी ने नेतृत्व किया था। एक बार बिहार जाते समय गांधीजी हमारे गांव में रुक कर सभा किए थे। मेरे घर से पानी मंगाकर पीये थे। हिंदू-मुस्लिम को भाई-भाई की तरह रहने की सीख देते थे। नौरंगिया गांव के 81 वर्षीय सदावृक्ष शर्मा कहते हैं कि मेरे दादा भी गांधीजी के आने की चर्चा करते थे। बताते थे कि सभा में उन्होंने लोगों से कहा था कि अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट होइए। भारत माता को आजाद कराना है। बिहार जाते समय छितौनी में गांधी नारायणी नदी में स्नान किए थे। नदी से नाव पार कर ट्रेन से प चंपारण गए थे। उनकी यात्रा की चर्चा उस समय सबकी जुबान पर रहती थी। सामाजिक एकता की बात की जाती थी।