श्रीराम-सीता विवाह की कथा सुन भावविभोर हुए श्रद्धालु
गुरु वशिष्ठ ने कहा कि विश्व जिसका मित्र है वही विश्वामित्र हैं।
जासं. दुबौलिया, बस्ती : एक ट्रस्ट की ओर से दुबौलिया बाजार के श्रीराम विवाह मैदान में आयोजित नौ दिवसीय संगीतमयी श्रीराम कथा के छठवें दिन कथावाचक छोटे बापू महाराज ने कहा कि श्रीराम-जानकी का विवाह मुख्य रूप से धैर्यवरण का प्रसंग है। विश्वामित्र के आग्रह पर दशरथ श्रीराम को भेजने के लिये तैयार नहीं हुए। लेकिन जब गुरु वशिष्ठ ने उन्हें समझाया जिसके बाद गुरुदेव की आज्ञा को शिरोधार्य किया। विश्वामित्र के साथ श्रीराम लक्ष्मण वन की तरफ चल पड़े। विश्वामित्र के गुणों की चर्चा करते हुए गुरु वशिष्ठ ने कहा कि विश्व जिसका मित्र है वही विश्वामित्र हैं। विश्वामित्र श्रीराम लक्ष्मण को लेकर जंगल में गए। यहां श्रीराम ने ताड़का का वध किया। उसके उन्होंने अहिल्या का उद्धार किया। भगवान श्रीराम और सीता की मुलाकात एक अद्भुत संयोग था। सीता अपनी सखियों के साथ वाटिका में पुष्प तोड़ने गई थी। इधर श्रीराम गुरु की आज्ञा से फूल लेने आए थे। संयोग हुआ कि श्रीराम और सीता आमने-सामने आ गए। सकुचाते हुए सीता ने भगवान राम को देखा और राम की दृष्टि भी सीता पर पड़ी। मिथिला में सीता स्वयंवर की तैयारी चल रही थी। गुरु के साथ श्रीराम और लक्ष्मण भी स्वयंवर में पहुंचे। सीता से स्वयंवर करने के लिए शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाना था। एक-एक कर कई राजाओं ने धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने की कोशिश किया। मगर किसी ने धनुष हो हिला तक नहीं सका। गुरु की आज्ञा के बाद श्रीराम ने पुष्प की भांति धनुष को उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ा दिया। जिससे देख हर कोई आश्चर्य में पड़ गया। उसके बाद श्रीराम सीता का स्वयंवर हुआ।
इसके बाद झांकी भी निकाली गई। विधि-विधान से मुख्य यजमान संजीव सिंह ने पूजन किया। स्वामी स्वरूपानंद, अनिरुद्ध त्रिपाठी, हरिलाल सिंह, रामकेवल यादव, रामकरन शास्त्री, दुर्गेश कुमार शास्त्री मौजूद रहे।