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'नाथ साहित्य' का हुआ लोकार्पण

गोरखपुर : ब्रह्मालीन महंत दिग्विजयनाथ और अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि समारोह के अंतिम दिन श्रद्धांजलि म

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Sep 2017 01:53 AM (IST)Updated: Mon, 11 Sep 2017 01:53 AM (IST)
'नाथ साहित्य' का हुआ लोकार्पण
'नाथ साहित्य' का हुआ लोकार्पण

गोरखपुर : ब्रह्मालीन महंत दिग्विजयनाथ और अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि समारोह के अंतिम दिन श्रद्धांजलि मंच से 'नाथ साहित्य : परंपरा और प्रदेय' पुस्तक का लोकार्पण भी किया गया। पुलिस विभाग में निरीक्षक के पद पर तैनात डा. विनय प्रकाश राय द्वारा लिखित इस पुस्तक का लोकार्पण राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मंच पर मौजूद संतों और महंतों के हाथों से हुआ। लोकार्पण के बाद लेखक डा. राय ने बताया कि इस पुस्तक की दिशा नाथ संप्रदाय पर प्रकाशित अन्य पुस्तकों से भिन्न है। इसमें योग साधना और योगवाणी को समकालीन वैज्ञानिक मार्गों से होते हुए अन्वेषित करने का प्रयास किया गया है। पुस्तक में 'नाथ' शब्द को अर्थ, प्रकृति और सम्प्रदायगत मान्यताओं में समेटते हुए बदलते परिवेश में नए मूल्यों के साथ रखने की कोशिश की गई है। अन्य भारतीय संप्रदायों से नाथ संप्रदाय को जोड़ कर नए रूप देखने का प्रयास भी किया गया है।

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व्यस्तता के बीच मुख्यमंत्री ने सुनी फरियाद

हालांकि ब्रहालीन महंत अवेद्यनाथ की श्रद्धांजलि सभा और आठ दिवसीय पुण्यतिथि समारोह के समापन आयोजन को लेकर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ रविवार को सुबह से ही व्यस्त रहे। लेकिन इन सबके बीच फरियादियों का भी उन्होंने पूरा ख्याल रखा। दो चरणों में मुख्यमंत्री ने करीब 300 लोगों की न केवल फरियाद सुनी बल्कि उन्हें आश्वस्त भी किया कि समस्या को दूर करने पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। जिनकी फरियाद मुख्यमंत्री सीधे नहीं सुन सके, उनके शिकायती पत्र इस आश्वासन के साथ मंदिर कार्यालय में जमा करा लिए गए कि सभी पत्र मुख्यमंत्री के लखनऊ कार्यालय में भेज दिए जाएंगे।

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लगा भंडारा, साधुओं को दी गई दक्षिणा

महंत अवेद्यनाथ की श्रद्धांजलि सभा में हिस्सा लेने के लिए जिले के विभिन्न हिस्सों से साधुओं का दल भी मंदिर में पहुंचा। आयोजन संपन्न होने के बाद उन्हें भंडारे का प्रसाद ग्रहण कराया गया और अंत में दक्षिणा देकर विदाई दी गई। दक्षिणा देने का कार्य मंदिर प्रबंधक द्वारिका तिवारी औ दु़र्गेश बजाज ने किया। विदाई पाकर साधुओं की खुशी देखने लायक थी।


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