NER की पहली ट्रेन को लेकर रवाना हुआ था 'लार्ड लारेंस' Gorakhpur News
NER के वाजितपुर से पहली बार ट्रेन राहत सामग्री लेकर दरभंगा पहुंची थी। इस ट्रेन को लार्ड लारेंस इंजन लेकर रवाना हुआ जो रेल म्यूजियम गोरखपुर में आज भी धरोहर के रूप में सुरक्षित है
गोरखपुर, जेएनएन। बात अंग्रेजी हुकुमत की है। वर्ष 1874 में जब उत्तर बिहार में भीषण अकाल पड़ा तो अंग्रेजों की सांसें भी अटक गईं। भूख के मारे बुजुर्ग और बच्चे असमय काल के गाल में समाने लगे। चारो तरफ त्राहि मच गई थीं। परिवहन की दृष्टि से अति पिछड़े इन क्षेत्रों में खाने-पीने की सामग्री ले जाना बेहद कठिन था। तब अंग्रेजों ने वाजितपुर और दरभंगा के बीच रेल लाइन का निर्माण कराया। वाजितपुर से पहली बार रेलगाड़ी राहत सामग्री लेकर दरभंगा तक पहुंची थी। इस ट्रेन को लार्ड लारेंस नामक का इंजन लेकर रवाना हुआ, जो रेल म्यूजियम गोरखपुर में आज भी धरोहर के रूप में सुरक्षित है। यह इंजन पूर्वोत्तर रेलवे के विकास गाथा को कह रहा है। आज स्थिति यह है कि भारतीय ट्रेनें लोगों की जीवन रेखा बन गई है। देश में रोजाना एक करोड़ 40 लाख लोग ट्रेनों से यात्रा करते हैं। भारत में 16 अप्रैल 1853 को बोरीबंदर से थाणे के बीच पहली ट्रेन चली थी।
60 दिन में तैयार हो गई 51 किमी लंबी लाइन, इंग्लैंड से आया इंजन
अकाल के दौरान खाने-पीने की सामग्री पहुंचाने के लिए अंग्रेजों ने वाजितपुर से दरभंगा के बीच रेल लाइन बिछाने की शुरुआत कर दी। मरने वालों की संख्या बढऩे लगी तो दरभंगा क्षेत्र में यथाशीघ्र अनाज और राहत सामग्री पहुंचाना अंग्रेजों के सामने एक चुनौती बन गई। ऐसे में महज 60 दिन में 51 किमी रेल लाइन बिछा दी गई। जिसमें स्थानीय लोगों ने भी अहम भूमिका निभाई। बोगियों को खींचने के लिए अंग्रेजों ने डब्स कंपनी को इंजन बनाने का आर्डर दे दिया था। इंजन समुद्री मार्ग से इंग्लैंड से भारत लाया गया। कोलकाता में पानी की जहाज से इंजन को उतारकर वाजितपुर लाया गया। यहां पहले से बोगियां तैयार कर उसमें अनाज और अन्य राहत सामग्री रख दी गई थी। इंजन के पहुंचने के बाद 15 अप्रैल 1874 को लार्ड लारेंस इंजन ट्रेन को लेकर दरभंगा रवाना हुआ। दरभंगा राहत सामग्री पहुंचने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली।
1906 में उत्तर प्रदेश में पड़ी रेल लाइन की नींव
पूर्वोत्तर रेलवे की वाजितपुर-दरभंगा 51 किमी पहली रेल लाइन पर ट्रेन चलाने के बाद उत्साहित अंग्रेजों ने रेलवे का विकास शुरू कर दिया। धीरे-धीरे बिहार में रेल लाइनें बिछनी शुरू हो गईं। बिहार के बाद रेलवे का विकास उत्तर प्रदेश में शुरू हुआ। 1906 में उतर प्रदेश में रेल लाइन की नींव पड़ी। नवाबगंज से बहराइच, मनकापुर और गोंडा के बीच 109 किमी रेल लाइन का निर्माण हुआ। 1906 में ही कासगंज से काठगोदाम तक का रेल खंड यातायात के लिए शुरू कर दिया गया। इस दौरान कटरा-अयोध्या, बहराइच, नेपालगंज रोड, सोनपुर-छपरा-सिवान -गोरखपुर-मनकापुर खंड का निर्माण पूरा हुआ। देश आजाद होने के बाद 14 अप्रैल 1952 पूर्वोत्तर रेलवे की नींव पड़ी थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने अवध-तिरहुत रेलवे, असम रेलवे, बांबे बड़ौदा तथा सेंट्रल इंडिया रेलवे के फतेहगढ़ जिले को मिलाकर पूर्वोत्तर रेलवे का उद्घाटन किया था।
एक नजर में लार्ड लारेंस
स्वामित्व - बी एंड एन, डब्लू आर पूर्वोत्तर रेलवे
गेज - मीटर गेज
निर्माण कार्य - 1874
निर्माणकर्ता - 1874
चक्कों का क्रम एवं बनावट - 2-4-0 तीलीयुक्त
माप - 22 फीट नौ इंच लंबा, सात फीट दो इंच चौड़ा व दस फीट तीन इंच ऊंचा।
ब्वायलर प्रेशर - 80 पाउंड- वर्ग इंज
कर्षण बल - 3444 पाउंडस
वाल्व - स्लाइड वाल्व
मोशन गियर - स्टीफेंशन लिंक मोशन
भाप की किस्म - संतृप्त
प्रयुक्त स्प्रिंग - लेमिनेटेड एवं क्लोज क्वायल हेलिकल स्प्रिंग
फायर बाक्स क्षेत्रफल - 784 वर्ग इंच
कोयले की क्षमता - 1425 ब्रिटिश टन
पानी की धारिता - 469 गैलन
फ्रेम का प्रकार - प्लेट फ्रेम
सुरक्षा वाल्व - रैम्स बाटम सुरक्षा वाल्व
सिलिंडर्स - संख्या 2, फ्रेम के बाहर-आंतरिक माप दस फीट दो इंच लंबा।