सुनिए वित्त मंत्री जी- कच्चा माल है, बाजार है, उद्योग दीजिए- गोरखपुर तैयार है
आम बजट पेश करने की तैयारियां जोरों पर हैंं। इन तैयारियों के बीच गोरखपुर के उद्योग जगत ने भी वित्त मंत्री से अपेक्षाएं लगा रखी हैं। गोरखपुर एवं आसपास के क्षेत्रों से अभी नाममात्र का निर्यात होता है जबकि यहां कई तरह के उत्पाद बनने लगे हैं।
गोरखपुर, उमेश पाठक। केंद्र सरकार की ओर से आम बजट पेश करने की तैयारियां जोरों पर है। इन तैयारियों के बीच गोरखपुर के उद्योग जगत ने भी वित्त मंत्री से अपेक्षाएं लगा रखी हैं। इस क्षेत्र में बहुत सी इकाइयों के लिए कच्चा माल प्रचुर मात्रा में है, आधारभूत संरचना में भी काफी हद तक सुधार हुआ है। कच्चा माल हो या बाजार, हर मामले में गोरखपुर तैयार है, यहां के उद्यमियों को अब केवल अधिक से अधिक उद्योगों की दरकार है।
गोरखपुर की स्थिति हर मामले में लगातार बेहतर होती जा रही है। जिले के चारो ओर चौड़ी सड़कों का जाल बिछ चुका है। हवाई यातायात भी सुगम है। बाजार लगातार बढ़ता जा रहा है। ग्रेटर गोरखपुर की कल्पना साकार हो रही है। जमीन की कोई कमी नहीं है। ऐसे में उद्योगों के लिए अनुकूल माहौल मिल रहा है।
टेक्सटाइल एवं गारमेंट पार्क की अपार संभावनाए
गोरखपुर में टेक्सटाइल पार्क लगाने की मांग काफी पहले से होती आयी है। करीब 14 वर्ष पहले इस मांग को पूरा भी किया गया था लेकिन कुछ गतिरोध के कारण इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। अब स्थितियां बहुत हद तक बदल चुकी हैं। यहां कपड़े का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है। पावरलूमों की संख्या अच्छी खासी है। यहां तैयार कपड़े को विदेश में भी पसंद किया जा रहा है, ऐसे में एक बार फिर टेक्सटाइल पार्क की मांग उठी है और इस दिशा में प्रयास भी हो रहे हैं। इसके साथ ही रेडीमेड गारमेंट को एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) में शामिल करने के बाद गारमेंट पार्क स्थापित करने की मुहिम भी जोरों पर चल रही है।
फूड पार्क की राह देख रहे उद्यमी
गोरखपुर व आसपास के क्षेत्र कृषि प्रधान है और यहां कृषि पर आधारि उद्योगों की काफी संभावना है। ब्रेड, बेकरी, आटा, मैदा, सूजी, खाद्य तेल से जुड़ी कई औद्योगिक इकाइयां पहले से ही यहां मौजूद हैं। इनके लिए कच्चा माल आसानी से इस क्षेत्र में मिल जाता है। लंबे समय से यहां के उद्यमियों को फूड पार्क की जरूरत महसूस हो रही है। फूड पार्क मिले तो कृषि आधारित उद्योगों को और गति मिलेगी। इसके साथ ही प्लास्टिक पार्क स्थापित करने की कवायद शुरू हो गई है, इसमें यदि केंद्र सरकार से भी मदद मिले तो यहां की इकाइयों को काफी लाभ होगा।
निर्यात बढ़ाने पर देना होगा जोर
