जागरण विमर्श: कुटीर उद्योग को मिलेगा बढ़ावा, उपलब्ध होंगी आधारभूत सुविधाएं
Jagran Discourse छोटे व मझोले उद्योग को बढ़ावा देने के साथ ही बड़े उद्योग की स्थापना के लिए आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण है। बस्ती का सिरका सिद्धार्थनगर का काला नमक व संतकबीर नगर के हथकरघा उद्योग को वैश्विक पहचान मिले इसके लिए और पहल करने की जरूरत है।
बस्ती, विश्वदीपक त्रिपाठी। छोटे व मझोले उद्योग को बढ़ावा देने के साथ ही बड़े उद्योग की स्थापना के लिए आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण है। बस्ती का सिरका, सिद्धार्थनगर का काला नमक व संतकबीर नगर के हथकरघा और पीतल उद्योग को वैश्विक पहचान मिले, इसके लिए और पहल करने की जरूरत है। यह बात यहां सोमवार को आयोजित जागरण विमर्श में उभर कर सामने आई।
सीएम योगी की सरकार ने दिखाई विकास की राह
बालाजी प्रकाश होटल में जागरण विमर्श के दौरान औद्योगिक ग्राफ पर बस्ती मंडल शीर्षक से आयोजित परिचर्चा में सीपी शुक्ल सीए, विधायक कप्तानगंज, गोविंद एनएस राजू, मंडलायुक्त बस्ती, सभापति शुक्ल, प्रमुख सिरका व्यवसायी, अशोक यादव काष्ठ कला व्यवसायी व अशोक सिंह अध्यक्ष चैंबर आफ इंडस्ट्री, बस्ती शामिल हुए। परिचर्चा में बात उठी कि ऐसा क्या हुआ कि पर्याप्त संसाधन और संभावनाएं होने के बाद भी बस्ती मंडल का औद्योगिक ग्राफ ऊंचा नहीं उठ पाया। परिचर्चा में शामिल कप्तानगंज के विधायक सीपी शुक्ला सीए ने कहा कि प्रदेश में जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बनी तो उन्होंने विकास के लिए बस्ती को चुना। बस्ती की मुंडेरवा चीनी मिल सबसे पहले चालू हुई। छोटे और मझोले उद्योगों को बढ़ावा दिया गया।
बडे उद्योग स्थापित करने की दी जा रही सुविधा
बड़े उद्योग धंधे इस क्षेत्र में स्थापित हों, इसके लिए आधारभूत सुविधाएं व रा-मटेरियल के रूप में बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गई। जिले में प्रदेश का सबसे बड़ा विद्युत उप केंद्र स्थापित हुआ। 1430 मेगावाट क्षमता वाले इस उपकेंद्र से प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में विद्युत आपूर्ति व्यवस्था सुनिश्चित होगी। इससे स्थानीय स्तर पर औद्योगीकरण को बढ़ावा मिलेगा। जब परिवहन की सुविधा होगी और बेसिक इन्फ्राट्रक्चर मौजूद हैं तो निश्चित रूप से औद्योगिक विकास को गति मिलेगी। विधायक ने कहा कि यह कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने की देन है कि इस दीपावली में चीनी झालरों और पटाखों का प्रयोग पूरी तरह से बंद हो गया। स्वयं सहायता समूह के माध्यम से भी गांव- गांव कुटीर उद्योग स्थापित हुए हैं।
उद्योग स्थापित कर ही किया जा सकता है गरीबी उन्मुलन
क्षेत्र में नए औद्योगिक आयाम को लेकर सवाल उठा तो उसका जवाब देते हुए मंडलायुक्त गोविंद एनएस राजू ने कहा कि उद्योग के माध्यम से ही गरीबी उन्मूलन हो सकता है। किसी भी उद्योग का आधारभूत ढांचा बिजली है। उसकी पर्याप्त उपलब्धता इस क्षेत्र में सुनिश्चित की गई है। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के माध्यम से भी युवाओं को रोजगार से जोड़ा गया है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, एक जिला एक उत्पाद व मुद्रा बैंक के माध्यम से भी लोग उद्योग के क्षेत्र में आगे बढ़े हैं। इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए उन्हें असुविधा ना हो इसके लिए ऑनलाइन आवेदन भी लिए गए। परिचर्चा के दौरान सवाल उठा कि जिले में प्लास्टिक कांप्लेक्स के लिए आवंटित भूमि का उपयोग अन्य उद्योग धंधों के लिए हो रहा है।
बडे उद्योग स्थापित करने की उठी मांग
