कायस्थ समाज ने विधि विधान से की भगवान चित्रगुप्त की पूजा Gorakhpur News
चित्रगुप्त मंदिर में भगवान चित्रगुप्त की पूजा की गई। बड़ी संख्या में लोगों ने पूजा-अर्चना के बाद हवन कर भगवान चित्रगुप्त के प्रति अपनी आस्था व श्रद्धा अर्पित की।
गोरखपुर, जेएनएन। चित्रगुप्त मंदिर में मंगलवार को भक्ति भाव से भगवान चित्रगुप्त की पूजा की गई। बड़ी संख्या में लोगों ने पूजा-अर्चना के बाद हवन कर भगवान चित्रगुप्त के प्रति अपनी आस्था व श्रद्धा अर्पित की। चित्रगुप्त मंदिर सहित महानगर में अनेक स्थानों पर भगवान चित्रगुप्त की मूर्तियां स्थापित की गई हैं। विधि-विधान से श्रद्धालुओं ने भगवान चित्रगुप्त की पूजा के बाद कलम-दवात की पूजा की। इस दौरान मंगल गीत गूंज रहे थे।
भैया दूज व गोधन की पूजा भी हुई
बहन-भाइयों का पवित्र त्योहार भैया दूज व समृद्धि का त्योहार गोधन पूजा एक साथ मंगलवार को परंपरागत रूप से आस्था व श्रद्धा के साथ मनाया गया। बहनों ने भाइयों की दीर्घायु के लिए उन्हें शाप दिया, फिर मंगल कामना की। वहीं गोबर से बने गोधन को कूटा और प्रसाद स्वरूप गोबर की गोलियां बांटी।
ऐसे हुई भैया दूज की पूजा
सुबह घर की साफ-सफाई के बाद दरवाजे पर गोबर से गोधन बनाया गया। गोबर का एक वर्ग बनाकर उसके बीच में गोधन की एक बड़ी मूर्ति बनाई गई। साथ में यम व उनकी पत्नी, गोवर्धन पर्वत, गाय, सांप-बिच्छू आदि बनाए गए। बच्चों ने भटकोइया, भड़भाड़, कुकुरमुत्ता, बेर के कांटे सहित तमाम कांट-कूस इकट्टा किए। घर में भाइयों के लिए अमरपिठवा बना। साथ ही खीर-पूड़ी बनाई गई। तीन-चार घरों के बीच में एक जगह गोधन बनाया गया था। उन घरों की महिलाएं एक जगह इकट्टा हुईं।
गोबर की कई गोलियां भी बनीं
बिना कुछ खाये-पिये बहनें पूर्वाह्न 11 बजे के आसपास दरवाजे पर गोधन के पास पहुंचीं और कांटा तोड़-तोड़ कर भाइयों को शाप देने लगीं। इसके बाद गोबर से बने गोधन के सीने पर ईंट रखकर मूसल टिकाकर वर्ग के इस पार से उस पार कूदीं। गोधन कूटने के बाद उसके सिर के गोबर की कई गोलियां बनाकर सभी को प्रसाद स्वरूप बांटा। ये गोबर की गोलियां बखार में (जहां अन्न रखा जाता है) रखी जाती हैं। मान्यता है कि बखार में इन गोलियों को रखने से वर्ष भर अन्न की कमी नहीं होती है। गोधन कूटने के दौरान मंगल गीत गाए गए। पर्व के माहात्म्य से संबंधित कथाएं सुनी गईं।