गोरखपुर एवं आसपास के क्षेत्रों से अभी नाममात्र का निर्यात होता है जबकि यहां कई तरह के उत्पाद बनने लगे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार यदि ड्राई पोर्ट की सुविधा उपलब्ध कराए तो निर्यात को भी बढ़ावा मिल सकेगा। यहां खाद कारखाना है लेकिन उसकी एंसिलरी (अनुपूरक) यूनिट के रूप में केवल बोरा बनाने की इकाई ही स्थापित हो सकती है। ऐसे में यदि केंद्र सरकार यहां भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड का कोई कारखाना, हैवी वेकिल कारखाना, रक्षा उत्पाद से जुड़ी इकाई लगाए तो सैकड़ों अनुपूरक इकाइयां उसके साथ लग सकेंगी और रोजगार मिलेगा।
यहां टेक्सटाइल पार्क, फूड पार्क, गारमेंट पार्क व प्लास्टिक पार्क की व्यापक संभावनाएं हैं। सरकार यदि इन्हें मंजूरी दे तो आधारभूत संरचना के लिए अनुदान भी मिलेगा। इससे रोजगार के अवसर काफी हद तक बढ़ेंगे। सरकारी खरीद में भी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) उद्योगों को 25 फीसद हिस्सेदारी दी जाती है लेकिन इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है। इस दिशा में प्रयास होना चाहिए। - एसके अग्रवाल, पूर्व अध्यक्ष, चैंबर आफ इंडस्ट्रीज।
एमएसएमई सेक्टर के लिए बैंक फाइनेंस की व्यवस्था में बहुत सुधार की जरूरत है। घोषणा व धरातल में काफी अंतर है। इसके साथ ही सरकारी विभागों में आपूर्ति के बाद पेमेंट में काफी समय लग रहा है। स्टील के लिए कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि से छोटे उद्यमी तबाह हैं, इसमें राहत के उपाय करने होंगे। - आरएन सिंह, उद्यमी एवं उपाध्यक्ष, चैंबर आफ इंडस्ट्रीज।
सरकार को स्थानीय स्तर से निर्यात को बढ़ावा देने के प्रयास करने होंगे। यहां अच्छी क्वालिटी के कपड़े तैयार होते हैं, स्कूलों में उनकी खपत बढ़ाने के उपाय किए जाने चाहिए। प्लास्टिक पार्क, टेक्सटाइल एवं फूड पार्क की अपार संभावना है। बाहर से आने वाले कच्चे माल पर लगाम लगाने की कोशिश भी होनी चाहिए। यहां पानी की उपलब्धता भी प्रचुर मात्रा में है, इसलिए इससे जुड़ी बड़ी इकाइयां यहां स्थापित हो सकती हैं। - दीपक कारीवाल, उद्यमी एवं अध्यक्ष लघु उद्योग भारती गोरखपुर।
कोरोना संक्रमण काल की चुनौतियों के बीच एमएसएमई सेक्टर ने अर्थव्यवस्था को काफी राहत दी है। हमें उम्मीद है कि इस सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए वित्त मंत्री की ओर से अच्छी घोषणाएं की जाएंगी। सरकार का झुकाव बेरोजगारी कम करने पर है और इसमें एमएसएमई इकाइयां सबसे महत्वपूर्ण रोल निभाती हैं। यहां आधारभूत संरचना का काफी विकास हुआ है, इसलिए बड़ी इकाइयों को भी यहां स्थापित किया जा सकता है। कृषि प्रधान क्षेत्र होने के कारण फूड पार्क की भी अपार संभावना है। - प्रवीण मोदी, उद्यमी एवं महासचिव चैंबर आफ इंडस्ट्रीज।
कुछ तथ्य
गोरखपुर जोन में सालाना वाणिज्य कर करीब 700 करोड़ रुपये
गोरखपुर जिले में सालाना करीब 150 करोड़ रुपये जमा करते हैं।
टेक्सटाइल एवं गारमेंट सेक्टर का सालाना कारोबार करीब 2000 करोड़ रुपये
स्टील एवं लोहा सेक्टर का सालाना कारोबार करीब 6000 करोड़
फूड सेक्टर का सालाना कारोबार करीब 1000 से 1200 करोड़
प्लास्टिक सेक्टर का सालाना कारोबार करीब 1000 से 1200 करोड़
गोरखपुर से सालाना निर्यात करीब 100 करोड़