Research Report: कोरोनावायरस के लक्षण दिखने के साथ भर्ती होते तो बच सकती थी 73 लोगों की जान
जो मरीज अस्पताल में भर्ती हुए वे ज्यादा गंभीर स्थिति में आए थे। जब आक्सीजन स्तर 60-70 तक पहुंच गया तो अस्पताल पहुंचे। यदि वे लक्षण दिखने के साथ ही भर्ती हो गए होते तो उनकी जान बचाई जा सकती थी।
गोरखपुर, गजाधर द्विवेदी। बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलाजी विभाग व दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्राणी विज्ञान विभाग ने कोरोना संक्रमितों पर अध्ययन किया है। 395 मरीजों पर हुए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि जिन मरीजों का वायरस लोड अधिक होने के साथ ही उनका इंफेशन बढ़ा हुआ था, उनकी मौत हो गई। यह अध्ययन नागपुर के इंटरनेशनल जर्नल आफ बायोमेडिकल एंड एडवांस रिसर्च के जून 2021 के अंक में प्रकाशित हो चुका है।
395 मरीजों की हिस्ट्री का किया गया अध्ययन
बीआरडी मेडिकल कालेज के कोरोना वार्ड में भर्ती 395 मरीजों की हिस्ट्री अध्ययन का हिस्सा बनाई गई। इसमें 73 की रीयल टाइम पालीमरेज चेन रियेक्शन (आरटी-पीसीआर) की सीटी वैल्यू 25 से कम थी अर्थात वायरस लोड अधिक था। साथ ही सी- रियेक्टिव प्रोटीन (सीआरपी), सीरम फेरिटिन, डी-डाइमर व सीरम लैक्टोज डिहाइड्रोजिनेज (एलडीएच) बढ़ा हुआ था। उन्हें बचाया नहीं जा सका। सीआरपी, सीरम फेरिटिन व सीरम एलडीएच से इंफेक्शन व डी-डाइमर से ब्लड की क्लाटिंग पता चलती है। जिनकी सीटी वैल्यू 12 से 15 के बीच थी, उनकी मौत दो से तीन दिन में हो गई। इससे ज्यादा व सीटी वैल्यू वाले मरीज भर्ती होने के बाद पांच से सात दिन तक ङ्क्षजदा रहे। 25 से कम सीटी वैल्यू वाले मरीजों का आक्सीजन स्तर 60 से 70 के बीच रहा।
इन चीजों पर चल रहा अध्ययन
जिन मरीजों की मौत हो चुकी है। उनकी भौगोलिक स्थितियों पर अभी अध्ययन चल रहा है। इसमें उनकी आर्थिक स्थिति, संक्रमण या लक्षण आने के कितने दिन बाद अस्पताल में भर्ती हुए, शाकाहारी थे या मांसाहारी, नशा करते थे या नहीं, आदि को शामिल किया गया है। हालांकि डाक्टरों के मुताबिक कुछ मृतकों के स्वजन सहयोग नहीं कर रहे हैं। फोन करने पर अस्पताल में हुई असुविधाओं की केवल शिकायत करते हैं और फोन काट देते हैं। इसलिए इन चीजों पर अध्ययन में थोड़ी मुश्किल आ रही है।
सीटी वैल्यू कम होने पर क्यों अधिक होता है वायरस लोड
कोरोना की आरटी-पीसीआर जांच में अधिकतम 35 साइकिल चलाई जाती है। यदि 35 साइकिल में वायरस नहीं मिला तो निगेटिव मान लिया जाता है। एक-दो या पांच साइकिल में ही यदि वायरस मिल गया तो माना जाता है कि वायरस बहुत ज्यादा है, इसलिए कम ही साइकिल में वह मिल गया। यदि 30 या 34 साइकिल चलाने पर वायरस मिला तो माना जाता है कि उसके शरीर में वायरस बहुत कम थे, इसलिए अधिक बार साइकिल चलाने पर अर्थात बहुत खोजने के बाद मिले। इस साइकिल की संख्या को ही सीटी वैल्यू कहते हैं।
मौतों की रोकथाम में मिलेगी मदद
बीआरडी मेडिकल कालेज में माइक्रोबायोलाजी विभाग के अध्यक्ष डा. अमरेश सिंह का कहना है कि इस अध्ययन से मौतों की रोकथाम में मदद मिलेगी। जो मरीज अस्पताल में भर्ती हुए वे ज्यादा गंभीर स्थिति में आए थे। जब आक्सीजन स्तर 60-70 तक पहुंच गया तो अस्पताल पहुंचे। यदि वे लक्षण दिखने के साथ ही भर्ती हो गए होते तो उनकी जान बचाई जा सकती थी। इस अध्ययन से लोगों को सबक लेने की जरूरत है। लक्षण दिखें तो तत्काल डाक्टर से संपर्क करना चाहिए।