इसका जवाब देते हुए चेंबर ऑफ इंडस्ट्रीज बस्ती के अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने कहा कि सरकार ने 1973 में प्लास्टिक उद्योग कांप्लेक्स के लिए भूमि आवंटित की थी। देश के बड़े- बड़े व्यापारियों ने आकर यहां उद्योग भी लगाए, लेकिन प्लास्टिक के बोरे सहित अन्य उत्पादों पर प्रतिबंध लगने के बाद यहां स्थापित फैक्ट्रियां बंद हो गईं। जूट के बोरों की मांग बढ़ने से उद्योगपति क्षेत्र से चले गए। इसके बाद स्थानीय व्यापारियों ने यहां उद्योग धंधे स्थापित किए हैं। उन्होंने मंच के माध्यम से बस्ती में एक बड़ी फैक्ट्री और औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने की मांग की।
कुटीर उद्योगों को बढावा देने के लिए सरकार से यह है अपेक्षाएं
औद्योगिक विकास पर केंद्रित इस परिचर्चा में बात हुई कि कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार को और कौन से कदम उठाने चाहिए। इसका जवाब देते हुए बस्ती के प्रमुख सिरका व्यवसायी सभापति शुक्ल ने कहा कि विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सरकार छोटे व्यवसायियों को प्रोत्साहित कर रही है। बस सरकार से अपेक्षा है कि वह हमें बाजार उपलब्ध कराएं। यह बाजार की देन है कि मानक के अनुरूप गुणवत्ता न देने के बाद भी कई नामी कंपनियां सिरका सहित अपने उत्पादों को देश- विदेश में बेच रहीं हैं, जबकि बस्ती का सिरका वह पहचान नहीं बना सका है, जिसका वह हकदार है।
औद्योगिक संभावनाओं को तलाशने की जरूरत
इसी क्रम में एक सवाल यह आया कि बस्ती मंडल में कारोबारी संभावनाएं क्या है। परिचर्चा में शामिल कप्तानगंज के विधायक सीपी शुक्ला सीए ने बताया कि बदलते दौर में हम ग्लोबल स्तर पर अपने उत्पादों को ले जा सकते हैं। बस तथ्यों के साथ क्षेत्र में औद्योगिक संभावनाओं को तलाशने की जरूरत है। इसके लिए क्षेत्र में मिलने वाले रा मटेरियल, बाजार, परिवहन सुविधा का भी पर्याप्त अध्ययन करना पड़ेगा। इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी चर्चा हुई है। निश्चित तौर पर इसका सार्थक समाधान निकलेगा। परिचर्चा का संचालन दैनिक जागरण गोरखपुर के इनपुट हेड बृजेश दुबे ने किया।
इन्होंने पूछे सवाल
संतकबीर नगर जिले के मेहदावल निवासी मुकेश कुमार सिंह ने कहा कि उनके जिले में हथकरघा व बर्तन उद्योग से जुड़े लोगों की कमर टूट गई है। बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी भी अब नहीं मिल रही है। इसका जवाब देते हुए मंडलायुक्त गोविंद एनएस राजू ने कहा कि दिल्ली और हरियाणा में आयोजित प्रदर्शनी में संतकबीर नगर के पीतल व हथकरघा के उत्पादों को भेजा गया था। इंटरनेट मीडिया के माध्यम से भी यहां के उत्पादों को वैश्विक पहचान मिली है। यहां के उद्यमियों को नियमित विद्युत आपूर्ति मिले, इसे भी सुनिश्चित किया गया है। विधायक सीपी शुक्ला ने बताया कि हथकरघा उद्योग से जुड़े लोगों को बाजार व समय के साथ चलना चाहिए। सरकार द्वारा इन के हित में कई योजनाएं चलाई जा रहीं हैं। सिद्धार्थनगर के देवेश मणि त्रिपाठी ने बैंकों की तरफ से समयबद्ध ढंग से लोन उपलब्ध कराने व शिकायतों के त्वरित निस्तारण के संबंध में सवाल पूछा। इसका जवाब देते हुए विधायक सीपी शुक्ला ने कहा कि यदि नियमों के मुताबिक सभी प्रक्रियाएं पूर्ण हैं, तो निश्चित रूप से समयबद्ध ढंग से लोन मिलेगा। शिकायतों के निस्तारण से जुड़े सवाल के संबंध में मंडलायुक्त ने कहा कि संपूर्ण समाधान दिवस व इंटरनेट मीडिया के विभिन्न माध्यमों से हुई शिकायतों का समयबद्ध ढंग से निस्तारण हो , इसकी नियमित निगरानी होती है। इस संबंध में अधिकारियों को भी दिशा निर्देश दिए गए हैं।