जानिए इस जिले में क्यों सिमटने लगा है कपड़े का कारोबार Gorakhpur News
कुशीनगर जिले में कपड़ा व्यापारियों के लिए पिछले साल कोरोना के बाद से होली तक दुकानदारी ठंडी रही। होली में बाजार कुछ गरम हुआ। अप्रैल में शादी-विवाह को लेकर थोड़ी उम्मीद जुटी थी। कोरोना की दूसरी लहर ने इन व्यापारियों का सबकुछ बर्बाद कर दिया।
गोरखपुर, जेएनएन : कुशीनगर जिले में कपड़ा व्यापारियों के लिए पिछले साल कोरोना के बाद से होली तक दुकानदारी ठंडी रही। होली में बाजार कुछ गरम हुआ। अप्रैल में शादी-विवाह को लेकर थोड़ी उम्मीद जुटी थी। कोरोना की दूसरी लहर ने इन व्यापारियों का सबकुछ बर्बाद कर दिया। सेवरही के वस्त्र व्यवसायियों ने गुजरात व दिल्ली से साड़ी भी मंगा ली। वहां पर कोरोना का कहर शुरू हुआ तो स्टाक मंगाना बंद कर दिया। इधर बिक्री हुई नहीं, कंपनी वाले पैसे के लिए दबाव बना रहे हैं। ऐसे में इनके सामने कई तरह का संकट है। हालत यह है कि उनकी दुकान का रोज का खर्च भी नहीं निकल पा रहा है। रोजाना एक करोड़ का कारोबार है, जो अब घटकर 30 फीसद पर रह गया है।
सेल्समैनों को बैठाकर ही देना पड़ रहा है वेतन
कारोबारी नवीन नाथानी ने बताया कि कपड़ा कारोबारी सबसे अधिक नुकसान में हैं। सेल्समैनों को बैठाकर ही वेतन दिया जा रहा है। बिजली का बिल व टैक्स जमा करना मजबूरी है। कंपनियों का तगादा रोज हो रहा है।
कोरोना ने पूंजी ही तोड़ दी
अनिल नाथानी ने बताया कि कोरोना ने पूंजी ही तोड़कर रख दी है। एक बार कपड़ा डंप हो जाने के बाद इस फैशन युग में बेचना मुश्किल हो जा रहा है। कंपनी को हर हाल में पैसा ही चाहिए। क्या करें समझ में नहीं आ रहा है।
विक्रेता डूब गए हैं कर्ज में
कारोबारी राजेश्वर गुप्त ने बताया कि शादी-विवाह को देखते हुए स्टाक भरपूर मंगाया गया था। कोरोना के प्रतिबंध के बीच लोगों ने कम खरीदारी की। वर्तमान हालात के चलते विक्रेता पूरी तरह से कर्ज में डूब गए हैं।
मंदा हो गया कपड़े का धंधा
कारोबारी आशीष अग्रवाल ने बताया कि कपड़े का धंधा बहुत मंदा हो गया है। कोरोना की दूसरी लहर ने शादी-विवाह के सीजन में भी कपड़े की बिक्री पर ब्रेक लगा दिया है। किस तरह धंधा आगे बढ़ेगा समझ में नहीं आ रहा है।