सीएम सिटी में प्रदूषण प्रमाण पत्र बनाने में ही लग जाएंगे कई साल, जानें-क्या है वजह Gorakhpur News
गोरखपुर में कुल नौ लाख 72 हजार पंजीकृत वाहन हैं। पिछले दो दिन में महज 310 मोटरसाइकिलों का प्रमाण पत्र बना है। अगर यही रफ्तार रही तो प्रमाण पत्र बनाने में ही कई साल लग जाएंगे।
गोरखपुर, जेएनएन। आनलाइन प्रदूषण पत्र बनाने की व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई है। अब तो आरटीओ दफ्तर के सामने सुबह पांच बजे लाइन लगाने के बाद भी प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है। पिछले दो दिन में महज 310 मोटरसाइकिलों का प्रमाण पत्र बना है। अगर यही रफ्तार रही तो सिर्फ प्रदूषण प्रमाण पत्र बनाने में ही कई साल लग जाएंगे।
गोरखपुर में कुल नौ लाख 72 हजार पंजीकृत वाहन
गोरखपुर में कुल नौ लाख 72 हजार पंजीकृत वाहन है। शुक्रवार को सुबह पांच बजे ही प्रमाण पत्र बनवाने वालों की लाइन लग गई थी। लाइन आरटीओ दफ्तर के सामने से डीएम आवास तक पहुंच गई। सुरक्षा बलों ने लाइन को दुरुस्त कराया। कुछ तीन-चार दिन से दौड़ रहे थे, तो कई लोग पहली दफा लाइन में लगे थे। इसके बाद भी सैकड़ों लोगों के प्रमाण पत्र नहीं बन पाए और वे निराश हो, व्यवस्था को कोसते हुए वापस लौट गए।
नियम बनने चाहिए, व्यवस्था भी दुरुस्त हो
लोगों का कहना है कि नियम बनने चाहिए, आम लोगों को उसका अनुपालन भी करनी चाहिए। लेकिन सरकार को नियम बनाने से पहले सारी व्यवस्था भी सुनिश्चित कर लेनी चाहिए।
अब वाहन स्वामियों की सुनिए
शहर के राप्तीनगर निवासी अमिताभ का कहना है कि लगातार तीन दिन से आरटीओ दफ्तार आ रहा हूं। सुबह छह बजे से लाइन में हूं। तीन बजने जा रहे हैं, लेकिन अभी भी नंबर नहीं आया है। समस्या बढ़ती जा रही है। जगतबेला के श्याम मणि का कहना है कि सभी कार्य छोड़कर प्रदूषण प्रमाण पत्र के लिए लाइन में लगा हूं। नोटबंदी के समय लाइन में लगना पड़ा था। अब प्रमाण पत्र के लिए लाइन लगानी पड़ रही है। गोलघर के श्याम सुंदर का कहना है कि सुबह सात बजे ही लाइन में लग गया था। बीच-बीच में बारिश और तेज धूप में बिना खाए खड़ा हूं। एक प्रदूषण प्रमाण पत्र बनवाने के लिए तपस्या करनी पड़ रही है। वहीं तारामंडल के उमाशंकर का कहना है कि तीन दिन से आरटीओ दफ्तर आ रहा था। भीड़ के चलते वापस लौट जाता था। हिम्मत बांधकर लाइन में खड़ा हूं। पता नहीं कब किस चौराहे पर इसकी जांच हो जाए।