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गोरखपुर में आइएमए की वेबसाइट खोलेगी फर्जी अस्पतालों की पोल

कैंट थाना क्षेत्र के गोपलापुर स्थित न्यू लोटस हास्पिटल में झांसा देकर मरीज को भर्ती कराने और इलाज के नाम पर एक लाख से ज्यादा रुपये लेने के मामले में प्रशासन की कार्रवाई के बीच आइएमए ने बड़ा कदम उठाया है।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Published: Wed, 17 Mar 2021 03:05 PM (IST)Updated: Wed, 17 Mar 2021 06:19 PM (IST)
गोरखपुर में आइएमए की वेबसाइट खोलेगी फर्जी अस्पतालों की पोल
भारतीय चिकित्सा संघ की प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो, जेएनएन।

गोरखपुर, जेएनएन। अस्पताल खोलकर मरीजों को ठगने वालों की पोल भारतीय चिकित्सा संघ (आइएमए) खोलेगा। आइएमए की गोरखपुर शाखा ने वेबसाइट बनाने का निर्णय लिया है। इस वेबसाइट पर आइएमए से जुड़े डाक्टरों और अस्पतालों का पूरा विवरण होगा। साथ ही जिन अस्पतालों में डाक्टर विजिट पर मरीज देखते हैं, उनका भी ब्योरा दर्ज होगा। इस सूची में दर्ज अस्पतालों का पूरा ब्योरा आइएमए स्वास्थ्य विभाग को भी देगा।

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कैंट थाना क्षेत्र के गोपलापुर स्थित न्यू लोटस हास्पिटल में झांसा देकर मरीज को भर्ती कराने और इलाज के नाम पर एक लाख से ज्यादा रुपये लेने के मामले में प्रशासन की कार्रवाई के बीच आइएमए ने बड़ा कदम उठाया है। आइएमए ने सोमवार को ही साफ कर दिया था कि चिकित्सा पेशे की आड़ में कुछ ऐसे लोग भी आ गए हैं जिनका मकसद सिर्फ मरीजों से ठगी करना है। ऐसे लोगों को मरीज के स्वास्थ्य से कोई वास्ता नहीं है। कुछ अस्पतालों के बोर्ड पर बड़े-बड़े डाक्टरों के नाम दिखाकर मरीजों को बरगलाकर भर्ती किया जाता है।

इलाज में खर्च से तय होती है कमीशन की रकम

तथाकथित अस्पतालों तक मरीजों को ले आने वाले एंबुलेंस चालकों या झोलाछाप को कमीशन के रूप में अच्छी-खासी रकम दी जाती है। मरीज के इलाज में हुए खर्च के आधार पर इनका कमीशन तय होता है। कुछ एंबुलेंस वाले या झोलाछाप बीमारी के आधार पर अपना कमीशन लेते हैं। जैसे ही मरीज अस्पताल में भर्ती होता है, इनका कमीशन बनना शुरू हो जाता है।

बिहार, नेपाल तक फैला है पीआरओ का जाल

दूर-दूर से मरीजों को बरगलाकर ले आने के लिए तथाकथित अस्पतालों के संचालकों ने सैकड़ों पीआरओ की तैनाती की है। यह पीआरओ बिहार और नेपाल तक जाकर झोलाछाप और एंबुलेंस चालकों को मरीज भेजने पर कमीशन तय करते हैं। कमीशन के चक्कर में मरीज को अच्छे इलाज का झांसा देकर ले आया जाता है।

डाक्टर की मौत बताने से भी नहींं करते गुरेज

शहर में नामी डाक्टर को दिखाने के लिए आने वाले ज्यादातर लोगों को कभी रिक्शा चालक तो कभी एंबुलेंस चालक अपने जाल में फंसाते हैं। मरीज के स्वजन को यहां तक बता देते हैं कि वह जिस डाक्टर को दिखाने के लिए आया है उनकी तो मौत हो चुकी है। उसकी जानकारी एक बहुत अच्छे डाक्टर हैं, वहां आसानी से नंबर भी लग जाएगा और इलाज भी हो जाएगा। बाहर से आने वाला मरीज ऐसे लोगों के झांसे में आकर न सिर्फ आर्थिक नुकसान झेलता है वरन मरीज भी नहीं ठीक होता है।

हर अस्पताल के बाहर एंबुलेंस

बाबा राघवदास मेडिकल कालेज समेत सभी सरकारी अस्पतालों के सामने 50 से ज्यादा प्राइवेट एंबुलेंस हमेशा खड़ी रहती हैं। मेडिकल कालेज के गेट के बाहर से ही मरीजों को एंबुलेंस चालक घेर लेते हैं। ठीक इलाज न होने की बात कहकर गेट से ही निजी अस्पतालों में लेकर चले जाते हैं।

मेडिकल कालेज, तारामंडल कालेज क्षेत्र में ज्यादा अस्पताल

मेडिकल कालेज क्षेत्र में अब भी नए अस्पताल लगातार खुल रहे हैं। तारामंडल क्षेत्र में छोटी-छोटी जगहों पर भी अस्पताल खुल गए हैं। इनमें कई अस्पतालों में आयुर्वेद या होम्योपैथ की पढ़ाई करने वाले या झोलाछाप इलाज करते हैं। आइएमए के सचिव डा. वीएन अग्रवाल का कहना है कि सेवाभाव से चिकित्सा पेशा अपनाने वाले डाक्टरों को कुछ लोगों की कार्यप्रणाली के कारण बदनामी झेलनी पड़ रही है। इसे देखते हुए आइएमए ने वेबसाइट बनाने का निर्णय लिया है। आम आदमी को जागरूक किया जाएगा कि वह आइएमए की सूची में दर्ज अस्पतालों में ही इलाज कराएं। साथ ही एंबुलेंस का पंजीकरण सीएमओ कार्यालय में दर्ज किया जाए। ताकि इन पर नजर रखी जा सके। सीएमओ डा. सुधाकर पांडेय का कहना है कि मरीजों को अच्छा और सस्ता इलाज मिलना चाहिए। आइएमए ने भी शिकायत की है कि एंबुलेंस चालक मरीजों को बरगलाकर ले जाते हैं। मेडिकल कालेज से मरीज को न्यू लोटस हास्पिटल में भर्ती कराने वाले एंबुलेंस चालक की भी तलाश की जाएगी।


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