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पांच हत्‍यारों को आजीवन कारावास, जानिए-कहां का है मामला Gorakhpur News

दोनों पक्षों के सुनने के अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत ने अभियुक्त जितेंद्र यादव महेंद्र यादव सुबेदार यादव संतोष यादव व विरेंद्र यादव को हत्या के मामले में दोषी पाया।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 11:00 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jan 2020 11:00 PM (IST)
पांच हत्‍यारों को आजीवन कारावास, जानिए-कहां का है मामला Gorakhpur News
पांच हत्‍यारों को आजीवन कारावास, जानिए-कहां का है मामला Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। महराजगंज जिले के अपर सत्र न्यायाधीश विश्वंभर प्रसाद की अदालत ने हत्या के एक मामले में आरोप सिद्ध होने पर पांच अभियुक्तों को आजीवन कारावास व दस-दस हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया है। हत्या का बदला लेने के लिए पांच अभियुक्तों ने घटना को अंजाम दिया था।

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हत्‍यारों ने ऐसे दिया था घटना को अंजाम

महराजगंज जिले के बृजमनगंज थानाक्षेत्र के पट्टीवार गांव निवासी कैलाश पति तिवारी ने 16 जनवरी 2009 को थाने में तहरीर दी कि उनके बड़े भाई राजपति तिवारी गांव के रहने वाले राजदेव यादव की हत्या में आरोपित थे। बीस दिन पूर्व जमानत पर जेल से बाहर आए थे। 16 जनवरी को राजपति तिवारी मुकदमे की तारीख देखकर महराजगंज से वापस घर लौट रहे थे। सिकरा चौराहे पर राजपति तिवारी की मुलाकात कैलाश पति व धनपत तिवारी से हुई। दोनों लोग घरेलू सामान खरीद रहे थे। राजपति तिवारी मोटरसाइकिल से घर की ओर चले। शाम पांच बजे के करीब कोईरीपुरवा में पीपल के पेड़ की आड़ में मौजूद जितेंद्र यादव पुत्र राजदेव ने सिर में गोली मार दी। वहां मौजूद महेंद्र यादव पुत्र ब्रह्मदेव, सूबेदार यादव पुत्र विभूति यादव, संतोष यादव व वीरेंद्र यादव पुत्रगण सूबेदार यादव ने भी घेर कर हमला किया।

16 गवाह हुए थे पेश

बृजमनगंज पुलिस ने जांच आरोपितों के खिलाफ हत्या, बलवा, आम्र्सएक्ट व 7सीएलए का मुकदमा दर्ज किया। बाद में पुलिस ने आरोप पत्र कोर्ट में प्रेषित किया। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता संतोष कुमार मिश्र ने 16 गवाहों को पेश कराया और अभियुक्तों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की।

इन पांचों हत्‍यारों को दी गई सजा

दोनों पक्षों के सुनने के अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत ने अभियुक्त जितेंद्र यादव, महेंद्र यादव, सुबेदार यादव, संतोष यादव व विरेंद्र यादव को हत्या के मामले में दोषी पाया। कोर्ट ने सभी अभियुक्तों को आजीवन  कारावास व दस-दस हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया।


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