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अधिग्रहण के बाद भी जीडीए के नाम दर्ज नहीं हुई करोड़ों की जमीन

गोरखपुर के मंडलायुक्त ने विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी एवं तहसील प्रशासन को एक सप्ताह के भीतर जमीन जीडीए के नाम जमीन दर्ज करने का निर्देश दिया है। प्राधिकरण इस तरह के सभी भूखंडों की जानकारी एसएलओ को देने को कहा है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Tue, 24 Aug 2021 02:16 PM (IST)Updated: Tue, 24 Aug 2021 03:30 PM (IST)
अधिग्रहण के बाद भी जीडीए के नाम दर्ज नहीं हुई करोड़ों की जमीन
गोरखपुर व‍िकास प्राध‍िकरण का कार्यालय। - फाइल फोटो

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोरखपुर शहर में 60 हेक्टेयर यानी करीब 148 एकड़ जमीन अधिग्रहीत होने के बाद भी राजस्व अभिलेखों में गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) के नाम दर्ज नहीं हो पायी है। जीडीए का नाम न चढऩे से कुछ भूखंडों पर भू माफिया का कब्जा भी हो चुका है। प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रेम रंजन स‍िंंह एवं सचिव राम स‍िंंह गौतम ने इस बात की जानकारी मंडलायुक्त रवि कुमार एनजी को दी है। मंडलायुक्त ने विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी (एसएलओ) एवं तहसील प्रशासन को एक सप्ताह के भीतर जमीन जीडीए के नाम दर्ज करने का निर्देश दिया है। प्राधिकरण इस तरह के सभी भूखंडों की जानकारी एसएलओ को देने को कहा है।

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नाम दर्ज न होने से भू माफिया को मिलता है फर्जीवाड़ा करने का मौका

प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि अधिग्रहण के बाद काश्तकारों को मुआवजा देने के लिए एसएलओ कार्यालय को धनराशि दे दी गई थी। काश्तकारों को मुआवजा भी मिल चुका है लेकिन एसएलओ कार्यालय तहसील के राजस्व अभिलेखों में काश्तकारों का नाम कटवाकर जीडीए का नाम दर्ज नहीं करा सका है। जिसके कारण कई काश्तकारों ने दोबारा अपनी जमीन बेच दी और कुछ लोगों ने बैंक से ऋण लेकर मकान भी बना लिए हैं। जीडीए की ओर से वर्षों बाद जब उन्हें नोटिस दी गई तब उन्हें ठगे जाने का एहसास हुआ। हालांकि जमीन खरीदने वाले कई लोगों के नाम तहसील के अभिलेखों में दर्ज हैं।

मंडलायुक्त के सामने जीडीए के अधिकारियों ने उठाया मामला

लच्‍छीपुर के शास्त्रीनगर में एक दर्जन से अधिक लोग इससे प्रभावित हैं। इसी तरह मानबेला में करीब 12 एकड़ जमीन, खोराबार में 10 एकड़ जमीन पर भी प्राधिकरण का नाम दर्ज नहीं है। मंडलायुक्त/अध्यक्ष जीडीए रवि कुमार एनजी ने बताया कि जीडीए की ओर से अधिग्रहीत किए गए कुछ भूखंडों पर नाम दर्ज नहीं हो पाया है। अभियान चलाकर नाम दर्ज करने को कहा गया है। जीडीए का नाम दर्ज न होने से भू माफिया को गड़बड़ी करने का मौका मिलता है। कई भूखंडों को दोबारा बेचा गया है, ऐसे मामलों में कार्रवाई की जाएगी।


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