जानिए किस समय गन्ने की खेती पर मिल जाएगा 25 फीसद अधिक उपज
गन्ने की शरद कालीन खेती किसानों के लिए अधिक लाभदायक है। किसान बसंतकालीन खेती की तुलना में 25 फीसद अधिक उत्पादन पा सकते हैं। गेंदा सिंह गन्ना प्रजनन एवं अनुसंधान संस्थान सेवरही कुशीनगर द्वारा किसानों को गन्ने की अर्ली प्रजाति कोशा 13235 का एक लाख सिंगल बड दिया जाएगा।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता : गन्ने की शरद कालीन खेती किसानों के लिए अधिक लाभदायक है। इसकी खेती से किसान बसंतकालीन खेती की तुलना में 25 फीसद अधिक उत्पादन पा सकते हैं। किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए इस बार गेंदा सिंह गन्ना प्रजनन एवं अनुसंधान संस्थान सेवरही कुशीनगर द्वारा गोरखपुर जिले के किसानों को गन्ने की अर्ली प्रजाति कोशा 13235 का एक लाख सिंगल बड (एक आंख का टुकड़ा) दिया जाएगा। गन्ना बीज शोध संस्थान ने गोरखपुर जिले के गन्ना किसानों को 1213 क्विंटल गन्ना बीज आवंटित किया है। अधिक से अधिक किसान इस प्रजाति को अपने खेतों में लगाकर अधिक लाभ कमा सकते हैं।
एक हेक्टेयर में तैयार होती है 650 से 700 क्विंटल गन्ने की उपज
सामान्य तौर पर एक हेक्टेयर में करीब 650 से 700 क्विंटल गन्ने की उपज तैयार होती है। शरदकालीन गन्ने की खेती से करीब 850 से 900 क्विंटल गन्ने का उत्पादन होता है। इसमें गन्ने की अर्ली प्रजाति कोशा 13235 की बुआई करके 900 से 950 क्विंटल तक प्रति हेक्टेयर उत्पादन लिया जा सकता है। गन्ना किसानों के लिए सरकार तमाम तरह की योजनाएं चला रही है। गेंदा सिंह गन्ना प्रजनन एवं अनुसंधान संस्थान सेवरही कुशीनगर इस बार गन्ना किसानों को एक लाख सिंगल बड दे रहा है। चार सौ रुपये प्रति क्विंटल की दर से किसानों को गन्ना दिया जाएगा।
गन्ना विकास विभाग द्वारा आवंटन के आधार पर दिया जा सकता है किसानों को गन्ना बीज
किसानों को गन्ना बीज, गन्ना विकास विभाग द्वारा आवंटन के आधार पर दिया जा सकता है। गन्ना क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए अनुदान पर बीज गन्ना, गन्ना बुआई के लिए यंत्र, कीटनाशक छिड़काव मशीन दिया जा रहा है। गन्ना विकास विभाग द्वारा किसानों के खेतों में भी पौधशाला तैयार कराया गया है। वहां भी गन्ने की विभिन्न प्रजातियां उपलब्ध हैं।
अधिक वर्षा के कारण किसानों को हुआ है भारी नुकसान
गन्ना किसान संस्थान प्रशिक्षण केंद्र पिपराइच के सहायक निदेशक ओमप्रकाश गुप्ता ने कहा कि इस बार भारी वर्षा के कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ है। रेड राट रोग के चलते किसानों का सैकड़ों हेक्टेयर गन्ना सूख चुका है। ऐसे में किसान शरदकालीन गन्ने का क्षेत्रफल बढ़ाकर, उन्नतिशील प्रजातियां लगाकर अपने नुकसान की भारपाई कर सकते हैं।