पुलिस ध्यान देती तो थम सकती थीं ये हत्याएं, असली जड़ पुराने विवाद Gorakhpur News
बीते तीन माह में जिले में कुल 30 हत्याएं हुई हैं जबकि 1 जनवरी से 31 अगस्त तक 51 हत्याएं हुई हैं। अर्थात इस वर्ष के प्रारंभ के आठ माह में प्रति माह औसतन छह हत्याएं हुई हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। पिछले तीन माह ने जिले में हत्याओं का ग्राफ बढ़ा दिया। अधिकांश हत्याओं की वजह पुराना विवाद है। ऐसे में सवाल पुलिस पर खड़ा हो रहा है कि उनका विवाद रजिस्टर कहां है। वह विवाद रजिस्टर पर ध्यान देती तो शायद जिले में इतनी हत्याएं नहीं होतीं।
बीते तीन माह में जिले में कुल 30 हत्याएं हुई हैं, जबकि 1 जनवरी से 31 अगस्त तक 51 हत्याएं हुई हैं। अर्थात इस वर्ष के प्रारंभ के आठ माह में प्रति माह औसतन छह हत्याएं हुई हैं। लेकिन सिर्फ तीन माह की बात करें तो प्रति माह का औसत 10 का है। अर्थात हत्याओं का ग्राफ करीब डेढ़ गुना बढ़ा है। यह स्थिति विवाद रजिस्टर की अनदेखी करने से उत्पन्न हुई है। थानों पर पुलिस पहले एक विवाद रजिस्टर होता था। इसमें पुलिस छोटे से छोटे विवाद का जिक्र करती थी। इससे सिपाही बीट पर जाने के दौरान इन घटनाओं पर नजर रखता था। विवाद के मामलों पुलिस द्वारा पूछताछ करने से लोग यह महसूस करते थे कि उन पर नजर रखी जा रही है। लेकिन पुलिस द्वारा अनदेखी करने से लोगों का दुस्साहस बढ़ा है। तीन माह की 30 हत्याओं में करीब 10 मामले ऐसे हैं, जिसमें पुराने विवाद के चलते हत्या हुई है। इसके अलावा करीब 8 मामलों में आश्नाई के चलते हत्याएं हुई हैं। लूट के चलते दो और शेष में घरेलू विवाद व अन्य कारणों के चलते हत्याएं हुई हैं।
पुराने विवाद पर देते ध्यान तो ना जाती जान
हरपुर बुदहट थाना क्षेत्र के ग्राम बरयाबीर में भूमि विवाद को लेकर दो पक्षों में कई बार मारपीट हो चुकी थी। लेकिन पुलिस ने हर बार मामले की अनदेखी की। इसका परिणाम रहा कि अगस्त माह के अंतिम सप्ताह में कामता यादव की उनके विपक्षियों ने गांव में पीट-पीट कर हत्या कर दी।
पुरानी घटनाओं को लेकर भी ना चेते
हरपुर बुदहट पुलिस विवाद रजिस्टर मेंटेन करना दूर की बात वह पुरानी घटनाओं को लेकर भी चेत ना सकी। बुधवार रात थाना क्षेत्र के ग्राम देवरिया में आर्केस्टा देखने को लेकर दो पक्षों में विवाद हुआ और गुरुवार की सुबह गांव के कुछ लोगों ने ग्रामवासी विजय सिंह की कुदाल से काटकर हत्या कर दी।
नया नहीं था मां बेटे का विवाद
शाहपुर थाना क्षेत्र के रामजानकीनगर मुहल्ले में वीरेंद्र सिंह व उनकी पत्नी चंदा देवी के बीच संपत्ति को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था। यहां तक कि सात वर्षों तक चंदा, वीरेंद्र व बेटे विशाल से अलग रहीं। वह संपत्ति का आधा हिस्सा बेटी को देना चाहती थीं, लेकिन बेटा व उनके पति इसके लिए तैयार नहीं थे। मुहल्ले लोग इस विवाद के विषय में जानते थे। लेकिन पुलिस ने इस मामले कोई दिलचस्पी ही नहीं दिखाई। वह तब जागी, जब बीते 15 अक्टूबर को विशाल ने दोस्त के साथ मिलकर मां व भांजे का कत्ल कर दिया।
पहले मारपीट, बाद में हत्या
चौरीचौरा थाना क्षेत्र के ग्राम राघवपुर में सितंबर माह में कुछ व्यक्तियों ने ग्रामवासी विजयी की पिटाई की। विजयी की पत्नी इस मामले को लेकर थाने पर भी गईं। इस मामले को विवाद रजिस्टर में दर्ज करने को कौन कहे, पुलिस ने मुकदमा तक दर्ज नहीं किया। पुलिस की अनदेखी के चलते आरोपितों ने पीट-पीटकर विजयी की हत्या कर दी। पुलिस इसके बाद भी अनदेखी करती रही। बाद में एसएसपी के हस्तपक्षेप पर उसने गांव के चार लोगों के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज किया। एसपी सिटी डा. कौस्तुभ का कहना है कि थानों पर मौजूद रजिस्टर नंबर आठ में बड़े विवाद की सूचना लिखी जाती है। इसमें इन विवादों का जिक्र किया जाता है, जिससे गांव की शांति व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। आमतौर पर यह रजिस्टर ग्रामीण क्षेत्र के लिए होता है। शहर में प्राय: ऐसे विवाद की आशंका ना के बराबर रहती है। पुलिस रजिस्टर नंबर आठ पर ध्यान तो देती ही है। उसके अलावा भी वह छोटी से छोटी सूचना पर ध्यान देती है।